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सीरिया के भविष्य पर वार्ता 'मध्यस्थता की सफलता' का परिचायक

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश तुर्की के इस्तांबुल में छठे मध्यस्थता सम्मेलन को संबोधित करते हुए.
UN Photo/Emrah Gruel
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश तुर्की के इस्तांबुल में छठे मध्यस्थता सम्मेलन को संबोधित करते हुए.

सीरिया के भविष्य पर वार्ता 'मध्यस्थता की सफलता' का परिचायक

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने  मध्यस्थता को हिंसक संघर्ष समाप्त करने के महत्वपूर्ण ज़रियों में से एक बताया है. तुर्की के इस्तांबुल शहर में आयोजित 'छठे इस्तांबुल मध्यस्थता सम्मेलन' को संबोधित करते हुए यूएन महासचिव ने कहा कि सीरिया में परस्पर विरोधी पक्षों का आमने-सामने बैठकर वार्ता में शामिल होना मध्यस्थता की सफलता को दर्शाता है.

उन्होंने मध्यस्थता और संवाद के ‘सकारात्मक नतीजों’ को साझा करते हुए बताया कि सीरिया में आठ साल से जारी क्रूर गृहयुद्ध के बाद सीरियाई नेताओं की जिनीवा में बातचीत का होना प्रगति का परिचायक है. यह स्पष्टता से हिंसक संघर्षों के राजनैतिक समाधान तलाश करने की अहमियत को दर्शाता है.

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“संवैधानिक समिति की कल हुई बैठक एक अहम पड़ाव है – प्रगति की नींव और मध्यस्थता की स्पष्ट सफलता का.” उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011 के बाद पहली बार सीरियाई सरकार और विरोधी पक्षों में आमने-सामने बैठकर बातचीत हुई है.

यूएन प्रमुख ने उम्मीद जताई है कि राजनैतिक समाधान ढूंढने और सीरियाई जनता के जीवन में त्रासदीपूर्ण अध्याय का अंत करने की दिशा में यह पहला वास्तविक क़दम है. इससे सभी सीरियाई नागरिकों के स्वेच्छा से अपने देश सुरक्षित लौटने की संभावना को बल मिलेगा.

फ़िलहाल सवा करोड़ से ज़्यादा सीरियाई नागरिकों को मदद की आवश्यकता है. 66 लाख लोग घरेलू तौर पर विस्थापित हैं और 30 लाख उन इलाक़ों में फंसे हैं जहां लड़ाई की वजह से पहुंचना मुश्किल बना हुआ है. वर्ष 2011 के बाद से अब तक 56 लाख लोग देश छोड़कर जा चुके हैं.

उन्होंने देश के पूर्वोत्तर हिस्से में लड़ाई का अंत करने के लिए संवाद का स्वागत किया लेकिन इदलिब प्रांत में स्थिति पर चिंता भी जताई. उन्होंने सभी पक्षों से अधिकतम संयम बरतने, लड़ाई को समाप्त करने और आम लोगों व नागरिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील दोहराई है.

महासचिव गुटेरेश ने मध्यस्थता और संवाद के अन्य सकारात्मक नतीजों, विशेषकर अफ़्रीकी देशों में, की सराहना करते हुए सभी से उनकी सफलता को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया.

हिंसक संघर्षों का बदलता स्वरूप

यूएन महासचिव ने अन्य भू-राजनैतिक मुद्दों की चर्चा करते हुए आगाह किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मतभेद उभरने से अनिश्चितता और असुरक्षा बढ़ रही है जिससे मध्यस्थों की भूमिका पर भी असर पड़ रहा है. अक्सर उन्हें सरकारों की राजनैतिक इच्छाशक्ति और हथियारबंद गुटों पर निर्भर रहना पड़ता है. इसके अलावा लोकप्रियवाद और हाशिएकरण की समस्या से कट्टरपंथ, अस्थिरता, हिंसा और पीड़ा बढ़ रही है.

कुछ समाजों में बढ़ती दरार के ख़तरों के प्रति आगाह करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण समाजों में भी नेता नतीजों की परवाह किए बग़ैर तनाव भड़का रहे हैं.

उन्होंने कहा कि मध्यस्थों की मदद से हिंसक संघर्ष के मूल कारणों व उसके नतीजों से निपटा जा सकता है जो हिंसा को फिर ना होने देने के लिए अहम है.

”कुछ शांतिपूर्ण समाजों में नेता नतीजों की परवाह किए बग़ैर तनाव भड़का रहे हैं” – यूएन प्रमुख

यूएन प्रमुख ने बताया कि क्षेत्रीय संगठनों, नागरिक समाज संगठनों और अन्य हिस्सेदारों के साथ ज़्यादा समन्वयन की आवश्यकता है.

“मौजूदा दौर के संघर्षों को सुलझाने में मध्यस्थता के तीन घटकों को समन्वित रूप से साथ लाना होता है: ट्रैक-1 राजनैतिक और सैन्य नेतृत्व से बना है, जिसे अनाधिकारिक और अनौपचारिक रूप से ट्रैक-2 पर विकल्पों के परीक्षण से सहारा मिलता है; और ट्रैक-3 में नागरिक समाज और ज़मीनी स्तर पर पहलों के ज़रिए प्रक्रिया को व्यापक बनाया जाता है.”

हालांकि उन्होंने चिंता जताई कि मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल समूहों की संख्या बढ़ने के बावजूद कम संख्या में ही हिंसक संघर्षों को मध्यस्थता के ज़रिए सुलझाया जा रहा है.

यूएन प्रमुख ने सोशल मीडिया और डिजिटल तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि इससे लोगों तक पहुंचने और समावेशन में मदद मिली है लेकिन मध्यस्थता के लिए गंभीर चुनौतियां भी पैदा हुई हैं. उनका इशारा नफ़रत फैलाने वाले संदेशों व भाषणों, ग़लत जानकारी फैलाने की मुहिम और साइबर जगत में उभरती अन्य चुनौतियों से था.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का गठन सात दशक पहले विश्व को युद्ध के दंश से बचाने के लिए हुआ था. उन्होंने सभी से आग्रह किया कि तबाही और पुनर्निर्माण के अर्थहीन चक्र का अंत करने के लिए हरसंभव प्रयास होना चाहिए.

टैक्नॉलजी बैंक

महासचिव गुटेरेश ने सबसे कम विकसित देशों के लिए स्थापित यूएन टैक्नॉलजी बैंक का भी दौरा किया जिसका मुख्यालय तुर्की में है. उन्होंने कहा कि यह आशा और टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा में किसी भी पीछे ना छूटने देने के लिए कार्रवाई का एक सकारात्मक प्रतीक है.  

विश्व में दो अरब लोगों के पास अब भी इंटरनेट तक पहुंच नहीं है और इस खाई को पाटने के लिए गेब्ज़े शहर में इस बैंक को पिछले वर्ष खोला गया था. अपने संचालन के लिए यह बैंक स्वैच्छिक योगदानों और अनुदानों पर निर्भऱ है.

उन्होंने कहा कि विज्ञान और तकनीक नवाचार (इनोवेशन) के विषय में यह बैंक यूएन प्रणाली और उससे बाहर साझेदारियों व बेहतर समन्वयन को बढ़ावा दे रहा है. यह दक्षिण-दक्षिण सहयोग में एक अहम भूमिका अदा कर रहा है.