टिकाऊ शहरों के निर्माण में युवाओं व तकनीक की अहम भूमिका

विश्व की आधी से ज़्यादा आबादी – 3.9 अरब - अब शहरों में रहती है और वर्ष 2050 तक यह संख्या दोगुनी होने की संभावना है. बढ़ते शहरीकरण से नई चुनौतियां पैदा हो रही हैं, लेकिन शहर भावी पीढ़ियों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करने और टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में अग्रणी भूमिका भी निभा सकते हैं. 31 अक्टूबर को ‘विश्व शहर दिवस’ के अवसर पर यही रेखांकित करने का प्रयास किया जा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार रोज़गार के अलावा शहर लोगों को कई प्रकार के अवसर उपलब्ध कराते हैं और विश्व भर में 80 फ़ीसदी से ज़्यादा सकल राष्ट्रीय उत्पाद में योगदान देते हैं. कुल ऊर्जा खपत का 60 से 80 फ़ीसदी और कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का तीन चौथाई हिस्सा शहरी क्षेत्रों में होता है जबकि उनके पास पृथ्वी की सतह का महज़ तीन फ़ीसदी हिस्सा ही है.
इस वर्ष ‘विश्व शहर दिवस’ की थीम “Changing the world: innovations and better life for future generations” रखी गई है जिसका उद्देश्य नवप्रवर्तन (इनोवेशन) के ज़रिए दुनिया में बदलाव लाना और भावी पीढ़ियों के लिए शहरों में जीवन बेहतर बनाना है. टिकाऊ शहरों के निर्माण में तकनीक और युवाओं की भूमिका को अहम बताया गया है.
"Cities generate more than 80% of global gross domestic product & as centers of education and entrepreneurship, they are hubs of innovation & creativity, with young people often taking the lead."--@antonioguterres on Thursday's #WorldCitiesDay: https://t.co/FClgcmIhFI pic.twitter.com/QywqP6hIju
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संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के पैरिस मुख्यालय में गुरुवार को एक समारोह का आयोजन हो रहा है जिसमें विश्व के हर कोने से प्रतिनिधियों को बुलाया गया है.
इस कार्यक्रम में जलवायु संकट से निपटने के रास्तों, समावेशी शहरो का निर्माण करने और तकनीकी नवाचारों (इनोवेशन) में योगदान देने पर विचार-विमर्श होगा. साथ ही मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए नगरपालिकाओं ने जो समाधान अपनाए हैं उनके संबंध में जानकारी को भी साझा किया जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र इन्हीं सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को ध्यान में रखकर लोगों पर आधारित विकास मॉडल को विकसित करने की पैरवी कर रहा है ताकि मौजूदा रुझानों को ध्यान में रखकर शहरों को फिर से मानव जीवन के अनुकूल बनाया जा सके. बढ़ती जनसंख्या, जनसांख्यिकी में बदलाव और जलवायु परिवर्तन से प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते ख़तरों के कारण शहरों में बदलाव ज़रूरी हो गए हैं.
इसी कड़ी में गुरुवार को होने वाले आयोजनों और विमर्शों में चार मुख्य विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा: टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिए शहर; जलवायु कार्रवाई के लिए शहर; समुदायों के लिए शहर; भविष्य के लिए शहर.
'विश्व शहर दिवस' पर इस वर्ष यूनेस्को, यूएन की खाद्य एवं कृषि एजेंसी (FAO), यूएन-हैबिटाट (UN-Habitat) और यूएन शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के साथ साझेदारी के ज़रिए टिकाऊ शहरों के निर्माण के लिए समन्वित कार्रवाई को त्वरित रूप से आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा है.
यूनेस्को ने अपने ‘ग्लोबल क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क’ में 66 नए शहरों को शामिल करने की घोषणा की है जिसके बाद अब इस नेटवर्क में कुल 246 शहर हो गए हैं. सूची में शामिल नए शहरों में मेरिडा और क्वेरेतारो, लाहौर, मुंबई, कार्ल्सरुहे, पॉट्सडैम, सेन खोसे, वैलिंगटन प्रमुख हैं. इस नेटवर्क में उन शहरों को जोड़ा जाता है जहां विकास उनकी सृजनात्मकता – संगीत, कला, डिज़ाइन, सिनेमा, साहित्य, डिजिटल कला या पाक-कला - पर आधारित होता है.
‘विश्व शहर दिवस’ पर सदस्य देशों, नगरपालिकाओं और शहरी जनता से एक साथ मिलकर काम करने की अपील की जाती है ताकि टिकाऊ रणनीतियां अमल में लाई जाएं और शहरों में रूपांतरकारी बदलाव लाना संभव हो.
इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि शहरों में बुनियादी ढांचे का निर्माण करते समय जो निर्णय आने वाले दशकों में लिए जाएंगे उनका निर्णायक प्रभाव कार्बन उत्सर्जन पर पड़ेगा. “निसंदेह, जलवायु परिवर्तन से लड़ाई शहरों में ही जीती या हारी जाएगी.”
बिजली-चालित सार्वजनिक परिवहन, नवीकरणीय ऊर्जा और बेहतर कचरा प्रबंधन को अपनाकर शहर “नवप्रवर्तन (इनोवेशन) और सृजनात्मकता का केंद्र बने हैं और युवा आगे बढ़कर नेतृत्व कर रहे हैं.”
उन्होंने बताया कि ‘विश्व शहर दिवस’ को मनाए जाने के साथ ही ‘अरबन अक्टूबर’ महीने का समापन हो रहा है – इसके ज़रिए शहरी जीवन में पेश आने वाली चुनौतियों और सतत् समाधानों की सफलता के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रसार किया गया.
यूएन प्रमुख ने नवाचारों को अपनाने का संकल्प लेने की अपील करते हुए कहा कि, “इससे भावी पीढ़ियों के लिए एक बेहतर जीवन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी और टिकाऊ, समावेशी शहरी विकास की दिशा में रास्ता प्रशस्त होगा जिससे सभी को लाभ होगा.”