कश्मीर: 'स्थिति मुक्त और अधिकार बहाल हों', मानवाधिकार उच्चायुक्त

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा है कि भारत प्रशासित कश्मीर में आम लोग अब भी बहुत सी बुनियादी स्वतंत्रताओं से वंचित हैं. मानवाधिकार उच्चायुक्त ने भारत प्रशासित कश्मीर में “स्थिति को मुक्त” करने और लोगों के अधिकार पूरी तरह बहाल किए जाने का आग्रह भी किया.
कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश अपनी-अपनी संप्रभुता का दावा करते हैं.
We are extremely concerned that the population of Indian-Administered #Kashmir continues to be deprived of a wide range of #HumanRights and we urge the Indian authorities to unlock the situation and fully restore the rights that are currently being denied: https://t.co/e2rdapIosY pic.twitter.com/wU6N7b6grh
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भारत सरकार द्वारा कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को अगस्त के प्रथम सप्ताह में समाप्त करने के फ़ैसले के बाद पैदा हुए तनावपूर्ण हालात के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त की ये अपील जारी की गई है.
मुस्लिम बहुल क्षेत्र कश्मीर को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत आंशिक स्वायत्तता हासिल थी.
फ़रवरी 2019 में हुए आत्मघाती हमलों के बाद भी क्षेत्र में काफ़ी तनावपूर्ण स्थिति थी.
भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के फ़ैसले पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त पाँच स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने आगाह करते हुए कहा था कि इस फ़ैसले के बाद कश्मीर पर भारतीय केंद्र सरकार का नियंत्रण और ज़्यादा बढ़ गया, शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर पाबंदियाँ लगा दी गई थीं और संचार साधन भी बंद कर दिए गए थे.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के प्रवक्ता रूपर्ट कॉलविले ने मंगलवार को जिनीवा में कहा कि भारत प्रशासित कश्मीर के जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों के ज़्यादातर इलाक़ों से अघोषित कर्फ़्यू तो कुछ ही दिन के भीतर हटा लिया गया था.
प्रवक्ता ने कहा कि ख़बरों के अनुसार “ये अघोषित कर्फ़्यू कश्मीर घाटी के अधिकतर इलाक़ों में तो अब भी जारी है. इसके तहत लोगों के मुक्त आवागमन पर पाबंदियाँ हैं. लोगों के शांतिपूर्ण तरीक़े से सभा करने के अधिकारों का हनन हो रहा है, साथ ही लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और धर्म व आस्था के अधिकार भी सीमित कर दिए गए हैं.”
प्रवक्ता ने प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ अत्यधिक बल प्रयोग किए जाने के आरोपों की तरफ़ भी ध्यान दिलाया जिसमें “पैलेट फ़ायर करने वाली बंदूकों, आँसू गैस और रबर की गोलियों के इस्तेमाल शामिल हैं”.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की घोषणा के बाद जम्मू कश्मीर में अनेक घटनाओं में छह आम लोगों की मौत और कई अन्य लोगों के गंभीर रूप से घायल होने की अपुष्ट ख़बरें भी मिली हैं.
प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय को ऐसी खबरें भी मिली हैं कि भारत प्रशासित कश्मीर में सशस्त्र गुटों ने कुछ ऐसे लोगों को धमकियाँ दी हैं जो या तो कामकाज करने या स्कूलों को जाने की कोशिश कर रहे थे.
प्रवक्ता का कहना था कि ख़बरों के अनुसार 5 अगस्त के बाद से हथियारबंद गुटों के सदस्यों के कथित हमलों में कम से कम छह लोग मारे गए हैं और अनेक घायल हुए हैं.
रूपर्ट कॉलविले का कहना था कि भारत प्रशासित कश्मीर में अलबत्ता लैंडलाइन टेलीफ़ोन पर से पाबंदियाँ हटा ली गई हैं और एक सरकारी कंपनी ने मोबाइल फ़ोन सेवाएँ भी आंशिक रूप से शुरू कर दी हैं, फिर भी इंटरनेट सेवाएँ अब भी बंद हैं.
मानवाधिकार उच्चायुक्त प्रवक्ता ने ज़्यादा जानकारी देते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद दो केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने हैं जो 31 अक्तूबर को वजूद में आएंगे.
प्रवक्ता ने कहा कि इस मौक़े पर सैकड़ों राजनैतिक व सिविल सोसायटी कार्यकर्ताओं को “एहतियाती उपायों की दलील” के साथ बंदी बनाया गया है.
प्रवक्ता का ये भी कहना था कि कुछ राजनैतिक कार्यकर्ताओं को रिहा भी कर दिया गया है, अलबत्ता कश्मीर घाटी के वरिष्ठ राजनैतिक नेताओं को अब भी बंदी बनाकर रखा गया है.