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दो तिहाई महिलाओं ने गर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल छोड़ा - रिपोर्ट

इंडोनेशिया के एक स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराती एक महिला.
© UNICEF
इंडोनेशिया के एक स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराती एक महिला.

दो तिहाई महिलाओं ने गर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल छोड़ा - रिपोर्ट

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र का एक नया अध्ययन दर्शाता है कि एक सर्वे में शामिल दो तिहाई महिलाओं ने गर्भधारण करने की इच्छा ना होने के बावजूद गर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल बंद कर दिया क्योंकि उन्हें उसके स्वास्थ्य प्रभावों के प्रति चिंता थी. इसके परिणामस्वरूप एक चौथाई से ज़्यादा ऐसे मामले मामले आए जिनमें महिलाओं ने बिना मंशा के ही गर्भधारण कर लिया.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट शुक्रवार को प्रकाशित की है. परिवार नियोजन को परखने के इरादे से यह अध्ययन 15 से 49 वर्ष की दस हज़ार महिलाओं पर आधारित था जो 36 निम्न और मध्य आय वाले देशों से हैं.

यह अध्ययन पुष्टि करता है कि बिना कसी मंशा के गर्भधारण करने वाली 65 फ़ीसदी महिलाओं ने या तो गर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल नहीं किया या फिर पारंपरिक तरीक़ों का सहारा लिया.

बिना मंशा के गर्भ धारण करने वाली 50 फ़ीसदी महिलाओं ने गर्भवती होने से पांच साल पहले से किसी भी गर्भनिरोधक उपाय का इस्तेमाल नहीं किया था. 10 प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि जो भी तरीक़े उन्होंने इस्तेमाल किए वे सब पारंपरिक थे.

विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि बिना मंशा के गर्भधारण होने का अर्थ हमेशा अनचाहा गर्भधारण नहीं होता है. इसे उपयुक्त योजना के बग़ैर गर्भधारण माना जा सकता है जिसके शिशु और मां के लिए स्वास्थ्य जोखिम और जटिलताएं हो सकती हैं – जैसे कुपोषण, बीमारी, उपेक्षा या फिर मौत भी.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि जन्म नियंत्रण के प्रति चिंताओं और मुद्दों को असरदार परिवार नियोजन, परामर्श और समर्थन के ज़रिए दूर किया जा सकता है.

बिना योजना के गर्भधारण को सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताया गया है. निम्न और मध्य आय देशों में सात करोड़ से ज़्यादा महिलाएं हर वर्ष इसका सामना करती हैं. इस वजह से ढाई करोड़ से ज़्यादा महिलाएं असुरक्षित गर्भपात कराती हैं और 47 हज़ार से ज़्यादा मातृत्व मौतें होती हैं.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के अनुसार गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जटितताओं की वजह से किशोर लड़कियों (15-19 वर्ष) की बड़ी संख्या में मौत होती है. अक्सर इन युवा महिलाओ और लड़कियों को स्वास्थ्य से जुड़ी ज़रूरी सूचनाएं और सेवाएं नहीं मिल पाती हैं.

इस चुनौती से निपटने के लिए क़ानूनी, नीतिगत, सामाजिक और सांस्कृतिक अवरोधों से पार पाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है.

साथ ही प्रभावी गर्भनिरोधक सेवाओं को उन महिलाओं को मुहैया कराना भी अहम होगा जो चिंताओं के साथ रहने को मजबूर हैं. इसके अलावा कुशल स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा प्रभावी देखरेभ भी महत्वपूर्ण है.