राजनैतिक व्यवस्था में टूटते भरोसे को बहाल करने की पुकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि हाल के दिनों में दुनिया के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन दिखाते हैं कि लोग पीड़ा में हैं और अपनी आवाज़ों को सुनाना चाहते हैं. उन्होंने विश्व नेताओं से आग्रह किया है कि जनता और राजनैतिक व्यवस्था के बीच घटते भरोसे को बहाल करने और असमानता दूर करने के लिए तत्काल उचित प्रयासों की आवश्यकता है.
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि हर देश में स्थिति अलग है लेकिन कुछ ऐसे अंतर्निहित कारण हैं जिनसे राजनैतिक तंत्र और जनता के बीच सामाजिक अनुबंध को ख़तरा बढ़ रहा है.
“यह स्पष्ट है लोगों और राजनीतिक व्यवस्था में भरोसे का अभाव है और यह खाई बढ़ रही है जिससे सामाजिक अनुबंध को ख़तरा बढ़ रहा है.”
“दुनिया भर में विरोध प्रदर्शनों की बयार बह रही है. मध्य पूर्व से लातिन अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्र तक, और योरोप से अफ़्रीका व एशिया तक. लोगों के जीवन में अशांति से शहरों के चौराहों और सड़कों पर शांति भंग हो रही है.”
The global wave of demonstrations we are witnessing shows a growing lack of trust between people and political establishments.People are hurting and want to be heard.We must listen to the real problems of real people, and work to restore the social contract. pic.twitter.com/yDXXTkPqkj
antonioguterres
इससे पहले शुक्रवार को जिनीवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने मौजूदा और हाल के समय में बोलिविया, चिली, हॉंगकॉंग, इक्वाडोर, मिस्र, गिनी, हेती, इराक़ और लेबनान में विरोध प्रदर्शनों की ओर ध्यान आकृष्ट किया था.
वर्ष 2019 में ही अल्जीरिया, होंडुरस, निकरागुआ, मलावी, रूस, सूडान, ज़िम्बाब्वे, फ़्रांस, स्पेन और ब्रिटेन में भी प्रदर्शन हो चुके हैं.
कुछ विरोध प्रदर्शन आर्थिक मुद्दों जैसे बढ़ती महंगाई, लगातार क़ायम सामाजिक असमानता और ऐसे वित्तीय तंत्र की विजह से हुए हैं जिसमें सिर्फ़ कुलीन वर्ग को ही फ़ायदा हो रहा है. लेकिन अन्य प्रदर्शनों के मूल में राजनीतिक मांगें हैं.
यूएन प्रमुख ने कहा कि लोग एक ऐसी व्यवस्था चाहते हैं जिसमें सभी के लिए समान सामाजिक, आर्थिक और वित्तीय प्रणाली हो और जो सभी के लिए काम करे.
“वे अपने मानवाधिकारों का सम्मान चाहते हैं और उनके जीवन पर प्रभाव डालने वाले फ़ैसलों में अपनी आवाज़ सुनना चाहते हैं.”
उन्होंने ध्यान दिलाया कि दुनिया वैश्वीकरण और नई तकनीकों से आए बदलावों और उनकी चुनौतियों से जूझ रही है. इन बदलावों से समाजों में असमानताएं बढ़ी हैं. हर उस जगह जहां लोग प्रदर्शन नहीं भी कर रहे हैं वहां भी लोग दुखी हैं और अपनी आवाज़ सुनाना चाहते हैं.
महासचिव गुटेरेश ने विरोध प्रदर्शनों में हिंसा होने और लोगों की जान जाने पर चिंता भी जताई. उन्होंने रेखांकित किया कि सरकारों की यह ज़िम्मेदारी हैं वे अभिव्यक्ति की आज़ादी का सम्मान और शांतिपूर्ण ढंग से एकत्र होने के अधिकार की रक्षा करें.
“सुरक्षा बलों को अधिकतम संयम बरतना होगा और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का पालन करना होगा.”
यूएन प्रमुख ने प्रदर्शनकारियों से भी अपील की है कि उन्हें महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग और अहिंसा के अन्य प्रणेताओं से सबक लेना चाहिए.
“हिंसा को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता. मैं सभी नेताओं से आग्रह करता हूं कि वे वास्तविक लोगों की वास्तविक समस्याओं को सुनें.”
न्यायसंगत वैश्वीकरण के निर्माण, सामाजिक जुड़ाव को मज़बूत बनाने और जलवायु संकट से निपटने के लिए हमारी दुनिया को कार्रवाई और महत्वाकांक्षा की ज़रूरत है.
टिकाऊ विकास लक्ष्यों और 2030 एजेंडा के मूल में यही है.
उन्होंने कहा कि एकजुटता और स्मार्ट नीतियों के ज़रिए नेता बता सकते हैं कि उन्हें मुद्दों की समझ हैं और इस तरह एक न्यायोचित विश्व की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है.