पोलियो को जड़ से मिटाने के बेहद क़रीब पहुंची दुनिया

ज़ाम्बिया के न्दोला में नर्स एक बच्चे को वैक्सीन देते हुए.
© UNICEF/Karin Schermbrucke
ज़ाम्बिया के न्दोला में नर्स एक बच्चे को वैक्सीन देते हुए.

पोलियो को जड़ से मिटाने के बेहद क़रीब पहुंची दुनिया

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने घातक पोलियो बीमारी के तीन में दो प्रकार के वायरस के उन्मूलन को मानवता के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि क़रार दिया है. गुरुवार, 24 अक्टूबर, को विश्व पोलियो दिवस पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह ने बीमारी के टाइप-3 वायरस (WPV3) के पूर्ण उन्मूलन की पुष्टि की है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) ने बताया कि अब यह बीमारी पूरी तरह ख़त्म होने के नज़दीक पहुंच गई है और इससे प्रभावित बच्चों के मामलों में 1988 की तुलना में 99 फ़ीसदी की कमी आई है. विश्व पोलियो दिवस हर वर्ष 24 अक्टूबर को मनाया जाता है और इसका लक्ष्य पोलियो उन्मूलन के प्रयासों को स्फूर्ति प्रदान करना है.

1988 में पोलियो के साढ़े तीन लाख से ज़्यादा मामले सामने आए थे लेकिन अब इनकी संख्या घटकर महज़ 40 रह गई है. पोलियो से प्रभावित देशों की संख्या में भी कमी आई है.

अब तक तीन प्रकार के पोलियो वायरस देखने को मिले हैं: वाइल्ड पोलियो वायरस टाइप 1 (WPV1), वाइल्ड पोलियो वायरस टाइप 2 (WPV2) और वाइल्ड पोलियो वायरस टाइप 3 (WPV3). WPV3 से पहले वर्ष 2015 में WPV2 का उन्मूलन कर दिया गया था.

इन तीनों प्रकार के पोलियो में एक जैसे ही लक्षण देखने को मिलते हैं जिससे पीड़ित अपंगता का शिकार होते थे और मांसपेशियों में हरक़त ना होने से अक्सर उनकी मौत भी हो जाती थी. अन्य शुरुआती लक्षणों में बुखार, थकान, गर्दन में खिंचाव होता है लेकिन 90 फ़ीसदी से ज़्यादा पीड़ितों में मामूली या कोई लक्षण देखने को नहीं मिलता.

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पहले पोलियो से 125 देशों में लोग पीड़ित थे लेकिन अब सिर्फ़ दो देशों – पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान - में इसके मामले देखने को मिले हैं.

एक समय नाइजीरिया में पोलियो बीमारी एक बड़ी चुनौती थी लेकिन पिछले तीन साल से वहां इस बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया है. उम्मीद जताई गई है कि वर्ष 2020 तक नाइजीरिया को भी पोलियो मुक्त घोषित कर दिया जाएगा.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि स्मॉलपॉक्स और वाइल्ड पोलियो वायरस टाइप टू के उन्मूलन के बाद यह ख़बर मानवता के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. अब इस वायरस का महज़ एक प्रकार ही बचा है जिसका ख़ात्मा होना है.

बीमारी पर क़ाबू पाने के प्रयासों के तहत कई पहलों को शुरू किया गया जिनमें ‘ग्लोबल पोलियो इरेडीकेशन इनिशिएटिव’ भी शामिल है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी, यूनीसेफ़ और अन्य साझेदार संगठनों के प्रयासों के फलस्वरूप 1.8 करोड़ लोग आज चल पा रहे हैं, नहीं तो वे इस अपंग बनाने वाले वायरस का शिकार हो जाते.

पोलियो उन्मूलन की दिशा में हुए प्रयासों से पिछले 30 सालों में स्वास्थ्य देखरेख में 27 अरब डॉलर की बचत करने में मदद मिली है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक़ पोलियो उन्मूलन एक ऐसे समय में कड़ा संदेश भेजता है जब टीकाकरण में आम लोगों के भरोसे को कमज़ोर बनाया जा रहा है.

 वैक्सीन की सुरक्षा पर सवाल उठने और ग़लत जानकारी के फैलने के इस दौर में पोलियो उन्मूलन दर्शाता है कि टीकाकरण के फ़ायदे हैं.

यूनीसेफ़ ने ज़ोर देकर कहा है कि पोलियो को ग़ायब होते देखने का अर्थ है कि हर घर में हर बच्चे को वैक्सीन दी जानी चाहिए. यूएन एजेंसी हर वर्ष एक अरब ख़ुराकों का वितरण कर रही है लेकिन अब भी हज़ारों की संख्या इसे नहीं ले पा रहे हैं.

पोलियो वैक्सीन से अछूते बच्चे आम तौर पर हिंसक संघर्ष से प्रभावित या फिर दूर-दराज़ के क्षेत्रों में रहते हैं जहां पहुंचना एक बड़ी चुनौती है.

वंचित समुदाय पहले से बुनियादी सुविधाओं जैसे जल, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता जैसी मुश्किलों को झेल रहे हैं ऐसे में पोलियो वैक्सीन मुहिमों का लक्षित ढंग से संचालित किए जाने की आवश्यकता है.