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ख़तरनाक समुद्री यात्राएं फिर करने से नहीं हिचकेंगे अफ़्रीकी प्रवासी

गाम्बिया के दो युवक इटली पहुंचने के बाद एक नक्शे को देखते हुए.
© UNICEF/Ashley Gilbertson
गाम्बिया के दो युवक इटली पहुंचने के बाद एक नक्शे को देखते हुए.

ख़तरनाक समुद्री यात्राएं फिर करने से नहीं हिचकेंगे अफ़्रीकी प्रवासी

प्रवासी और शरणार्थी

जोखिम भरे समुद्री मार्गों से होकर अफ़्रीका से यूरोप तक की ख़तरों भरी यात्राओं में अब तक हज़ारों लोगों की जान जा चुकी है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र के एक नए अध्ययन के अनुसार 93 फ़ीसदी अफ़्रीकी प्रवासियों का कहना है कि अगर ज़रूरत हुई तो अपनी जान को जोखिम में डाल कर वे ऐसी यात्राएं फिर करने के लिए तैयार हैं.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की नई रिपोर्ट, Scaling Fences: Voices of Irregular African Migrants to Europe, में यह समझने का प्रयास किया गया है कि प्रवासी घर छोड़कर अपने भविष्य को मानव तस्करों के हाथों में सौंपने और जोखिम भरे समुद्री जल मार्ग के सहारे सीमाओं को पार करने के लिए किस तरह राज़ी हो जाते हैं.

इस रिपोर्ट को 39 अफ़्रीकी देशों के उन 1,970 प्रवासियों के साथ बातचीत के बाद तैयार किया गया है जो अब 13 योरोपीय देशों में रह रहे हैं. सर्वे में शामिल सभी लोगों का कहना है कि आप्रवासन, शरण या संरक्षण के क़ानूनी ज़रियों के बजाए उन्होंने अनियमित रास्तों का रास्ता लिया.

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क़रीब 58 फ़ीसदी से ज़्यादा प्रवासी योरोप का रुख़ करने से ठीक पहले या तो नौकरी कर रहे थे या फिर पढ़ाई कर रहे थे. नौकरी कर रहे अधिकांश लोगों को अच्छा वेतन भी मिल रहा था लेकिन उनमें से लगभग 50 फ़ीसदी का मानना था कि वे पर्याप्त नहीं कमा पा रहे हैं.

62 प्रतिशत प्रवासियों का मानना है कि सरकारों ने उनकी जातीय पहचान और राजनैतिक विचारों के कारण उनके साथ न्यायोचित व्यवहार नहीं किया. 77 फ़ीसदी के मुताबिक उनके देश की राजनैतिक प्रणाली में उनकी आवाज़ को अनसुना कर दिया गया और सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का उनके पास कोई ज़रिया नहीं था. 

यूएनडीपी प्रशासक एखिम श्टाइनर का कहना है कि, “यह रिपोर्ट रेखांकित करती है कि प्रवासन पूरे अफ़्रीका में विकास प्रगति से उपजी गूंज है – प्रगति जो असमान है और इतनी तेज़ नहीं है कि लोगों की आकांक्षाओं को पूरी कर सके. इस अध्ययन में अवसरों में अवरोध या विकल्प का अभाव मुख्य कारक के रूप में सामने आया है जो इन युवाओं के निर्णय को प्रभावित करता है.”

रिपोर्ट स्पष्ट तौर पर दर्शाती है कि प्रवासन के पीछे छिपी वजहों में सिर्फ़ नौकरी की तलाश नहीं है. ना ही सभी अनियमित प्रवासी अफ़्रीका में ग़रीबी में जीवन गुज़ार रहे थे और ना ही उनकी शिक्षा का स्तर कम था.

“लोग अनियमित मार्गों से यात्राएं क्यों करते हैं और ऐसा करते समय वे क्या अनुभव करते हैं, यह रिपोर्ट उन कारणों पर प्रकाश डालती है.”

रिपोर्ट बताती है कि प्रवासियों का ‘मिशन’ अपने घर पर्याप्त धन भेजना है और ऐसा ना कर पाने में उन्हें शर्मिंदगी पैदा होती है जिसकी वजह से वे मुश्किलों के बावजूद योरोप में काम करना जारी रखते हैं.

लगभग 53 फ़ीसदी लोगों का कहना है कि यात्रा पूरी करने के लिए उन्हें अपने परिवार या मित्रों से सहारा मिला और 78 फ़ीसदी लोग योरोप पहुंचने के बाद अपने घर धन भेज रहे हैं.

एक प्रवासी के रूप में महिलाओं व पुरुषों को अलग-अलग अनुभव होते हैं.

अफ़्रीका में लैंगिक स्तर पर वेतन में खाई है जिसका लाभ आम तौर पर पुरुषों को मिलता है. लेकिन योरोप में स्थिति बदल जाती है और महिलाएं पुरुषों की तुलना में 11 फ़ीसदी अधिक कमा रही हैं जबकि अफ़्रीका में उनकी आय पुरुषों की तुलना में 26 फ़ीसदी अधिक थी.

महिलाएं ज़्यादा संख्या में योरोप से अपने घर धन भेज रही हैं – वे महिलाएं भी जिनकी अभी आय नहीं है. लेकिन अपराध के विषय में महिलाएं अधिक संख्या में पीड़ित हैं.

सर्वे किए जाने से पहले के छह महीनों में किसी अपराध का शिकार होने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में ज़्यादा थी और उन्हें यौन हमलों का दंश भी झेलना पड़ा.

यूएनडीपी के मुताबिक़ यह रिपोर्ट अफ़्रीका में अवसरों और विकल्पों का दायरा बढ़ाने और प्रवासन के अवसरों को अनियंत्रित से नियंत्रित करने की एक पुकार है. इसका लक्ष्य प्रवासन को ‘ग्लोबल कॉम्पैक्ट’ के अनुरूप सुरक्षित, सुव्यवस्थित और नियमित बनाना है.