'चरम ग़रीबी का अंत ज़रूरी' है टिकाऊ भविष्य के लिए

वैश्वीकरण से यदि सभी बच्चों, उनके परिवारों और समुदायों को लाभ नहीं पहुंचा तो सर्वजन के लिए टिकाऊ भविष्य का निर्माण कर पाना संभव नहीं होगा. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने 'अंतरराष्ट्रीय ग़रीबी उन्मूलन दिवस' पर जारी अपने संदेश में ग़रीबी के कुचक्र को तोड़ने के लिए किए जा रहे प्रयासों में बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करने की पुकार लगाई है.
अंतरराष्ट्रीय ग़रीबी उन्मूलन दिवस हर वर्ष 17 अक्टूबर को मनाया जाता है. विश्व में 70 करोड़ से ज़्यादा लोग प्रतिदिन 1.90 डॉलर से कम में जीवन यापन करने के लिए मजबूर हैं और यह दिवस उन्हीं के जीवन संघर्ष को रेखांकित करता है.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “चरम ग़रीबी को समाप्त करना टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने और सभी के लिए टिकाऊ भविष्य का निर्माण करने के प्रयासों के केंद्र में हैं. लेकिन किसी को भी पीछे ना छूटने देने के प्रयासों में सफलता तब तक दूर रहेगी जब तक उन लोगों को पहले सहारा नहीं दिया जाता जो सबसे पीछे छूट गए हैं.”
यूएन प्रमुख ने बताया कि इस वर्ष बच्चों, उनके परिवारों और समुदायों को सशक्त बनाने के लिए कार्रवाई पर ज़ोर दिया जा रहा है क्योंकि इसी वर्ष बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र संधि को 30 वर्ष पूरे हुए हैं.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि वयस्कों की तुलना में बच्चों के चरम ग़रीबी में रहने की दोगुनी आशंका होती है जिसके दुष्परिणाम उन्हें जीवनपर्यंत झेलने पड़ते हैं और उनकी अगली पीढ़ी भी इससे प्रभावित रहती है.
जलवायु परिवर्तन की चुनौती और उसके नकारात्मक प्रभाव बच्चों के लिए हालात और विकट बना रहे हैं.
लड़कियों को विशेष रूप से इस समस्या से ख़तरा होगा लेकिन यूएन प्रमुख के मुताबिक़ उनके पास बदलाव लाने का बल भी है.
“एक लड़की द्वारा स्कूल में हर एक साल अतिरिक्त गुज़ारने पर जीवनकाल में उनकी औसत आय बढ़ती है, उसकी जल्द शादी होने की संभावना घटती है और उसके बच्चों के लिए स्वास्थ्य व शिक्षा में लाभ मिलता है. ग़रीबी के कुचक्र को तोड़ने में यह एक अहम कारक है.”
ग़रीबी का अंत उन 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों में शामिल है जिन्हें विश्व नेताओं ने 2015 में अपनाया था और जिन्हें वर्ष 2030 तक हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है.
पारिवारिक ग़रीबी को दूर करना बच्चों को इस स्थिति से उबारने में सबसे अहम रास्ता है.
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि गुणवत्तापरक सामाजिक सेवाओं की उपलब्घधता प्राथमिकता होनी चाहिए लेकिन दो तिहाई बच्चों के पास सामाजिक संरक्षण नीतियां नहीं हैं.
अभिभावकों के लिए छुट्टी, कामकाज पूरा करने के तरीक़ों में लचीलापन और परिवार केंद्रित नीतियां की अनिवार्यता पर भी बल दिया गया है.
अपने संदेश के आख़िर में यूएन महासचिव ने एक अपील जारी करते हुए कहा, “इस अंतरराष्ट्रीय दिवस पर, आइए, टिकाऊ विकास के पहले लक्ष्य को हासिल करने और सभी बच्चों, परिवारों और समुदायों के लिए हितकारी न्यायसंगत वैश्वीकरण के लिए फिर से संकल्प लें.”