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बुर्किना फासो में मस्जिद पर हुए हमले की कड़ी भर्त्सना

बुर्किनी फासो के उत्तरी इलाक़े में पानी की तलाश में निकला एक परिवार, हिंसक संघर्ष ग्रस्त इलाक़े में लगभग साढ़े नौ लाख लोग भारी खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं.
OCHA/Otto Bakano
बुर्किनी फासो के उत्तरी इलाक़े में पानी की तलाश में निकला एक परिवार, हिंसक संघर्ष ग्रस्त इलाक़े में लगभग साढ़े नौ लाख लोग भारी खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं.

बुर्किना फासो में मस्जिद पर हुए हमले की कड़ी भर्त्सना

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुर्किना फासो के उत्तरी शहर सलमोस्सी में एक मस्जिद पर किए गए हमले की कड़ी भर्त्सना की है. मस्जिद पर शुक्रवार 11 अक्तूबर को दोपहर की नमाज़ के समय हमला किया गया था.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुर्किना फासो के उत्तरी शहर सलमोस्सी में एक मस्जिद पर किए गए हमले की कड़ी भर्त्सना की है. मस्जिद पर शुक्रवार 11 अक्तूबर को दोपहर की नमाज़ के समय हमला किया गया.

महासचिव ने इस हमले में हताहत हुए लोगों के परिवारों बुर्किना फासो की सरकार व लोगों के साथ गहरी संवेदना प्रकट की है.

उन्होंने घायल हुए लोगों के जल्दी स्वस्थ होने की कामना भी की है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि महासचिव ने बुर्किनी फासो में सामाजिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने के लिए सयुक्त राषट्र वहाँ की सरकार व लोगों के साथ मिलकर काम करता रहेगा.

साथ ही बुर्किना फासो में टिकाऊ विकास का रास्ता साफ़ करने के लिए भी देश की मदद करता रहेगा.

इस बीच संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) और उसके साझीदार संगठनों ने बुर्किना फासो के मध्यवर्ती और उत्तरी क्षेत्रों में पनप रहे मानवीय संकट के बारे में आगाह किया है.

इन इलाक़ों में हर दिन लाखों लोगों का जीवन असुरक्षा और हिंसा के माहौल में बाधित हो रहा है.

लगभग 4 लाख 86 हज़ार लोग देश के भीतर ही विस्थापित हुए हैं.

उनमें से लगभग 2 लाख 67 हज़ार लोगों को तो पिछले तीन महीनों के दौरान ही अपने घर छोड़ने पड़े हैं. क़रीब 16 हज़ार लोगों को पड़ोसी देशों में पनाह लेनी पड़ी है. 

शरणार्थी एजेंसी का कहना है कि बुर्किना फासो के सहेल इलाक़े में हथियारबंद हिंसा की वजह से अभूतपूर्व मानवीय आपदा की स्थिति पैदा हो गई है.

हज़ारों लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में लगातार सफ़र में हैं जिससे वो बहुत तकलीफ़ों का सामना कर रहे हैं.

वो ऐसे परिवारों की तलाश में हैं जो उन्हें रहने के लिए ठिकाना मुहैया करा सकें या फिर इस उम्मीद में यात्रा कर रहे हैं कि कहीं सरकारी स्थान ही मिल जाएँ जहाँ वो कुछ समय के लिए ठहर सकें.

इनमें से कुछ लोगों को तो बार-बार विस्थापित होना पड़ा है. इन विस्थापितों का अपने मूल स्थानों की वापसी की संभावनाएँ बहुत कम हैं.

इसका परिणाम ये देखने को मिल रहा है कि उनकी ख़ुद की और जिन परिवारों ने उन्हें अपने यहाँ पनाह दी हुई है, उनकी ज़रूरतें पूरी नहीं होने की वजह से उनके हालात बहुत नाज़ुक बन गए हैं.

ख़ासतौर पर महिलाओं और किशोर लड़कियों के लिए हालात बहुत ख़तरनाक हैं क्योंकि स्वास्थ्य और अन्य ज़रूरी सेवाओं का ढाँचा चरमरा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के सहायताकर्मियों ने जिन लोगों से मुलाक़ात की है, वो बहुत ही मुसीबत वाले हालात में जीने को मजबूर हैं.

ख़बरों के अनुसार 2018 के बाद से लगभग 472 हमले हुए. उन हमलों और सेना विरोधी अभियानों में 500 से भी ज़्यादा लोग मारे गए हैं. 

एजेंसी को ऐसी भी रिपोर्टें मिली हैं कि इन हमलों और असुरक्षा के हालात की वजह से स्वास्थ्य व शिक्षा सेवाओं सहित लोगों के आवागमन की स्वतंत्रता बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

इस समय हालात इतने गंभीर हैं कि बुर्किनी फासो के सभी 13 क्षेत्रों में लोग हिंसा से बचने की कोशिश कर रहे हैं.

एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट है कि देश में मानवीय सहायता की ज़रूरतें बहुत तेज़ी से बढ़ रही हैं और संघर्ष, हिंसा व असुरक्षा के हालात की वजह से लाखों लोगों का जीवन बिखरने के कगार पर है.

विस्थापितों को सहारा देने वाले परिवारों के हालात भी पहले से ही नाज़ुक हैं, और वो ख़ुद भी बहुत कम संसाधनों पर गुज़र-बसर करने को मजबूर हैं.