अफ़ग़ानिस्तान जांच: ड्रग्स लैब पर बमबारी में कम से कम 60 लोगों की मौत

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNAMA) ने कहा है कि कथित रूप से मेथाफ़ेटामाइन - नशीली दवा (ड्रग्स) - बनाने के ठिकानों को सैन्य रूप से निशाना बनाते हुए उन पर हवाई बमबारी नहीं की जानी चाहिए थी. यूएन मिशन की जांच में पाया गया है कि इन ठिकानों का सीधे तौर पर तालिबान के साथ संबंध स्थापित नहीं हो पाया है. अमेरिकी सेना की इस कार्रवाई में कम से कम 60 आम नागरिकों के मारे जाने की रिपोर्टें हैं.
अफ़ग़ानिस्तान के फ़ाराह प्रांत के बाकवा और डेलाराम ज़िलों में 5 मई 2019 को हुई इस हवाई कार्रवाई में 60 स्थानों पर नुक़सान हुआ जिसकी जानकारी एक विशेष रिपोर्ट में सामने आई है.
अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने 39 आम लोगों के हताहत होने की पुष्टि कर दी है – इनमें 30 लोगों की मौत हुई है, पांच घायल हुए हैं और चार के बारे में कोई पुख़्ता जानकारी नहीं मिल पाई है. हताहतों में 14 बच्चे और एक महिला शामिल हैं.
United Nations special report examines impact on civilians of United States airstrikes on alleged drug-processing facilities in #Afghanistan and determines that the operation caused a large number of civilian casualties. Read more: https://t.co/tq1tDz9cS3 #ZeroCivilianCasualties pic.twitter.com/INxUya5M9L
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इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) और यूएन मिशन ने साझा रूप से तैयार किया है.
यूएन मिशन ने कहा है कि कुछ अन्य विश्वसनीय रिपोर्टों के अनुसार 37 अन्य आम नागरिकों के हताहत होने की ख़बर है जिनमें अधिकांश बच्चे और महिलाएं हैं.
रिपोर्ट दर्शाती है कि, “इस हवाई कार्रवाई में जो आम लोग हताहत हुए उनमें से कुछ ड्रग्स लैब में काम कर रहे थे लेकिन महिलाएं और बच्चे उनमें नहीं थे.”
रिपोर्ट के अनुसार इस बमबारी से किसी भी तरह से सैन्य लाभ होने की गुंजाइश नहीं है और कुछ ऐसी इमारतों को भी निशाना बनाया गया है जिनमें परिवार रहते थे और सीधे तौर पर उनका ड्रग्स बनाने की गतिविधियों से संबंध नहीं था.
मेथाफ़ेटामाइन एक ग़ैरक़ानूनी उत्तेजक पदार्थ है जिसका सेवन करने की लत लग जाती है. इसे आम तौर पर अस्थाई प्रयोगशालाओं में ऐसे रसायनों के ज़रिए बनाया जाता है जो आसानी से उपलब्ध होते हैं.
यूएन मिशन ने पाया है कि ऐसे नागरिक प्रतिष्ठान जिन्हें ग़ैरक़ानूनी ढंग से ड्रग्स बनाने की प्रयोगशालाओं के रूप में इस्तेमाल में लाया जा रहा था, उनका तालेबान से सीधा संबंध होने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं और इसलिए सैन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उन्हें निशाना बनाने की ज़रूरत स्पष्ट नहीं है.
बाकवा ज़िले पर तालेबान का नियंत्रण है और वो अपनी गतिविधियों के लिए ड्रग्स बनाने के ठिकानों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन इस बमबारी में जिन ठिकानों को निशाना बनाया गया उन पर तालिबान का नियंत्रण पूरी तरह स्थापित नहीं हुआ है. जांच के मुताबिक़ अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स नेटवर्क से जुड़े आपराधिक संगठन इन्हें संचालित कर रहे थे.
यूएन मिशन और मानवाधिकार कार्यालय ने ड्रग्स बनाने के ठिकानों पर हवाई बमबारी को रोके जाने की एक अपील जारी की है.
उनके मुताबिक़ इस तरह के हमले पहले भी होते आए हैं लेकिन यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में आम लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है.
जांच के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सुरक्षा बलों ने अपनी समीक्षा में पाया कि हवाई कार्रवाई में कोई आम नागरिक हताहत नहीं हुआ.
अमेरिका की नीति है कि यदि किसी आर्थिक प्रतिष्ठान से युद्धक गतिविधियों में किसी पक्ष को मदद मिलती है तो उसे सैन्य निशाना बनाया जा सकता है लेकिन रिपोर्ट बताती है कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों के विपरीत है.
अफ़ग़ानिस्तान में ड्रग्स के बढ़ते इस्तेमाल और कारोबार से उपजते ख़तरे को स्वीकार किया गया है और इससे देश के लोगों को हो रहे नुक़सान के प्रति चिंता भी जताई गई है.
लेकिन रिपोर्ट बताती है कि हवाई बमबारी के विकल्प के तौर पर - आम नगारिकों की जान को ख़तरे में डालने वाले सैन्य अभियानों के बजाय, उपयुक्त और क़ानूनी कार्रवाई के ज़रिए ही इस चुनौती से निपटा जाना चाहिए.
इस रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों को सार्वजनिक करने की मांग की गई है और जवाबदेही तय करने के लिए प्रयासों की आवश्यकता और पीड़ितों और उनके परिजनों को सहारा देने के लए उचित उपायों की अहमियत को भी रेखांकित किया गया है.