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विश्व पर्यावास दिवस: कचरे को संपदा में बदलने पर ज़ोर

तकनीक की मदद से सुनियोजित और स्मार्ट प्रबंधन वाले शहरों का विकास संभव है.
UN-Habitat
तकनीक की मदद से सुनियोजित और स्मार्ट प्रबंधन वाले शहरों का विकास संभव है.

विश्व पर्यावास दिवस: कचरे को संपदा में बदलने पर ज़ोर

एसडीजी

कचरे की बढ़ती समस्या सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण और जलवायु पर हानिकारक असर डाल रही है लेकिन आधुनिकतम तकनीक और नवप्रवर्तन (इनोवेशन) के ज़रिए इस चुनौती का बेहतर और सस्ता समाधान भी तलाश किया जा सकता है. सोमवार को विश्व पर्यावास दिवस (World Habitat Day) पर संदेश दिया गया है कि शहरों और समुदायों को कचरे की उपलब्धता को एक व्यवसायिक अवसर के रूप में देखना होगा.

इस वर्ष ‘विश्व पर्यावास दिवस’ के अवसर पर विशेष रूप से कचरा प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस अवसर पर जारी अपने संदेश में कहा कि, “हम जितना कचरा पैदा करते हैं उसकी मात्रा घटाने की आवश्यकता है. साथ ही इसे एक मूल्यवान संसाधन के रूप में देखना शुरू करना होगा जिसे बार-बार इस्तेमाल में लाया जा सके और ऊर्जा सहित अन्य कामों में रिसायकल किया जा सके.”

इस दिवस पर मानव बस्तियों के लिए यूएन एजेंसी (UN-Habitat) ने ठोस कचरे की बढ़ती चुनौती से निपटने के प्रति जागरूकता का प्रसार करने के उद्देश्य से "Waste Wise Cities" मुहिम शुरू की है.

इस मुहिम के तहत, शहरों का आह्वान किया गया है कि वे कुछ सिद्धांतों को बरक़रार रखने के लिए संकल्प लें.

इसके अंतर्गत कचरे की मात्रा और प्रकार का मूल्यांकन करने, कचरा एकत्र करने की प्रक्रिया बेहतर बनाने, शहरों को पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित बनाने और कचरे से ऊर्जा उत्पादन की योजनाओं को लागू करने से है.

मुहिम ध्यान दिलाती है कि शहरों के लिए बनाए गए बजट का अच्छा-ख़ासा हिस्सा कचरे पर ख़र्च होता है, और कचरा प्रबंधन को पर्याप्त वित्तीय पोषण नहीं मिल पा रहा है. लेकिन नई तकनीक के इस दौर में शहरों को साफ़ करने और कचरे के किफ़ायती समाधान तलाश करने में मदद मिल सकती है.

उदाहरण के तौर पर इन तकनीकों में स्वचालन (automation) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (artificial intelligence) को शामिल किया गया है जिन्हें अगर एक साथ इस्तेमाल में लाया जाए तो रिसायकल हो सकने वाले कचरे की दक्षतापूर्ण ढंग से पहचान हो सकती है.

स्मार्ट पैकेजिंग एक अन्य समाधान है जिसमें सेंसर के ज़रिए भोजन की बर्बादी को रोका जा सकता है. साथ ही कई तकनीकों के सहारे जैविक कचरे को नवीकरणीय ऊर्जा और खाद में तब्दील किया जा सकता है.

इन तकनीकी ज़रियों का असरदार ढंग से इस्तेमाल करने से विकासशील देशों में नए और तेज़ी से आकार लेते शहरों को विकसित करने में भी मदद मिलगी.  

अपने संदेश में यूएन प्रमुख ने कहा कि तकनीक और नवप्रवर्तन की मदद से सुनियोजित और स्मार्ट प्रबंधन वाले शहरों का विकास संभव है जिससे समावेशी आर्थिक वृद्धि और कम कार्बन उत्सर्जन पर आधारित विकास का रास्ता खुल सकता है.

संयुक्त राष्ट्र की ‘2018 वर्ल्ड इकॉनॉमिक एंड सोशल सर्वे’ रिपोर्ट में ऐसी तकनीकों को फ़्रंटियर टेक्नॉलजी का नाम देते हुए उनके फ़ायदों के बारे में बताया गया है.

इनसे टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर आधारित 2030 एजेंडा और जलवायु कार्रवाई की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ने का रास्ता भी स्पष्ट होगा.

इस अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि अगर व्यापक तौर पर इन तकनीकी साधनों का इस्तेमाल किया जाना है तो उसके लिए उपयुक्त और असरदार नीतियों की आवश्यकता होगी.

इससे देशों को आर्थिक क्षेत्र में तकनीक से होने वाले व्यवधानों के नतीजों से निपटने में मदद मिल सकेगी.