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जलवायु कार्रवाई: "आंदोलन ने रफ़्तार पकड़ ली है मगर मंज़िल अभी दूर है"

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मोज़ाम्बीक़ के बेइरा इलाक़े का दौरा किया जहाँ इडाई तूफ़ान से भारी तबाही हुई और एक स्कूल भी प्रभावित हुआ था. (25 जून 2019)
UN Photo/Eskinder Debebe
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मोज़ाम्बीक़ के बेइरा इलाक़े का दौरा किया जहाँ इडाई तूफ़ान से भारी तबाही हुई और एक स्कूल भी प्रभावित हुआ था. (25 जून 2019)

जलवायु कार्रवाई: "आंदोलन ने रफ़्तार पकड़ ली है मगर मंज़िल अभी दूर है"

जलवायु और पर्यावरण

जलवायु आपदा की बात करें तो, “अभी हमें बहुत लंबा रास्ता तय करना है. लेकिन आंदोलन ने रफ़्तार पकड़ ली है.” संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार को अनेक अख़बारों में प्रकाशित अपने एक लेख में ये बात कही है. इस लेख में उन्होंने विश्व में बढ़ते तापमान की वजह से दरपेश ख़तरों पर अपनी चिंता दोहराई है और तुरंत ठोस कार्रवाई किए जाने का भी आहवान किया है.

दुनिया भर के 170 से भी ज़्यादा प्रमुख समाचार प्रकाशनों ने महासचिव का ये लेख प्रकाशित किया है जिसका शीर्षक था – कवरिंग क्लाइमेट नाऊ. इस लेख में महासचिव ने याद दिलाया है कि सितंबर में मुख्यालय में हुए जलवायु कार्रवाई सम्मेलन के मौक़े पर दुनिया भर में युवा महिलाओं और पुरुषों ने सक्रियता दिखाई और वैश्विक नेताओं से दो टूक शब्दों में कहा : “आप हमारी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं”.

महासचिव ने कहा, “ये युवा महिलाएँ और पुरुष दुरुस्त कहते हैं.”

विज्ञान के तथ्यों को नकारा नहीं जा सकता. कुछ लोग जलवायु आपदा को समझने के लिए तथ्यों का सहारा लेते हैं, जबकि जो लोग इस आपदा से सीधे तौर पर प्रभावित हैं, वो अपने घरों की खिड़कियों इसका असर देख सकते हैं.

गत सप्ताह जब दुनिया भर के राजनैतिक नेता महासभा के 74वें सत्र के लिए एकत्र हुए तो जलवायु कार्रवाई के लिए हुए प्रथम सम्मेलन के रूप में बातचीत शुरू हो चुकी है. महासचिव ने तमाम प्रतिनिधियों से इस सम्मेलन में कार्बन न्यूट्रैलिटी और कार्बन उत्सर्जन पर क़ाबू पाने के लिए सिर्फ़ ख़ूबसूरत भाषणों के बजाय ठोस समाधानों के उपायों के साथ शिरकत करने को कहा था.

इस बीच दुनिया भर में करोड़ों युवाओं ने सरकारों के स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने के विरोध में सक्रियता दिखाई और प्रदर्शन किए. इन प्रदर्शनों को अभी तक दुनिया भर में जलवायु मुद्दे पर सबसे बड़ा विरोध घटनाक्रम कहा गया है.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कुछ विवरण देते हुए कहा कि सितंबर में हुआ जलवायु सम्मेलन दरअसल सदस्य देशों को 2020 की समय सीमा पर अमल करने के लिए प्रोत्साहित करने का एक मौक़ा था. ये समय सीमा पेरिस समझौते के तहत निर्धारित की गई है.

“और बहुत से देशों और सैक्टरों के नेताओं ने अपने क़दम बढ़ाए हैं.” 70 से ज़्यादा देशों ने 2050 तक नैट ज़ीरो कार्बन का लक्ष्य हासिल करने का संकल्प व्यक्त किया है. जबकि लगभग 100 शहरों ने भी ऐसे ही क़दम उठाने के इरादे ज़ाहिर किए हैं. इनमें दुनिया के कुछ सबसे बड़े शहर भी शामिल हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने सदस्य देशों से जो ठोस समाधानों के साथ आने की चुनौती दी थी, उसने नतीजे दिखाए हैं. 70 अतिरिक्त देशों ने नैट ज़ीरो कार्बन के लक्ष्य हासिल करने के उपाय अपने राष्ट्रीय योजनाओं में शामिल करने का इरादा ज़ाहिर किया है. लघु द्वीपीय विकासशील देशों ने 2030 तक 100 फ़ीसदी नवीकरण ऊर्जा के इस्तेमाल का लक्ष्य हासिल करने का वादा किया है.

पूरी दुनिया भर में देशों ने 11 अरब पेड़ लगाने का संकल्प भी व्यक्त किया है. दुनिया के कुछ धनी देशों ने भी कार्बन न्यूट्रैलिटी का ढाँचा विकसित करने का वादा किया है. महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि इस तरह के क़दम उठाना बहुत ज़रूरी है, मगर अभी ये काफ़ी नहीं हैं.

उनका कहना था कि अब जबकि जलवायु सम्मेलन तो ख़त्म हो गए हैं, वो इस आपदा का सामना करने के लिए ठोस कार्रवाई किए जाने के लिए लगातार ज़ोर डालते रहेंगे.

उन्होंने अपने लेख में लिखा है कि बड़े बदलाव किसी एक दिन या एक रात में हासिल नहीं किए जा सकते हैं. “अगर हमें जलवायु आपदा को टालना है तो हमें विज्ञान के तथ्यों और चेतावनियों पर ध्यान देना होगा – कार्बन उत्सर्जन 2020 तक 45 प्रतिशत तक कम करना होगा. इस तरह 2050 का समय आते-आते हम कार्बन न्यूट्रल दुनिया में रहने का सपना साकार कर सकते हैं.”

जलवायु कार्रवाई की समीक्षा करने के लिए दिसंबर 2019 में चिली के सेंटियागो में भी संयुक्त राष्ट्र का एक जलवायु सम्मेलन बुलाया गया है. महासचिव ने लिखा है कि ये सम्मेलन निजी क्षेत्र और स्थानीय प्रशासन के प्रतिनिधियों द्वारा किए गए वायदों के लिए उनकी जवाबदेही तय करने का एक अच्छा मौक़ा होगा.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस लेख में लिखा है कि तापमान वृद्धि की अगर मौजूदा रफ़्तार यूँ ही जारी रही तो 21वीं सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 3 फ़ीसदी की वृद्धि हो जाएगी. “वो समय देखने के लिए मैं तो जीवित नहीं रहूँगा मगर मेरे नाती-पोते रहेंगे.”

महासचिव का कहना है, “मैं उन पीढ़ियों के इस एकमात्र घर (पृथ्वी) की तबाही में भागीदार होने से साफ़ इनकार करता हूँ.”

उन्होंने चेतावनी के अंदाज़ में कहा, “अभी हमें बहुत लंबा सफ़र तय करना है मगर आंदोलन ने रफ़्तार पकड़ ली है.”