जनरल डिबेट का समापन: बहुपक्षवाद की अहमियत पर बल

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद-बांडे ने कहा है कि शांति, सुरक्षा और टिकाऊ विकास को हासिल करने का एकमात्र रास्ता यही है कि देश आपस में मिलकर काम करें. सोमवार को महासभा के 74वें सत्र के उच्चस्तरीय खंड के समापन भाषण के दौरान उन्होंने यह बात कही.
यूएन महासभा अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद-बांडे ने बहुपक्षीय सहयोग के मूल्य को रेखांकित करते हुए कहा कि इस भावना के साथ रुख़ में लचीलापन हो और एक दूसरे की ज़रूरतों का सम्मान किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बहुपक्षवाद की अहमियत और ज़रूरत के बारे में सवाल उठाना जायज़ है.
“बढ़ती चुनौतियों से निपटने की कार्रवाई के रास्ते पर अगर रज़ामंदी ना हो तब भी हमें नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर साझा सहमति पर पहुंचने का प्रयास करना चाहिए.”
इस वर्ष जनरल डिबेट में व्यापक हिस्सेदारी दर्शाती है कि अतीत का मॉडल होने के बजाय बहुपक्षीय सहयोग पर अब भी भरोसा क़ायम है और देश आपस में रिश्ते निभाने के लिए उसे स्वीकार करते हैं.
यूएन महासभा के 74वें सत्र में उच्चस्तरीय खंड के दौरान जनरल डिबेट मंगलवार, 23 सितंबर को शुरू हुई जिसमें राष्ट्राध्यक्षों सहित 192 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में सभी देशों को समान हिस्सेदारी प्राप्त है. यूएन महासभा अध्यक्ष ने कहा कि सिर्फ़ 16 महिलाओं ने अपने देश का पक्ष दुनिया के सामने रखा. महिला प्रतिनिधियों की कम संख्या को देखते हुए उन्होंने उनकी हिस्सेदारी बढ़ाने का अनुरोध किया है.
“प्रतिनिधित्व पर आधारित संयुक्त राष्ट्र से हमारा तात्पर्य एक ऐसी संस्था से है जो हर व्यक्ति को अपनी संभावनाओं को पूर्ण रूप से हासिल करने में मदद करे, जिसमें लैंगिक या अतीत के अवरोध ना हों. मौजूदा दौर में लैंगिक समानता एक अनवरत प्रक्रिया है. इसलिए हमें अपने प्रयास दोगुने करने होंगे ताकि महिलाओं को शामिल करने की प्रक्रिया तेज़ की जा सके – ना सिर्फ़ निर्णय लेने के लिए बनाए गए ढांचों में बल्कि उच्च स्तरीय मंचों से वक्ताओं में भी.”
वर्ष 2019 में महासभा के उच्च स्तरीय खंड के दौरान जलवायु परिवर्तन और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज सहित वैश्विक चुनौतियों पर पांच बड़ी शिखर वार्ताएं हुईं.
यूएन महासभा अध्यक्ष ने ध्यान दिलाया कि इस वर्ष इन शिखर वार्ताओं में युवाओं ने भी अपनी आवाज़ ज़ोर-शोर से रखी.
उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वे युवाओं की आवाज़ों को सुनते हैं लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि अपनी आवाज़ों को कम कर लिया जाना चाहिए. “आपको जब भी अवसर मिले अपनी आवाज़ उठाना जारी रखना होगा.”
टिकाऊ विकास लक्ष्यों को वर्ष 2030 तक हासिल करने के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने पर भी एक बैठक हुई. चार साल पहले विश्व नेताओं ने चरम ग़रीबी का अंत करने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और पर्यावरण संरक्षण सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर वैश्विक कार्ययोजना का ख़ाका तैयार किया था जिसे टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा नाम से जाना जाता है और जिसके तहत 17 लक्ष्य आते हैं.
ये संकल्प पूरा करने के लिए 2.4 ट्रिलियन डॉलर की धनराशि की आवश्यकता है.
महासभा अध्यक्ष ने प्रस्ताव दिया है कि ग़ैरक़ानूनी वित्तीय लेनदेन पर रोक लगाने से बड़ी मदद मिल सकती है जिससे हर साल वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2.6 ट्रिलियन डॉलर का नुक़सान होता है.
साथ ही सुशासन को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार पर लगाम कसने को भी अहम बताया गया है.