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यमन में बंदियों की रिहाई से शांति की उम्मीदें जागी

यमन में सालों से जारी लड़ाई से भारी नुक़सान हुआ है.
OCHA/Charlotte Cans
यमन में सालों से जारी लड़ाई से भारी नुक़सान हुआ है.

यमन में बंदियों की रिहाई से शांति की उम्मीदें जागी

शान्ति और सुरक्षा

लंबे समय से युद्ध और अशांति के दंश को झेल रहे यमन में हिंसा के संभावित अंत की उम्मीदें जागी हैं. रिपोर्टों के अनुसार हूती लड़ाकों ने सदभावना भरा रुख़ दर्शाते हुए 300 से ज़्यादा बंदी रिहा कर दिए हैं. यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने इस ख़बर का स्वागत करते हुए इससे दोनों पक्षों में फिर से बातचीत होने की संभावना बढ़ने की उम्मीद जताई है. 

हूती लड़ाकों के गुट को आधिकारिक रूप से अंसार अल्लाह नाम से भी जाना जाता है और उनके द्वारा बंदियों की रिहाई को एकतरफ़ा कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है.

यूएन के विशेष दूत ने उम्मीद जताई है कि इस कार्रवाई से अन्य पहल किए जाने का रास्ता खुलेगा जिसके ज़रिए स्टॉकहोम समझौते के अनुसार हिंसक संघर्ष के दौरान पकड़े गए बंदियों की अदला-बदली की जा सकेगी.

संयुक्त राष्ट्र के मध्यस्थता प्रयासों के बाद स्टॉकहोम समझौते पर दिसंबर 2019 में हस्ताक्षर किए गए थे.

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उन्होंने सभी पक्षों से अनुरोध किया है कि बंदियों की रिहाई और उन्हें देश वापस भेजे जाने की कार्रवाई तेज़ किए जाने की आवश्यकता है. साथ ही अतीत में यमन सरकार और अरब गठबंधन द्वारा उठाए गए उन क़दमों का स्वागत किया है जिससे यमनी नाबालिगों की रिहाई का रास्ता प्रशस्त हुआ.

स्टॉकहोम समझौते में तय शर्तों के अनुसार दोनों पक्षों को सात हज़ार से ज़्यादा बंदियों की अदला-बदली करनी है.

इस समझौते के तहत तैयज़ शहर में लड़ाई को रोकना और बंदरगाह शहर हुदायदाह से सैनिकों को वापस हटाना था – इसी शहर से होकर यमनी नागरिकों को राहत सामग्री, ईंधन और स्वास्थ्य मदद उपलब्ध कराई जा रही है.

यमन में लड़ाई मार्च 2015 में उस समय तेज़ हो गई जब सऊदी अरब के नेतृत्व में गठबंधन ने मुश्किलों में घिरे यमन के राष्ट्रपति हादी को अपना समर्थन दे दिया.

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े दर्शाते हैं कि अब तक 20 हज़ार से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं जबकि साढ़े सात हज़ार से ज़्यादा की मौत हुई है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने 6-19 सितंबर की अवधि पर जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 47 आम नागरिक हताहत हुए हैं जिनमें 18 की मौत हुई है और 29 घायल हुए हैं.

हुदायदाह में हिंसा का शिकार होने वाले आम नागरिकों की संख्या सबसे अधिक है जहां ज़मीनी झड़पों की वजह से गंभीर हालात बने हुए हैं.

इसी अवधि में अदन शहर में तीन न्यायेतर हत्याएं होने की रिपोर्टें हैं जिनमें दो के लिए सुरक्षा बलों और एक मौत के लिए राष्ट्रपति हादी के वफ़ादार सैनिकों पर संदेह व्यक्त किया गया है.

इंटरनेशनल कमेटी ऑफ़ द रेड क्रॉस ने भी एक बयान जारी कर सोमवार को हुई बंदियों की रिहाई को एक सकारात्मक क़दम बताया है.

रेड क्रॉस के अनुसार 290 बंदी रिहा किए गए हैं जिनमें 42 बंदी सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन के हमले में बच गए. यह हमला मध्य यमन में धमर हिरासत केंद्र में सामुदायिक कॉलेज की इमारत पर किया गया था.

रेड क्रॉस ने कहा है कि “हिंसक संघर्ष में शामिल पक्ष जब भी हमसे अनुरोध करेंगे, हम बंदियों की रिहाई में तटस्थ मददगार की भूमिका निभाने के लिए तैयार रहेंगे.”

बयान के मुताबिक़ बंदियों की रिहाई के समय एक मेडिकल स्टाफ़ सदस्य वहां उपस्थित था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बंदी यात्रा करने के लिए स्वस्थ हैं.

रेड क्रॉस ने बताया कि इस साल अप्रैल और अगस्त महीने में उन 31 नाबालिगों का हस्तांतरण सुनिश्चित कर लिया गया है जिन्हें सऊदी अरब में रखा गया था.