बांग्लादेश से 'रोहिंज्या शरणार्थियों की वापसी चाहता है म्यांमार'
म्यांमार के राखीन प्रांत में हिंसा से बचने के लिए बांग्लादेश में शरण लेने वाले रोहिंज्या शरणार्थियों की वतन वापसी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. म्यांमार के राज्य काउंसलर कार्यालय में मंत्री क्यॉ तिन्त स्वे ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि यह मामला उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है.
बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में शरणार्थी शिविरों में क़रीब 9 लाख लोगों ने शरण ली हुई है जो म्यांमार में अगस्त 2017 में सैन्य अभियान शुरू होने के बाद वहां सुरक्षित शरण की तलाश में पहुचे थे.
केंद्रीय मंत्री तिन्त स्वे ने बताया कि नवंबर 2017 में बांग्लादेश के साथ हुए समझौते के अनुरूप रोहिंज्या समुदाय की वापसी के प्रयास किए जाएंगे.
बांग्लादेश, संयुक्त राष्ट्र और एसोसिएशन ऑफ़ साउथ ईस्ट एशियन नेशन्स (आसियान) के साथ सहयोग को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, “इस समय रोहिंज्या की वापसी को तेज़ी से संभव बनाने और सत्पायन की प्रक्रिया के लिए मददगार माहौल तैयार करना हमारी प्राथमिकता है.”
बताया गया है कि अनिवार्य नियम पूरा करने वाले लोगों को नागरिकता कार्ड भी दिए जा सकते हैं जबकि अन्य को नेशनल वेरीफ़िकेशन कार्ड दिए जाएंगे, जैसेकि अमेरिका में प्रवासियों को ग्रीन कार्ड जारी किए जाते हैं.
उन्होंने बताया कि मुश्किलों के बावजूद अब तक 300 लोग स्वेच्छा से म्यांमार लौट चुके हैं.
हालांकि केंद्रीय मंत्री ने म्यांमार में सेफ़ ज़ोन बनाने की मांग को यह ख़ारिज कर दिया कि ना तो इसकी ज़रूरत है और ना ही यह व्यवहारिक है.
उन्होंने बांग्लादेश के साथ हुए द्विपक्षीय समझौते को सही भावना के साथ लागू करने की अपील की है.
उनके मुताबिक़ विस्थापितों के मुद्दे उचित प्रक्रिया से सुलझाने के लिए यही सही रास्ता है.
राखीन प्रांत में घटनाओं की जवाबदेही तय करने के लिए एक सैन्य जांच चल रही है जिसके बाद कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है.