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महमूद अब्बास ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से इसराइली "घमंड" को ख़ारिज करते हुए ख़बरदार किया

फ़लस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित करते हुए. (26 सितंबर 2019)
UN Photo/Cia Pak
फ़लस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित करते हुए. (26 सितंबर 2019)

महमूद अब्बास ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से इसराइली "घमंड" को ख़ारिज करते हुए ख़बरदार किया

शान्ति और सुरक्षा

फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने गुरूवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए इसराइली सरकार के, उन्हीं के शब्दों में, “घमंडी और आक्रामक” रवैये की निंदा की और संयुक्त राष्ट्र का आहवान किया कि संकट हल करने के लिए दो राष्ट्रों की स्थापना वाले समाधान के लिए ज़ोरदार प्रयास किए जाएँ.

महमूद अब्बास ने इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतान्याहू द्वारा चुनाव से पहले की गई “घमंडी” घोषणा को ज़ोरदार तरीक़े से नकारते हुए कहा कि इसराइली प्रधानमंत्री की वो योजना ‘ग़ैर-क़ानूनी” है जिसमें उन्होंने जॉर्डन घाटी, ऊत्तरी मृत सागर और इसराइल के क़ब्ज़े वाले कुछ अन्य इलाक़ों को इसराइल के पास लाने की बात कही थी. 

महमूद अब्बास ने चेतावनी के अंदाज़ में कहा कि इसराइल द्वारा अगर इस तरह की कोई योजना लागू की गई तो फ़लस्तीन अब से पहले किए गए सभी समझौतों और संबंधित ज़िम्मेदारियों को ख़त्म कर देगा.

महमूद अब्बास ने महासभा में मौजूद प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा, “अगर कोई आपके वजूद को ही मिटाने की कोशिश करेगा.... तो आप क्या करेंगे.”

साथ ही उन्होंने महासभा से माँग करते हुए कहा, “क्या अब फ़लस्तीनी लोगों मुक्ति और अन्याय, दमन व इसराइली क़ब्ज़े से आज़ादी का सही समय नहीं आ गया है.”

फ़लस्तीन को 2012 में संयुक्त राष्ट्र में मिले पर्यवेक्षक के दर्जे को याद करते हुए महमूद अब्बास ने कहा कि इसराइल और उसके हिमायतियों द्वारा बहुत सी बाधाएँ खड़ी करने और अवरोधक नीतियाँ लागू करने के बावजूद फ़लस्तीन 110 से ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय संधियों और संगठनों में एक देश का दर्जा रखता है.

राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने अंतरराष्ट्रीय विरासत व इसका हल निकालने की क्षमता रखने वाले क़ानून को स्वीकार करते हुए कहा कि ये जिस शांति की पुकार लगाते हैं, वो शांति इसराइली नीतियों और ज़मीनी गतिविधियों की वजह से ख़तरे में पड़ गई है. उन्होंने सभी प्रतिनिधियों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि अब सारी जिम्मेदारी आप सभी के कंधों पर है.

पूर्वी येरूशलम में अनियंत्रित युद्ध   

पूर्वी येरूशलम में स्थिति के बारे में महमूद अब्बास ने तकलीफ़ भरे अंदाज़ में कहा कि इसराइल ने “हर एक फ़लस्तीनी के ख़िलाफ़ एक अंधाधुंध व नस्लीय युद्ध छेड़ा हुआ है”, फ़लस्तीनियों के घर तबाह किए जा रहे हैं, धार्मिक गुरुओं पर हमले हो रहे हैं और लोगों को धार्मिक रूप से पवित्र स्थलों तक पहुँचने से रोकने के लिए नस्लवादी क़ानून बनाए जा रहे हैं.

राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा, “मैं इन नीतियों और अंधाधुंध उपायों के ख़िलाफ़ आगाह करता हूँ, जिनके बहुत गंभीर परिणाम होंगे और उनके अकल्पनीय असर भी होंगे.” साथ ही उन्होंने दृढ़ अंदाज़ में ये भी कहा कि हालात चाहे जो भी हैं, चाहे जितने कष्ठ उठाने पड़ें, फ़लस्तीन इसराइली नियंत्रणकारी नीतियों के सामने बिल्कुल भी नहीं झुकेगा.”

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “सभी को ये मालूम होना चाहिए कि किसी इलाक़े पर इस तरह का क़ब्ज़ा किसी के लिए भी शांति या सुरक्षा व स्थिरता नहीं ला सकता.”

महमूद अब्बास ने कहा, “ये बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक स्थाई सदस्य – अमेरिका हमारे ख़िलाफ़ आक्रामक नीतियों में इसराइल को समर्थन दे रहा है, और ये सब वो अपनी अंतरराष्ट्रीय राजनैतिक, क़ानूनी और नैतिक ज़िम्मेदारियों के उलट कर रहा है.”

फ़लस्तीनी राष्ट्रपति ने कहा, अमरीका ने “अत्यधिक आक्रामक और ग़ैर-क़ानूनी क़दम उठाए हैं” जिनमें येरूशलम को इसराइल की राजधानी घोषित करना शामिल है. ये करोड़ों मुसलमानों और ईसाइयों के जज़्बात को बहुत ग़ैर-ज़िम्मेदार तरीक़े से भड़काना था.

राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन फिर से बुलाए जाने का आहवान करते हुए कहा कि “हम ये स्वीकार नहीं कर सकते कि शांति की बागडोर किसी एक देश के हाथ में हो सकती है.”

फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने अपने संबोधन के आख़िर में फ़लस्तीन, शरणार्थी शिविरों और विदेशों में रह रहे हैं लोगों का अभिवादन करते हुए भरोसा जताया कि इसराइली क़ब्ज़ा एक दिन ज़रूर ख़त्म होगा.

उन्होंने कहा, “मुक्ति व स्वतंत्रता की सुबह नज़र आ रही है... अपना हक़ कभी भी ख़त्म नहीं होता बशर्ते कि हम उसे हासिल करने की कोशिश ना छोड़ें.”