हमें समस्याओं का हल चाहिए, ना कि निराशा

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद - बांडे ने कहा है कि मुख्यालय में एक बार फिर विश्व नेताओं का एकत्र होना इस महान व बहुपक्षीय विश्व संस्था की इस प्रासंगिक हक़ीक़त को दिखाता है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद - बांडे ने कहा है कि मुख्यालय में एक बार फिर विश्व नेताओं का एकत्र होना इस महान व बहुपक्षीय विश्व संस्था की इस प्रासंगिक हक़ीक़त को दिखाता है.
मंगलवार को महासभा के वार्षिक 74वें सत्र का उदघाटन करते हुए उन्होंने कहा कि इस समय विश्व समुदाय के सामने मौजूद मुद्दे अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा हासिल करने और टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण और तात्कालिक हैं.
महासभा अध्यक्ष ने कहा, “मानव विकास के चौराहे पर अटके हुए बहुत देर हो चुकी है... हिंसक संघर्षों, आतंकवाद, प्राकृतिक आपदाओं, मादक पदार्थों और यौन तस्करी, निरक्षरता, और तमाम मौजूदा समस्याओं का समाधान तलाश करने के लिए सभी को एकजुट होना होगा. ध्यान रहे कि इन समस्याओं से दुनिया भर में करोड़ों लोग तकलीफ़ में हैं.”
उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र ने 74 वर्षों के दौरान इंसानियत को आगे बढ़ाने के लिए बहुत कुछ किया है – हाल के समय में 2030 का टिकाऊ विकास एजेंडा इसका उदाहरण है.
तिजानी मोहम्मद-बांडे ने कहा, “टिकाऊ विकास लक्ष्यों को 2030 तक हासिल करना दुनिया के अरबों लोगों की भलाई के लिए हर क़ीमत पर प्राथमिकता होनी चाहिए. वो लोग विशाल सभागृह में शायद कभी क़दम नहीं रख पाएंगे लेकिन उन्हें उम्मीद होगी कि यहाँ हो रहे कामकाज से ग़रीबी उन्मूलन, भुखमरी को ख़त्म करने, गुणवत्ता वाली शिक्षा, जलवाउ कार्रवाई और समावेशी दुनिया बनाने के प्रयासों में जून फूंक सकेगा.”
स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, आतंकवाद, विस्थापन, जलवायु आपदा, निरक्षरता और ग़रीबी के इर्दगिर्द चुनौतियों की तरफ़ ध्यान दिलाते हुए उन्होंने वित्तीय और अनुभव संसाधनों में घनिष्ठ सहयोग करने का आहवान किया. इन चुनौतियों का सामना करने और नतीजे हासिल करने में ठोस सहयोग की ज़रूरत है.
तिजानी मोहम्मद – बांडे ने संकल्प व्यक्त करने के अंदाज़ में कहा कि वो उनकी प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए तमाम देशों के प्रतिनिधियों और संयुक्त राष्ट्र के सभी अंगों के साथ मिलकर काम करेंगे. इन प्राथमिकताओं में विश्व में अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना ख़ास होगा.
तिजानी मोहम्मद-बांडे ने कहा, “हमें विश्व संगठन को मज़बूत करने के प्रयास जारी रखने के साथ-साथ ये भी सुनिश्चित करना होगा कि शांति और सुरक्षा स्थापना का ढाँचा 21वीं सदी में भी प्रासंगिक रहे. ख़ासतौर से संघर्षों की पहले से ही रोकथाम के लिए.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि संघर्षों की शुरूआत करने वाले कारणों से बहुत शुरू में ही निपटना चाहिए. इन कारणों में ग़रीबी, असमानता और मानवाधिकारों का उल्लंघन जैसी स्थितियाँ प्रमुख होती हैं.
ग़रीबी दूर करना अब भी एक वैश्विक चुनौती है. महासभा अध्यक्ष ने कहा, “हमें करोड़ों लोगों को ग़रीबी, तकलीफ़ और दयनीय हालात में जिंदगी जीने के दलदल से निकालने के लिए और ज़्यादा प्रयास करने होंगे.”
उन्होंने सभी देशों से आग्रह किया कि वो अपने यहाँ सामाजिक सुरक्षा प्रणाली को किस तरह से बेहतर और मज़बूत कर सकते हैं और ग़रीब लोगों की मदद के लिए सरकारी मदद किस तरह से पहुँचा सकते हैं. साथ ही देशों को खेतीबाड़ी को आधुनिक बनाने में सहयोग से काम लेना होगा.
उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन ने विश्व स्तर पर ग़रीबी में वृद्धि और खाद्य पदार्थों में कमी कर दी है इसलिए तुरंत ठोस कार्रवाई करनी होगी. “कुछ नहीं करते रहने के परिणाम हमारी मौजूदा दूनिया पर और भविष्य क लिए बहुत ख़तरनाक होंगे.”
महासभा अध्यक्ष ने कहा, “हमें इस समय उपलब्ध ज्ञान और टैक्नोलॉजी का सहारा लेना होगा ताकि हम ऐसी दुनिया ना बना डालें जिसमें हमारी आने वाली पीढ़ियों को मुसीबतों में ना डाल रहे होंगे.”
उन्होंने तमाम राष्ट्रों का आहवान करते हुए कहा कि जलवायु आपदा का मुक़ाबला करने और उसके नुक़सानों को कम करने के लिए ठोस कार्रवाई करने में ठोस सहयोग हो.