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संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर वार्ता का हासिल क्या?

जलवायु कार्रवाई शिखर वार्ता न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हुई.
UN Photo/Cia Pak
जलवायु कार्रवाई शिखर वार्ता न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हुई.

संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर वार्ता का हासिल क्या?

जलवायु और पर्यावरण

न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में जलवायु कार्रवाई शिखर वार्ता से पहले महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने विश्व नेताओं से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती और वर्ष 2050 तक नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य करने के लिए ठोस समाधान अपने साथ लाने की अपील की थी. सोमवार को शिखर वार्ता के दौरान किए गए वादों और घोषणाओं पर एक नज़र.

निजी क्षेत्र के लिए यह शिखर वार्ता सकारात्मक बदलाव लाने के रास्ते प्रदर्शित करने का एक अवसर था.

बाज़ार में 2.3 ट्रिलियन डॉलर पूंजी वाली और 42 लाख कर्मचारियों वाली 87 से ज़्यादा बड़ी कंपनियों ने अपने कामकाज में जलवायु लक्ष्यों निर्धारित करने का संकल्प लिया है. इन कंपनियों का वार्षिक उत्सर्जन कोयले से चलने वाले 73 ऊर्जा संयंत्रों से होने वाले उत्सर्जन के बराबर है.

इन बड़ी कंपनियों में बरबैरी, डेनोन, एरिक्सन, इलैक्ट्रोलक्स, इकेआ और नैस्ले शामिल हैं. इनमें से कुछ कंपनियों ने और ज़्यादा आगे जाते हुए विज्ञान पर आधारित लक्ष्य तय करने का संकल्प लिया है.

इसका अर्थ है कि उनके द्वारा कार्बन उत्सर्जन में कटौती के दावों की स्वतंत्र रूप से समीक्षा की जा सकती है.

यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट प्राइवेट सेक्टर फ़ोरम को संबोधित करते हुए भारत के महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा कि ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में उद्योग जगत के नेता समझ रहे हैं कि मुनाफ़ा और सततता एक साथ मिल सकते हैं और जलवायु परिवर्तन आने वाले दशकों में एक बड़ा व्यवसायिक अवसर है.

वित्तीय क्षेत्र में पेंशन फंड और बीमा जगत के बड़े नामों ने ‘Asset Owner Alliance’ का गठन किया है जिसके ज़रिए उनके पोर्टफ़ोलियो वर्ष 2050 तक कार्बन न्यूट्रल निवेश की दिशा में बढ़ेंगे.

इसके तहत 2 ट्रिलियन डॉलर से ज़्यादा का निवेश होगा. इस एलायंस के सदस्य पहले से उन कंपनियों के संपर्क में हैं जिनमें उन्होंने निवेश किया है और अब उनके कार्बन आधारित बिज़नेस मॉडल पर निर्भरता दूर करने का प्रयास कर रहे हैं.  

महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई के लिए 23 सितंबर को न्यूयॉर्क में शिखर वार्ता.
UN Photo/Ariana Lindquist
महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई के लिए 23 सितंबर को न्यूयॉर्क में शिखर वार्ता.

जलवायु संकट से निपटने के लिए प्रकृति की ताक़त का इस्तेमाल सबसे प्रभावी और तात्कालिक उपायों में गिना गया है.

वन जैसे प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्रों को मज़बूत बनाना ऐसा ही एक समाधान है: ज़्यादा वन क्षेत्र होने से कार्बन सोखने की क्षमता बढ़ती है और मैनग्रोव जंगल होने से बाढ़ और तटीय रेखा के क्षरण की रोकथाम के लिए सहारा मिलता है.

सोमवार को जिन पहलों की घोषणा हुई उनमें से कई समाधान प्रकृति पर आधारित हैं. इनमें भूमि और महासागरों के 30 फ़ीसदी हिस्से को वर्ष 2030 तक संरक्षित करने के लिए ‘Global Campaign for Nature’; महासागरों को सुदृढ़ और समुद्री जीवन के लिए संरक्षित इलाक़ों के निर्माण के लिए ‘High-Level Panel for the Sustainable Ocean Economy’; और मध्य अफ़्रीका में 6 करोड़ लोगों की आजीविका चलाने में मदद देने वाले वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ‘Central African Forest Initiative’ प्रमुख हैं.

अब ऐसी इमारतों का निर्माण संभव है जो 100 फ़ीसदी नैट शून्य कार्बन उत्सर्जित करें. Zero Carbon Buildings for All’  पहल के ज़रिए पुरानी और नई सभी इमारतों को वर्ष 2050 तक नैट ज़ीरो कार्बन बनाने का लक्ष्य रखा गया है. 2030 तक विकासशील देशों में इससे एक ट्रिलियन डॉलर के निवेश की संभावना है.

अब तक दो हज़ार से ज़्यादा शहर जलवायु से पनपते जोखिम को अपनी निर्णय प्रक्रिया, योजना और निवेश के केंद्र में रखने के लिए संकल्प ले चुके हैं.

‘Action Towards Climate Friendly Transport Initiative’ का उद्देश्य ट्रैफ़िक जाम और प्रदूषण की समस्या से निपटना है.

इसके तहत शहर का विकास इस ढंग से किया जाएगा जिससे यात्रा में लगने वाला समय कम से कम हो, जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों के बजाय मोटर के बिना चलने वाले और सार्वजनिक परिवहन पर ज़ोर हो, साथ ही शून्य-उत्सर्जन वाली तकनीकों को बढ़ावा दिया जाए.

जलवायु कार्रवाई शिखर वार्ता के दौरान हुई घोषणाओं के बारे में पूरी जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.