सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज पर 'सबसे व्यापक सहमति' का स्वागत

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने सर्वजन के लिए स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के संकल्प के साथ सोमवार को एक महत्वाकांक्षी राजनैतिक घोषणापत्र पारित किया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मानव स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करने की यात्रा में इसे एक महत्वपूर्ण मुक़ाम क़रार देते हुए सहमति का स्वागत किया है.
स्वास्थ्य के क्षेत्र में इसे अब तक का सबसे व्यापक प्रयास के रूप में देखे जा रहे इस संकल्प के ज़रिए प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत बनाया जाएगा.
To achieve #HealthForAll, countries will invest in four major areas:💰 Health financing🏥 High-impact interventions👩⚕️👨⚕️ Health workforce🏛️ Governance and capacity👉https://t.co/6N02kTXkfc #UNGA pic.twitter.com/UVAmSMRa4g
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राष्ट्राध्यक्षों, मंत्रियों, नीति-निर्धारकों और अन्य हिस्सेदारों के साथ बैठक में यूएन प्रमुख ने वैश्विक विकास पर होने वाला सबसे व्यापक समझौता बताया है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में उच्च स्तरीय खंड सोमवार को शुरू हुआ है जिस दौरान हुई बैठक में यह घोषणा की गई है.
महासचिव गुटेरेश ने उम्मीद जताई है कि इस उपलब्धि के बाद से संचारी रोगों, एचआईवी/एड्स, तपेदिक और मलेरिया जैसे रोगों से मुक़ाबले में मदद मिलेगी और अन्य ग़ैर-संचारी रोगों और एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस की चुनौती से भी निपटा जा सकेगा.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा, “वैश्विक स्वास्थ्य और विकास के लिए यह घोषणापत्र एक ऐतिहासिक मुक़ाम है. टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में विश्व के पास 11 वर्ष का समय बचा है. सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज इसे सुनिश्चित करने के केंद्र में है.”
“सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज एक राजनैतिक निर्णय है: आज विश्व नेताओं ने अपनी मंशा ज़ाहिर की है कि वे इसे लेने के लिए तैयार हैं. मैं उन्हें बधाई देता हूं.”
22 सितंबर को यूएन स्वास्थ्य एजेंसी और अन्य साझेदार संगठनों ने मौजूदा समय से वर्ष 2030 तक स्वास्थ्य कवरेज को दोगुना करने की ज़रूरत रेखांकित की थी. अगर ऐसा नहीं हुआ तो पांच अरब लोगों तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाना मुश्किल हो जाएगा.
घोषणा को पारित करने से सदस्य देशों ने प्राथमिक स्वास्थ्य देखरेख में चार प्रमुख क्षेत्रों में निवेश का संकल्प लिया है.
इसके तहत ऐसे तंत्र विकसित किए जाएंगे जिनसे स्वास्थ्य सेवा का ख़र्च उठाने में किसी को भी वित्तीय मुश्किलों का सामना ना करना पड़े. बीमारियों से लड़ने और महिलाओं व बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा का भी ख़्याल रखा जाएगा.
इसके अलावा, सभी देश स्वास्थ्यकर्मियों और स्वास्थ्य ढांचे को मज़बूत बनाएंगे और प्रशासनिक क्षमता में बेहतरी लाने की दिशा में क़दम बढ़ाएंगे जिस संबंध में प्रगति को यूएन महासभा में 2023 में साझा किया जाएगा.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सदस्य देशों से अपील की है कि सर्वजन के लिए स्वास्थ्य सेवा को वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक अधिकार बनाया जाना चाहिए.
आज विश्व की आधी आबादी के पास यह अधिकार नहीं है जिसके मानवता के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
हर वर्ष स्वास्थ्य सेवा की ऊंची क़ीमतों की वजह से 10 करोड़ से ज़्यादा लोग ग़रीबी के गर्त में चले जाते हैं.
शनिवार को संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर देशों ने इंसानों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में अंतर को ख़त्म करने के लिए ठोस प्रयास नहीं किए तो 2030 तक लगभग 5 अरब लोगों को स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध नहीं होगी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज के क्रिन्यान्वयन में सभी देशों को मदद मुहैया कराता है.
संगठन का मानना है कि स्वास्थ्य टिकाऊ विकास के लिए भी बहुत ज़रूरी है.