जलवायु परिवर्तन का असर बहुत तेज़ और गहरा - सम्मेलन से पहले विशेषज्ञों की चेतावनी

स्विस ऐल्प्स में सबसे विशाल ग्लेशियर बहुत तेज़ी से पिघल रहा है और 2100 तक बिल्कुल ग़ायब हो जाने की आशंकाएँ जताई गई हैं.
Geir Braathen
स्विस ऐल्प्स में सबसे विशाल ग्लेशियर बहुत तेज़ी से पिघल रहा है और 2100 तक बिल्कुल ग़ायब हो जाने की आशंकाएँ जताई गई हैं.

जलवायु परिवर्तन का असर बहुत तेज़ और गहरा - सम्मेलन से पहले विशेषज्ञों की चेतावनी

जलवायु और पर्यावरण

शीर्ष वैज्ञानिकों ने रविवार को एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान समद्रों का बढ़ता जल स्तर, गरम होती ज़मीन, सिकुड़ती बर्फ़ चादरें और कार्बन प्रदूषण ने विश्व के राजनैतिक नेताओं से जलवायु कार्रवाई की पुकार को और ज़्यादा ज़ोरदार बना दिया है.

ध्यान रहे कि विश्व भर के राजनैतिक नेता संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के लिए सोमवार को न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में इकट्ठा हो रहे हैं.

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ये ताज़ा और अति महत्वपूर्ण रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई सम्मेलन में पेश की जाएगी.

रिपोर्ट में दुनिया भर में बढ़ते तापमान का मुक़ाबला करने के लिए सहमत हुए लक्ष्यों और ज़मीनी हक़ीक़त के बीच बढ़ते अंतर की तरफ़ ख़ास ध्यान दिलाया गया है.

इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यू एम ओ) ने तैयार किया है और इसे नाम दिया गया है – यूनाइटेड इन सायंस.

इसमें जलवायु की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है और कार्बन उत्सर्जन व पर्यावरण में मुख्य ग्रीन हाउस गैसों की एकाग्रता के चलन पेश किए गए हैं. 

रिपोर्ट में पेश किए गए निष्कर्षों में कहा गया है कि बर्फ़ पिघलने से जलवायु पर तेज़ी से पड़ने वाले प्रभावों ने समुद्रों का जल स्तर बढ़ा दिया है.

साथ ही मौसम के बिगड़ते मिज़ाज ने भी वैश्विक औसत तापमान में औद्योगिक क्रांति (1850 - 1900) से पूर्व के स्तर से 1.1 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी कर दी है.

इसके अलावा 2011-2015 के मुक़ाबले हाल में तापमान में 0.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि भी हुई है.

रिपोर्ट में वैश्विक तापमान में वृद्धि के ख़तरनाक चलन को पलटने के लिए भूमि और ऊर्जा के इस्तेमाल जैसे क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन को क़ाबू में करने के लिए कार्रवाई और बुनियादी सामाजिक-आर्थिक बदलाव करने की महत्ता पर ध्यान दिलाया गया है.

रिपोर्ट कहती है कि तापमान वृद्धि के ये प्रभाव अभी तो ऐसे नज़र आ रहे हैं कि इन्हें पलटा नहीं जा सकता.

रिपोर्ट में तापमान वृद्धि के प्रभावों को कुछ कम करने और मानव जाति को इसके लिए ढालने में मदद के लिए साधनों की जाँच-पड़ताल भी की गई है. 

विश्व के शीर्ष जलवायु विशेषज्ञों और वैज्ञानिक संगठनों द्वारा पेश किया गया ये आकलन ना सिर्फ़ संयुक्त राषट्र जलवायु कार्रवाई सम्मेलन से बिल्कुल पहले पेश किया गया है, बल्कि गत सप्ताह हुई विश्व व्यापी जलवायु हड़ताल के संदर्भ में भी महत्वपर्ण है.

उस हड़ताल में दुनिया भर में लाखों स्कूली छात्रों और युवाओं ने शिरकत की और राजनैतिक नेताओं और बड़े कॉरपोरेट संगठनों से बिना देरी किए ठोस जलवायु कार्रवाई करने का आहवान किया.

ग़ौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश मौजूदा जलवायु परिवर्तन हालात को “जलवायु आपदा” क़रार दे चुके हैं.

स्वीडन मूल की किशोरी जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शनिवार को एकत्र हुए सैकड़ों युवा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी की बढ़त को अब रोका नहीं जा सकता.