सीरिया के इदलिब में संघर्षविराम पर सुरक्षा परिषद सहमति से दूर

इदलिब प्रांत में हर महीने मानवीय राहतकर्मी 16 लाख से ज़्यादा लोगों तक मदद पहुंचा रहे हैं.
UNICEF/ Aaref Watad
इदलिब प्रांत में हर महीने मानवीय राहतकर्मी 16 लाख से ज़्यादा लोगों तक मदद पहुंचा रहे हैं.

सीरिया के इदलिब में संघर्षविराम पर सुरक्षा परिषद सहमति से दूर

शांति और सुरक्षा

सीरिया के इदलिब प्रांत में सरकारी सुरक्षा बलों और विद्रोहियों के बीच चल रही लड़ाई को रोकने के लिए सुरक्षा परिषद में गुरूवार को दो प्रस्ताव लाए गए लेकिन दोनों ही पारित नहीं हो पाए. लंबे समय से गृहयुद्ध से जूझ रहे सीरिया के इदलिब प्रांत में विद्रोहियों का व्यापक दबदबा है जिसे तोड़ने के लिए सुरक्षा बल अभियान चला रहे हैं लेकिन इससे बड़ी संख्या में लोग विस्थापन का शिकार हुए हैं और वहां मानवीय संकट खड़ा हो गया है.

बेल्जियम, जर्मनी और कुवैत ने मानवीय आधार पर संघर्षविराम के लिए एक प्रस्ताव का मसौदा पेश किया जिसे 15 में से 12 वोट मिले हैं. सुरक्षा परिषद के दो स्थाई सदस्यों, रूस और चीन, ने अपने वीटो के अधिकार का इस्तेमाल किया और प्रस्ताव को पारित होन से रोक दिया.

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उनके अपने प्रस्ताव में क्षेत्र में सक्रिय चरमपंथी गुटों की ओर से आतंकवाद के ख़तरे को रेखांकित किया गया था लेकिन वह भी पारित नहीं हो पाया. उसके विरोध में 9 मत पड़े और चार देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.

मानवीय मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र की सहायक महासचिव उर्सूला म्यूलर ने वोटिंग से पहले कहा कि रूस ने 30 अगस्त को एकतरफ़ा संघर्षविराम की घोषणा की थी जिसके बाद पश्चिमोत्तर हिस्से में लड़ाई में कमी आई है. हालांकि असुरक्षा और मानवीय हालात के और ज़्यादा बिगड़ने की चिंता बनी हुई है.

“नाज़ुक संघर्षविराम से एक ऐसी संभावना सामने आई है जिससे सुरक्षा परिषद भली-भांति परिचित है: लड़ाई चलते रहने से हज़ारों आम नागरिक विस्थापित होंगे और उनकी जान को ख़तरा होगा. फिर विस्थापन होने से ज़रूरतों का दायरा बढ़ेगा. ज़रूरतें बढ़ने से मानवीय राहत कार्यों पर और ज़्यादा भार बढ़ जाएगा.”

“दुनिया देख रही है...इस उम्मीद में कि सीरिया के लिए एक मानवीय नज़रिए से संभावनाएं पैदा हों, जहां आम लोग सुरक्षित हों, ज़रूरतें पूरी की जाएँ और मानवीय राहतकर्मी सुरक्षित हों.”

इदलिब प्रांत में हर महीने मानवीय राहतकर्मी 16 लाख से ज़्यादा लोगों तक मदद पहुंचा रहे हैं जिन्हें सीमा-पार तुर्की से अभियान के ज़रिए पूरा किया जा रहा है.

मई 2019 से अब तक सैन्य कार्रवाई तेज़ होने से चार लाख से ज़्यादा लोग अपने घर छोड़कर जा चुके हैं. वे सीमा से लगे इलाक़ों के पास रहने को मजबूर हैं जो पहले से ही घनी आबादी वाले इलाक़े हैं और ऐसे में मेज़बान समुदायों के सामने भी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं.

उर्सूला म्यूलर ने ज़ोर देकर कहा है कि लोगों को सुरक्षित शरण मुहैया कराना एक प्रमुख चिंता है क्योंकि मांग लगातार बढ़ने से कई परिवारों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

सर्दी के मौसम की तैयारियों के मद्देनज़र मानवीय राहतकर्मियों ने अनुमान लगाया है कि उन्हें छह करोड़ 80 लाख डॉलर की आवश्यकता होगी.

“इस महीने एक सर्वे में पाया गया कि छह लाख लोग टेंट, कैंप और घरेलू विस्थापितों के लिए बनाए गए शिविरों में रह रहे हैं. मानवीय साझेदार संगठनों का कहना है कि विकल्प ना होने की वजह से कुछ परिवार खुले में रहने को मजबूर हैं.”

पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आतंरिक जांच शुरू करने की घोषणा की थी जिसका उद्देश्य पश्चिमोत्तर सीरिया में सितंबर 2018 से अब तक हिंसक संघर्ष से जुड़े मामलों की जांच करना है. उस दौरान रूस और तुर्की के बीच इदलिब में एक असैनिक ‘बफ़र ज़ोन’ बनाने पर सहमति हुई थी.