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जलवायु संकट से निपटने के प्रयासों को मज़बूती देगी नई रिपोर्ट

इस रिपोर्ट को यूएनडीपी और संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन संस्था ने मिलकर तैयार किया है.
UN News/Elizabeth Scaffidi
इस रिपोर्ट को यूएनडीपी और संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन संस्था ने मिलकर तैयार किया है.

जलवायु संकट से निपटने के प्रयासों को मज़बूती देगी नई रिपोर्ट

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र उपमहासचिव आमिना जे. मोहम्मद ने 23 सितंबर को जलवायु शिखर वार्ता के लिए न्यूयॉर्क में विश्व नेताओं के आगमन से पहले एक रिपोर्ट जारी की है जो बताती है कि जलवायु परिवर्तन की गति कम करने के लिए दुनिया किस तरह सार्थक और त्वरित क़दम उठा सकती है. बताया गया है कि इस रिपोर्ट से यह समझने में मदद मिलेगी कि जलवायु शिखर वार्ता में नेता ठोस समाधान साथ लाए हैं या फिर सिर्फ़ भाषणों के साथ यहां एकत्र हुए हैं.

यूएन उपमहासचिव आमिना जे मोहम्मद ने कहा, “हमें मालूम है कि जलवायु परिवर्तन से निपटना अहम क्यों है. महासचिव ने बहामास में डोरियन को नारकीय श्रेणी का तूफ़ान बताया जिससे भारी तबाही हुई. यह जलवायु परिवर्तन से प्रभावित भविष्य की एक झलक थी – एक ऐसा भविष्य जिसमें शक्तिशाली तूफ़ान होंगे जिनकी तीव्रता व संख्या बढ़ेगी, और कार्बन उत्सर्जन के लिए सबसे कम ज़िम्मेदार देश तापमान बढ़ने के दुष्प्रभाव झेलते रहेंगे.”

The Heat is On – Taking Stock of Global Climate Ambition, नामक यह रिपोर्ट 130 देशों की सरकारों का रुख़ जानने के बाद तैयार की गई है.

रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि मौजूदा रफ़्तार से आगे बढ़ना पर्याप्त नहीं है और जल्द से जल्द कार्बन उत्सर्जन घटाने, अनुकूलन प्रयास तेज़ करने और वित्तीय संसाधन जुटाने होंगे.

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उन्होंने ‘इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए ज़ोर देकर कहा कि औसत वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से आगे नहीं जाने देना होगा जिसके लिए वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 45 फ़ीसदी की कटौती आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि सभी देशों को जलवायु कार्रवाई की अपनी राष्ट्रीय योजनाओं में शामिल करना होगा जिसे उन्होंने पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते का अहम अंग बताया है.

इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन संस्था (UNFCCC) ने मिलकर तैयार किया है जिससे यह समझने में मदद मिलेगी कि जलवायु शिखर वार्ता में नेता ठोस समाधान साथ लाएंगे या फिर सिर्फ़ भाषणों के साथ यहां एकत्र होंगे.

उन्होंने आशा व्यक्त की कि जलवायु संकट से निपटने की कार्रवाई का स्तर बढ़ाने में देश महत्वाकांक्षी होंगे. इस दिशा में सफलता के लिए महत्वाकांक्षी योजनाओं, त्वरित कार्रवाई और संगठित व प्रयासरत समाजों को अहम बताया गया है.

“जलवायु शिखर वार्ता के बारे में महासचिव ने कहा है कि दौड़ शुरू हो गई है. यह एक ऐसी दौड़ है जिसे हम जीत सकते हैं; इस दौड़ को हमें जीतना ही होगा.”

बातें कम, काम ज़्यादा

वर्ष 2015 में पेरिस समझौते के बाद से ही विश्व भर में जलवायु परिवर्तन से मुक़ाबले के प्रयास तेज़ हो रहे हैं जिनके तहत योजनाएँ, नीतियाँ और अनुमान समझौते के सुझावों के अनुरूप ढाला जा रहे हैं.

यूएनडीपी के प्रमुख एखिम श्टाइनर ने बताया कि हमें बातें कम करने और काम ज़्यादा करने की आवश्यकता है.  “विश्व की आधी आबादी अपनी अर्थव्यवस्थाओं की कायापलट कर उन्हें कम कार्बन उत्सर्जन पर आधारित बनाने में जुटी है.”

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संस्था (UNFCCC) के अनुसार ज़रूरी समर्थन के साथ शहर, क्षेत्र और व्यापारिक प्रतिष्ठान, देशों को उनकी महत्वाकांक्षा बढ़ाने, कार्बन उत्सर्जन कम करने के संकल्प पूरा करने में मदद कर सकते हैं.

हालांकि रिपोर्ट में माना गया है कि तमाम प्रयासों के बावजूद अब भी और ज़्यादा क़दम उठाए जाने की आवश्यकता है क्योंकि जलवायु परिवर्तन से लड़ाई की दौड़ में अभी दुनिया पिछड़ रही है और स्थिति में बदलाव लाने के लिए सभी वर्गों की ओर से समन्वित प्रयास करना होगा.

यूएनडीपी ने अपने समर्थन के संकल्प का स्तर बढ़ाया है जिसके ज़रिए वर्ष 2020 तक 100 से ज़्यादा देशों को जलवायु कार्रवाई योजनाओं को व्यापक बनाने में मदद मुहैया कराई जाएगी.

रिपोर्ट जारी करने के दौरान ‘मिशन 1.5’ की भी एक झलक दिखाई गई जो इंटरएक्टिव डिजिटल मीडिया का अनुभव है जो सुनिश्चित करेगा कि जलवायु कार्रवाई में नागरिकों की आवाज़ भी सुनी जाए.