प्रवासी संख्या में जनसंख्या वृद्धि की गति से भी तेज़ बढ़ोत्तरी

दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या बढ़कर 27 करोड़ 20 लाख हो गई है जिसने विश्व की जनसंख्या वृद्धि की दर को भी पीछे छोड़ दिया है. संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग (UNDESA) की नई रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के हर क्षेत्र में प्रवासियों की संख्या बढ़ने का रुझान सामने आ रहा है.
वर्ष 2010 की तुलना में नए आंकड़ों में उछाल देखने को मिला है – उस वर्ष अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या लगभग 22 करोड़ आंकी गई थी.
साल 2000 में प्रवासियों की संख्या वैश्विक जनसंख्या का 2.8 फ़ीसदी थी लेकिन अब यह बढ़कर 3.5 प्रतिशत हो गई है.
There are 272 million int'l #migrants today. Who are they?🗺️61 million were born in Europe👩130 million are women and girls👨💻202 million are of working ageSee all the latest @UNDESA facts #ForMigration: https://t.co/BjvvO9B1uj
UNDESA
देशों में जनगणना के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर जुटाए गए आधिकारिक आंकड़ों में शामिल विदेशियों की संख्या के आधार पर यह अनुमान लगाए गए हैं.
यहां अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों से अर्थ उन लोगों से है जो अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने के बाद अपना देश छोड़कर किसी अन्य देश में रह रहे हैं.
इनमें स्वेच्छा से या किसी मजबूरी की वजह से विस्थापन को भी शामिल किया गया है.
योरोप में सबसे बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय प्रवासी – 8 करोड़ 20 लाख - रहते हैं जिसके बाद क़रीब छह करोड़ प्रवासियों के साथ उत्तर अमेरिका का स्थान आता है.
इनमें भी सिर्फ़ अमेरिका में पांच करोड़ दस लाख प्रवासी रहते हैं जो किसी एक देश में सबसे बड़ा आंकड़ा है.
उत्तर अफ़्रीका और पश्चिमी एशिया में चार करोड़ 90 लाख प्रवासी रहते हैं इन क्षेत्रों का भारी संख्या में विदेशी रुख़ कर रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार कुल जनसंख्या में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की हिस्सेदारी क्षेत्र के आधार पर बदल जाती है.
ओशियाना क्षेत्र में (ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड सहित) विदेशियों की कुल जनसंख्या में हिस्सेदारी 21 प्रतिशत है जबकि उत्तरी अमेरिका यह आंकड़ा 16 फ़ीसदी है.
जबरन विस्थापन के मामलों और शरणार्थियों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है.
प्रवासन के रुझान पूरी दुनिया में देखे जा रहे हैं लेकिन अधिकांश यात्राएं बेहद सीमित देशों में देखने को मिल रही हैं जिनमें पहले तीन देश अमेरिका, जर्मनी और सऊदी अरब हैं.
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग में निदेशक जॉन विलमॉथ ने बताया कि प्रवासन और विकास में संबंद्ध भली-भांति स्थापित हो चुका है.
विभाग के अवर महासचिव ल्यो झेनमिन ने रिपोर्ट जारी होने से पहले अपने बयान में आंकड़ों को महत्वपूर्ण बताया था जिनसे प्रवासियों द्वारा की जाने वाली यत्राओं और उनके मूल व मेज़बान देशों में विकास प्रक्रिया को समझने में मदद मिलती है.
उन्होंने आशा ज़ाहिर की है कि सुनियोजित, सुरक्षित, नियमित और ज़िम्मेदार प्रवासन और लोगों की आवाज़ाही से टिकाऊ विकास लक्ष्यों को पाने में मदद मिलेगी.
जॉन विलमॉथ का कहना है कि प्रवासी अपने मूल देश और मेज़बान देश को अलग-अलग तरह से लाभ पहुंचाते हैं - मूल देश में अपनी कमाई का कुछ हिस्सा वापिस भेजकर और मेज़बान देश में नए विचारों के संचार के ज़रिए.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षित प्रवासन के लक्ष्य के प्रति संकल्पबद्ध है जिसे सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौतों का सहारा लिया जाता है ताकि शरणार्थियों और प्रवासियों की हिफ़ाज़त हो सके.
‘ग्लोबल कॉम्पैक्ट ऑफ़ रिफ़्यूजी’, ‘ग्लोबल कॉम्पैक्ट फ़ॉर सेफ़, आर्डरली एंड रेग्युलर माइग्रेशन’ पर दिसंबर 2018 में सहमति हुई थी.