यमन के क्षेत्रीय संघर्ष की दलदल में फंसने का ख़तरा

सऊदी अरब के तेल संयंत्रों पर हमले के बाद आशंका जताई जा रही है कि यमन में हिंसक संघर्ष का स्तर और बढ़ सकता है. हूती विद्रोहियों ने इन हमलों की ज़िम्मेदारी लेने का दावा किया है. यमन में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सोमवार को सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हुए बताया कि पहले से बदहाली का शिकार देश में हिंसा का व्यापक रूप से फैलना क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बेहद ख़तरनाक होगा.
विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि हूती विद्रोहियों और अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार के बीच चार वर्ष से चली आ रही लड़ाई का अंत करने में और ज़्यादा समय बर्बाद नहीं किया जा सकता.
यमन की सरकार को सऊदी अरब से समर्थन प्राप्त है और उसी के नेतृत्व में गठबंधन हूती लड़ाकों के साथ हिंसक संघर्ष चल रहा है जिससे देश भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है.
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों में समन्वयन के कार्यालय (UNOCHA) के अनुमान के अनुसार देश में 80 फ़ीसदी से अधिक जनसंख्या यानी लगभग 2 करोड़ 40 लाख लोग किसी न किसी रूप में मानवीय सहायता पर निर्भर है.
The United Nations Security Council discussed the situation in #Yemen today. Read the full remarks of the Special Envoy Martin Griffiths here: https://t.co/XxINnrSfvr
OSE_Yemen
मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए सुरक्षा परिषद को सचेत करते हुए कहा कि 14 सितंबर को सऊदी अरब की सरकारी कंपनी अरामको के तेल संयंत्रों पर हुए हमलों से कच्चे तेल के उत्पादन पर भारी असर हुआ है जिसके परिणाम सिर्फ़ क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेंगे.
उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई से क्षेत्रीय स्तर पर व्यापक हिंसा भड़कने का जोखिम बढ़ गया है और यमन के लिए इसके नतीजे ठीक नहीं होंगे.
यूएन दूत ने कहा है कि इस गंभीर स्थिति के बावजूद युद्धरत पक्षों में शांति प्रयासों की दिशा में सीमित प्रगति भी हुई है.
संघर्षविराम को और आगे बढ़ाने, अग्रिम मोर्चे पर तनातनी से परहेज़ करने और सुरक्षा बलों की फिर से तैनाती पर विचार-विमर्श के लिए पिछले सप्ताह मुलाक़ात हुई जिसमें संघर्ष विराम को बढ़ावा देने के लिए एक प्रक्रिया की पहचान की गई है
“पक्षों ने आगे क़दम बढ़ाने के लिए इच्छा ज़ाहिर की है जिससे मैं उत्साहित हूं. हिंसा में कमी बरक़रार रहना हुदायदाह समझौते की एक बड़ी उपलब्धि है. मैं इसे और मज़बूती से लागू करने के लिए ठोस क़दमों का स्वागत करता हूं ताकि मानवीय राहत आसानी से पहुंचाई जा सके.”
लेकिन यूएन के मानवीय मामलों के प्रमुख मार्क लोकॉक ने सुरक्षा परिषद को बताया कि हिंसा प्रभावित इलाक़ों में काम करने की परिस्थितियां बेहद ख़राब हो गई हैं.
मार्क लोकॉक ने बताया कि जून और जुलाई महीने में, राहत एजेंसियों के अनुसार 300 ऐसे मामले सामने आए जिनसे एजेंसियों के काम में बाधाएं आईं – अधिकांश मामलों में लड़ाकों की ओर से पाबंदियां लगाई गई थी. इनसे पचास लाख से ज़्यादा लोग प्रभिवात हुए.
इनमें लाभार्थियों के पंजीकरण में बाधाएं, राहत सामग्री का दूसरे मक़सद से इस्तेमाल, और राहत साझेदारों के चयन की प्रक्रिया पर नियंत्रण जैसी पाबंदियां शामिल थी.
कई बार राहत कर्मचारियों को चैकप्वाइंट पर रोक लिया गया और बहुत से मामलों में उन्हें मनमाने ढंग से गिरफ़्तार कर लिया गया. स्टाफ़ को भी सना एयरपोर्ट पर डराया धमकाया गया और उनका उत्पीड़न हुआ.
मार्क लोकॉक ने कहा कि इन सब चुनौतियों के बावजूद अगर फंडिंग जारी रहती है तो मानवीय राहत कर्मचारी लोगों तक मदद पहुंचाना जारी रखेंगे.
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको के तेल शोधन केंद्रों पर सिलसिलेवार ड्रोन हमलों के बाद उपजी स्थिति पर चिंता जताते हुए सभी पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया था.
यमन में हूती लड़ाकों ने इन हमलों की ज़िम्मेदारी लेने का दावा किया है जिनसे विश्व में तेल आपूर्ति में व्यवधान आने का जोखिम खड़ा हो गया है.
पिछले एक वर्ष में हूती लड़ाकों ने सऊदी अरब के तेल भंडारों को कई बार निशाना बनाया है, विशेषकर सऊदी अरब की सीमा से लगे यमन के उन इलाक़ों में जहां इन लड़ाकों का क़ब्ज़ा है.
इसके बावजूद ताज़ा हमले को अभूतपूर्व माना जा रहा है क्योंकि अरामको ने प्रतिदिन 57 लाख बैरल तेल का उत्पादन रोकने की बात कही है जो विश्व की कुल तेल आपूर्ति का पांच फ़ीसदी है.