सऊदी अरब के तेल संयंत्रों पर हमले के बाद संयम की अपील

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरमको के तेल शोधन केंद्रों पर सिलसिलेवार ड्रोन हमलों के बाद उपजी स्थिति पर चिंता जताते हुए सभी पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है. यमन में हूती लड़ाकों ने इन हमलों की ज़िम्मेदारी लेने का दावा किया है जिनसे विश्व में तेल आपूर्ति में व्यवधान आने का जोखिम खड़ा हो गया है.
यमन में हूती विद्रोहियों का सऊदी अरब के नेतृत्व वाली गठबंधन सेनाओं के साथ हिंसक संघर्ष चल रहा है जिससे यमन में बेहद ख़राब हालात है और उसे विश्व का सबसे ख़राब मानवीय संकट बताया जा रहा है.
हूती लड़ाकों ने दावा किया है कि शनिवार को तेल शोधन केंद्रों पर हमले के पीछे उनका हाथ है लेकिन अमेरिका के मुताबिक़ उनके इस दावे का कोई साक्ष्य नहीं है. अमेरिका ने ईरान पर विश्व की ऊर्जा आपूर्ति पर अभूतपूर्व हमला करने का आरोप लगाया है.
ईरान ने रविवार को हुए हमलों की किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी लेने से इंकार किया लेकिन उसके इस बयान से क्षेत्र में तनाव बढ़ गया कि अमेरिकी ठिकाने ईरानी मिसाईलों की जद में आते हैं.
पिछले एक वर्ष में हूती लड़ाकों ने सऊदी अरब के तेल भंडारों को कई बार निशाना बनाया है, विशेषकर सऊदी अरब की सीमा से लगे यमन के उन इलाक़ों में जहां इन लड़ाकों का क़ब्ज़ा है. इसके बावजूद ताज़ा हमले को अभूतपूर्व माना जा रहा है क्योंकि अरमको ने प्रतिदिन 57 लाख बैरल तेल का उत्पादन रोकने की बात कही है जो विश्व की कुल तेल आपूर्ति का पांच फ़ीसदी है.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्टेफ़ान दुजेरिक ने एक बयान जारी कर कहा कि, "महासचिव ने शनिवार को सऊदी अरब के पूर्वी प्रांत में अरमको तेल कंपनी के केंद्रों पर हुए हमले की निंदा की है – इसकी ज़िम्मेदारी हूती विद्रोहियों ने ली है." महासचिव गुटेरेश ने सभी पक्षों से अधिकतम संयम बरतने, उकसावेपूर्ण कार्रवाई रोकने और अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों का हस समय पालन करने की अपील की है.
शनिवार को यमन के लिए यूएन के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सैन्य संघर्ष के नए स्तर पर पहुंचने को बेहद चिंताजनक बताया और सभी पक्षों से अनुरोध किया है कि ऐसी घटनाओं की रोकथाम होनी चाहिए जिनसे क्षेत्रीय सुरक्षा को गंभीर ख़तरा पैदा होता हो, पहले से नाज़ुक स्थिति बिगड़ती हो और संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में जारी शांति प्रक्रिया जोखिम में पड़ती हो.
इस वर्ष जून महीने में ईरान, सऊदी अरब, अमेरिका और वैश्विक तेल व्यापार में शामिल देशों के बीच स्ट्रेट ऑफ़ होरमुज़ और ओमान की खाड़ी से होकर जाने वाले समुद्री मार्गों में तेल टैंकरों को क्षति पहुंचने, उन्हें ज़ब्त किए जाने और ड्रोन विमान गिराए जाने के बाद तनाव बढ़ गया था.