‘नारकीय श्रेणी’ के तूफ़ान डोरियन से बहामास में अभूतपूर्व तबाही
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बहामास में चक्रवाती तूफ़ान ‘डोरियन’ से हुई बर्बादी को क़रीब से देखने के बाद उसे नारकीय हालात पैदा करने वाली श्रेणी का तूफ़ान बताया है. उन्होंने ध्यान दिलाया है कि तूफ़ान पहले भी आते रहे हैं लेकिन अब उनकी तीव्रता और संख्या बढ़ रही है और जलवायु परिवर्तन उन्हें और घातक बना रहा है. उन्होंने कहा है कि इस तूफ़ान से जैसी तबाही हुई है वैसी उन्होंने पहले कभी नहीं देखी.
1 सितंबर को आए इस चक्रवाती तूफ़ान से बहामास के अबाको और ग्रैन्ड बहामा द्वीप सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए जहां अब तक 50 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है और 1,300 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इस दैत्याकार तूफ़ान से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दो बातें सीखनी होंगी:
"हमें जलवायु परिवर्तन रोकने की आवश्यकता है, हमें सुनिश्चित करना होगा कि निपटने के हमारे प्रयासों से ज़्यादा तेज़ गति से हो रहे जलवायु परिवर्तन के रुझान को पलटा जाए, और दूसरा यह कि बहामास जैसे देश जो जलवायु परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं लेकिन उसके दुष्प्रभावों को झेल रहे हैं, उन्हें अंतरराष्ट्रीय समर्थन दिया जाना होगा, ताकि वे मानवीय इमरजेंसी जैसे हालात से पूरी तरह निपट सकें साथ ही वहां पुनर्निर्माण और समुदायों की सहनशीलता सुनश्चित हो सके."
It’s impossible not to be horrified by the level of destruction caused by #HurricaneDorian in the Bahamas. In the era of the climate crisis, natural disasters have become more frequent and devastating. It’s time to change course and implement strong #ClimateAction now. pic.twitter.com/P1Cx5JygDS
antonioguterres
शनिवार को यूएन प्रमुख ने तूफ़ान से सबसे ज़्यादा प्रभावित समुदायों से मुलाक़ात की और उनके साथ एकजुटता का प्रदर्शन किया.
ट्विटर पर अपने संदेश में उन्होंने लिखा है कि तबाही के स्तर से वह भयाक्रांत हैं. यूएन शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख के तौर पर उन्होंने विश्व के सर्वाधिक संकटग्रस्त इलाक़ो का दौरा किया लेकिन ऐसी तबाही पहली कभी नहीं देखी. प्रभावित इलाक़ों का जायज़ा लेने के बाद यूएन प्रमुख ने अबाको में अंतरराष्ट्रीय राहतकर्मियों और सरकारी प्रतिनिधियों से भी मुलाक़ात की.
राहत और बचाव कार्य मे विकट परिस्थितियों में संकल्प और उदारता के साथ काम में जुटे लोगों का आभार जताते हुए उन्होंने आगाह किया कि ये आपदाएं और उनके साथ आने वाली तबाही दर्शाती है कि प्राकृतिक आपदाएं कितना व्यापक रूप धारण कर रही हैं और उनकी तीव्रता और ताक़त बढ़ रही है. इन आपदाओं के कारण बहामास जैसे देश एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं.
"यह स्पष्ट है कि इनका बढ़ना मानवीय गतिविधियों से जुड़ा है, जिससे जलवायु बदल रही है. निश्चित रूप से बहामास का जलवायु परिवर्तन में योगदान नहीं है..इसलिए उसके साथ एकजुटता बेहद ज़रूरी है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसे मज़बूती से प्रकट करना होगा."
यूएन प्रमुख ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कुछ लोग मानते हैं कि बहामास जैसे मध्य-आय वाले देशों को ‘डोरियन’ तूफ़ान से होने वाली तबाही के बाद समर्थन नहीं दिया जाना चाहिए लेकिन यह "ग़लत विचार है, विशेषकर उन मध्य आय वाले देशों के लिए जो उन बाहरी झटकों से प्रभावित हो रहे हैं जिनके लिए वे ज़िम्मेदार नहीं हैं."
बहामास में अभी राहत एवं बचाव कार्य चल रहा है और आपात हालात हैं लेकिन उसके बाद वहां पुनर्निर्माण, सुदृढ़ता और तबाही से उबरने का चरण आएगा जिसके लिए भारी निवेश की आवश्यकता होगी – उसके लिए सरकार और अंतरराष्ट्रीय समर्थन बेहद अहम होगा.
बहामास के नागरिकों की अपेक्षाओं का ख़्याल रखा जाना होगा ताकि अर्थव्यवस्था और समाज पर पड़े असर के बाद स्थानीय जीवन को संवारा जा सके. यूएन प्रमुख ने कहा कि इस काम में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एक बड़ी भूमिका है और वह जहां भी जाएंगे इस बात को याद दिलाते रहेंगे.