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धार्मिक स्थलों की पवित्रता और सुरक्षा क़ायम रखने की पुकार

जम्मू और कश्मीर में शुक्रवार की नमाज़ का नज़ारा.
JOHN ISAAC
जम्मू और कश्मीर में शुक्रवार की नमाज़ का नज़ारा.

धार्मिक स्थलों की पवित्रता और सुरक्षा क़ायम रखने की पुकार

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र अलायंस ऑफ़ सिविलाइज़ेशंस (UNAOC) ने धार्मिक स्थलों की शुचिता और उपासकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से गुरूवार को एक नई कार्ययोजना पेश की है. यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस अवसर पर कहा कि इसके ज़रिए विश्व भर में सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को बढ़ावा दिया जाएगा.  उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि उपासना स्थलों को चिंतन और शांति के लिए सुरक्षित पनाहगाह होना चाहिए, ना कि ख़ूनख़राबे और आतंक के घटनास्थल.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “धार्मिक स्थल हमारी सामूहिक चेतना के शक्तिशाली प्रतीक हैं. जब लोगों पर उनकी आस्था या धर्म की वजह से हमला होता है तो सर्वसमाज कमज़ोर पड़ता है.”

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न्यूज़ीलैंड के क्राइस्टचर्च शहर की दो मस्ज़िदों, पिट्सबर्ग के ट्री ऑफ़ लाइफ़ यहूदी उपासना स्थल, ईस्टर संडे पर श्रीलंका के तीन कैथॉलिक चर्चों पर भयावह हमलों और धार्मिक स्थलों पर विश्व भर में नफ़रत से प्रेरित हमलों की संख्या बढ़ने के बाद संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने यूएनएओसी से एक कार्ययोजना को तैयार करने के लिए कहा था.

महासचिव गुटेरेश के अनुसार इसके समानांतर नफ़रत भरी बोली और भाषणों पर भी एक कार्ययोजना तैयार हुई है जिसके ज़रिए भड़काऊ भाषा के मूल कारणों से निपटने और उसका सही जवाब देने के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में बेहतर समन्वयन सुनिश्चित किया जाएगा.

“ये दोनों कार्ययोजनाएं महत्वपूर्ण और एक दूसरे को मज़बूती प्रदान करने वाले ऐसे साधन पेश करती हैं जिनसे असहिष्णुता का सामना करते हुए शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को बढ़ावा दिया जा सकता है.”

उन्होंने आगाह किया कि सशस्त्र संघर्ष की परिस्थिति में धार्मिक इमारतों की अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों के तहत सुरक्षा की जाती है और उन पर जानबूझकर हमला युद्धापराध माना जाता है.

यूएन प्रमुख ने कड़े शब्दों में कहा कि हिंसा की धमकियों से निपटने के लिए भलाई के लिए काम करने वाली आवाज़ों को एक साथ जोड़ना होगा और नफ़रत भरे संदेशों का सामना शांति संदेशों, विविधता को गले लगाकर, सामाजिक एकजुटता बढ़ाकर और मानवाधिकारों की रक्षा से करना होगा.

उन्होंने कहा कि एक साथ मिलकर धार्मिक स्थलों पर हमलों की रोकथाम हो सकती है और श्रृद्धालुओं को सुरक्षित माहौल में उपासना का अवसर सुनिश्चित किया जा सकता है. 

यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा है कि उपासना स्थलों को चिंतन और शांति के लिए सुरक्षित पनाहगाह होना चाहिए, ना कि ख़ूनख़राबे और आतंक के घटनास्थल.

इस कार्ययोजना के ज़रिए संयुक्त राष्ट्र मौजूदा समय में उभरने वाले एक बड़ी चुनौती से निपटने के लिए अहम क़दम आगे बढ़ा रहा है.

“आइए, इस मुश्किल भरे समय में हम साथ मिलकर काम करना जारी रखें ताकि हम उन मूल्यों को क़ायम रख सकें जो हमें एक मानव परिवार के रूप मे जोड़ते हैं.”

यूनाइटेड नेशंस अलायंस ऑफ़ सिविलाइज़ेशंस के उच्च प्रतिनिधि मिगेल एंगेल मोराटिनोस ने बताया कि इस कार्ययोजना को व्यापक रूप से तैयार किया गया है जिसमें हर हिस्सेदार ने अपनी भूमिका निभाई है.

इस कार्ययोयजना को संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के तहत तैयार किया गया है और हर हिस्सेदार ने इसमें सहयोग दिया है.

मोराटिनोस ने बताया कि सदस्य देशों ने उनसे आग्रह किया था कि कार्ययोजना का स्वरूप वैश्विक होना चाहिए, हेट स्पीच से लड़ने के तरीक़ों में, विशेषकर ऑनलाइन माध्यमों पर, महिलाओं और युवाओं की भी भूमिका होनी चाहिए.

यह कार्ययोजना एक नतीजों पर आधारित दस्तावेज़ है ताकि धार्मिक स्थलों पर संभावित हमलों से निपटने के लिए ज़रूरी क़दमों उठाए जा सकें.

इनमें जिन अनुशंसाओं का उल्लेख किया गया है उनमें आपसी सम्मान और समझ बढ़ाने के लिए एक वैश्विक मुहिम चलाने और हिंसक चरमपंथ के मुक़ाबले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर योजनाएं तैयार करने से है.

साथ ही धार्मिक नेताओं से भी नियमित तौर पर शांति और सहिष्णुता के संदेश बांटने का प्रयास होगा.