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सीरिया में बच्चे और महिलाएँ अमानवीय हालात में बंदी

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कर्मचारी अल होल शिविर (सीरिया) में एक स्वास्थ्य क्लीनिक में एक महिला की मदद करते हुए जो अपने चार दिन के पोते को वहाँ लेकर आई थी. (16 जून 2019)
OCHA/Hedinn Halldorsson
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कर्मचारी अल होल शिविर (सीरिया) में एक स्वास्थ्य क्लीनिक में एक महिला की मदद करते हुए जो अपने चार दिन के पोते को वहाँ लेकर आई थी. (16 जून 2019)

सीरिया में बच्चे और महिलाएँ अमानवीय हालात में बंदी

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र नियुक्त स्वतंत्र जाँचकर्ताओं ने कहा है कि सीरिया के पश्चिमोत्तर इलाक़े में लोग तेज़ हुई हिंसा में फँस गए हैं और देश में दूसरी तरफ़ हज़ारों महिलाओं व बच्चों को अमानवीय हालात मे बंदी बनाकर रखा गया है. 

इन स्वतंत्र जाँचकर्ताओं ने बुधवार को सीरिया के अल होल शिविर में स्थिति को भयावह क़रार देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तुरंत ठोस कार्रवाई करने का आहवान किया.

अल होल शिविर में देशविहीनता का ख़तरा

जाँच आयोग ने सीरिया में जारी युद्ध पर अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि अल होस शिविर में रखे गए लगभग साढ़े तीन हज़ार बच्चे ऐसे हैं जिनके पंजीकरण दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं हैं.

जाँच आयोग के अध्यक्ष पाउलो पिनहेरियो ने बताया कि इन बच्चों के देश विहीन होने का ख़तरा बढ़ रहा है क्योंकि सदस्य देश उन बच्चों को वापिस लेने के लिए तैयार नहीं हैं. इन बच्चों के साथ किसी रूप में आतंकवादियों के तार जुड़े होने का अंदेशा जताया गया है.

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उन्होंने कहा कि अल होल शिविर में लगभग 70 हज़ा लोगों को अमानवीय और निंदनीय हालात में रखा गया है, इनमें बहुत बड़ी संख्या महिलाओं और 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की है.

उन लोगों की तरफ़ से भावुक अपीलकरते हुए जाँच आयोग के अध्यक्ष ने कहा, “वो बच्चे और किशोर हैं – और हमें लगता है कि ये कोई अजनबी स्थिति है... क्या आप जानते हैं कि ये बच्चे कहाँ से हैं? हमें नहीं मालूम, शायद आप सदस्य देशों से सवाल कर सकते हैं.”

उन्होंने ये सवाल इन आरोपों और संदेहों के संदर्भ में दागा था कि इन बच्चों के संबंध आतंकवादियों के साथ होने के आरोप कितने सही हो सकते हैं. क्या ये सिर्फ़ इसलिए कि उन सब बच्चों की उम्र 12 वर्ष से कम की है. “जाँच आयोग इस स्थिति को बिल्कुल भयावह और दिल दहला देने वाली समझता है.”

जाँच आयोग की रिपोर्ट के अनुसार अल होल शिविर में मानवीय सहायता की ज़रूरतों पर देशों का सहयोग अब भी बहुत कम है क्योंकि सैकड़ों ऐसी मौतें हुई हैं जिन्हें रोका जा सकता था.

जाँचकर्ताओं ने कहा कि कम से कम 390 बच्चों की मौत कुपोषण या ऐसे ज़ख़्मों की वजह से हो गई जिनका इलाज नहीं किया गया.  

इसके अलावा यज़ीदी समुदाय की महिलाओं और बच्चों को मनोवैज्ञानिक मदद बहुत ही सीमित स्तर पर मुहैया कराई जा रही है जबकि इसकी बड़े पैमाने पर ज़रूरत है. ये वो महिलाएँ और बच्चे हैं जो इराक़ में 2014 में आइसिल के अत्याचारों से बचकर भागे थे.

अल होल शिविर में रखा गए हज़ारों ऐसे लोग भी हैं जो बाग़ौज़ में आइसिल की बमबारी से बचकर भागे थे. ये पूर्वी सीरिया में आइसिल का दबदबे वाला इलाक़ा था. यहाँ ये लोग मानवीय सहायता के संसाधनों से और भी ज़्यादा दूर हो गए हैं.

मदद के लिए बहुत मुश्किलें

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता मामलों के कार्यालय (OCHA) ने जाँच आयोग कि रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वो आयोग की चिंताओं से सहमत है. साथ ही ये भी कहा कि 30 से भी ज़्यादा साझेदार अल होल शिविर में सहायता सेवाएँ मुहैया कराने में भारी मुश्किलें महसूस कर रहे हैं.

इस एजेंसी के प्रवक्ता जेन्स लाएर्के का कहना है, “जो लोग भागकर इस शिविर में आए हैं, वो पहले से ही आइसिल के हाथों असीम तकलीफ़े उठा चुके हैं. शिविर में रहने वाले लोगों की संख्या कुछ महीनों के दौरान दस हज़ार से बढ़कर 70 हज़ार पर पहुँच गई है” और मानवीय सहायता संगठनों ने अपनी सेवाओं में भी तेज़ी की है.

जेन्स लाएर्के ने कहा कि बेशक अल होल शिविर में अब भी ज़रूरतों का स्तर बहुत ऊचा है लेकिन सेवाओं का स्तर भी धीरे-धीरे बेहतर हो रहा है. ख़ासतौर से स्वास्थ्य क्षेत्र में क्योंकि शिविर में तीन नए अस्पताल भी स्थापित किए गए हैं.

बच्चों के भविष्य में दिलचस्पी नहीं

पैनल की एक सदस्य कैरेन अबुज़ायद ने पाउलो पिनहीरो की अंतरराष्ट्रीय सहायता की अपील सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि ये इस पक्ष या उस पक्ष को तोहमत लगाने का मामला नहीं है.

“जिन लोगों पर इस शिविर का प्रभार है, उनके पास भी सीमित संसाधन हैं, मेरे कहने का मतलब ये है कि इन शरणार्थियों को ऐसे स्थानों पर रखा गया है जहाँ के प्रभारी लोग अच्छे नहीं हैं. और वो ऐसे लोग नहीं हैं जिन्हें इन बच्चों, महिलाओं या शिविर में रहने वाले अन्य लोगों के भविष्य में कोई दिलचस्पी हो.”

पाउलो पिनहीरो ने बाल अधिकारों पर संधि का ज़िक्र करते हुए कहा कि ये संधि सदस्य देशों से बच्चों की हिफ़ाज़त करने के लिए स्पष्ट शब्दों में कहती है कि जन्म पर हर बच्चे का पंजीकरण होना चाहिए. इस शिविर की हालत के बारे में सभी सदस्य देशों की सामूहिक ज़िम्मेदारी बनती है.

“मेरे ख़याल में उन लोगों को ज़िम्मेदार ठहराना सही नहीं होगा जिन लोगों ने इन शरणार्थियों को इस शिविर में रखा हुआ है.”

जाँच आयोग ने कहा कि सीरिया में लगभग आठ साल से जारी गृहयुद्ध में विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या एक करोड़ 30 लाख के आसपास हो गई है.