'हम अपना भविष्य ख़ुद ही तबाह कर रहे हैं'- मानवाधिकार उच्चायुक्त
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की जिनीवा में सोमवार को वार्षिक बैठक मानवाधिकार उच्चायुक्त की इस चेतावनी के साथ शुरू हुई कि अमेजॉन में लगी भीषण आग ना सिर्फ़ जंगलों को जला रही है, बल्कि “हम भी अपने भविष्य को तबाह कर रहे हैं, सच में”.
मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने 47 सदस्यों वाली मानवाधिकार परिषद से जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने के लिए एकजुट होने की सीधी अपील की और ज़ोर देकर कहा कि पूरी दुनिया में हर क्षेत्र इस चुनौती से प्रभावित होने वाला है.
Key points to #ActNow – @mbachelet: https://t.co/y1AQOsCxDx #HRC42 🌀Climate change undermines rights, development & peace📣#ClimateAction requires broad & meaningful participation🌊Island States like #Bahamas cannot act alone to solve a problem that is not of their own making pic.twitter.com/annNwrgLPM
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हालाँकि उन्होंने ये भी कहा कि निकट भविष्य में तो बोलीविया, पराग्वे और ब्राज़ील में मरुस्थलीकरण और भीषण आग लगने के गंभीर परिणाम उन्हीं क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को भुगतने पड़ रहे हैं.
मिशेल बाशेलेट का कहना था, “जलवायु परिवर्तन अब एक ऐसी वास्तविक चुनौती है जिससे दुनिया का हर क्षेत्र प्रभावित होगा.”
“वैश्विक तापमान वृद्धि के जो मौजूदा अनुमान व्यक्त किए गए हैं उनके अनुसार इंसानों पर बहुत ख़तरनाक़ असर होने वाला है. तूफ़ानों का मिज़ाज और ख़तरनाक हो रहा है, लहरों की ऊँचाई इतनी ज़्यादा होने लगी है कि वो समूचे द्वीपीय देशों और तटीय शहरों को हड़प सकती हैं. भीषण आग हमारे जंगलों को लील रही हैं और बर्फ़ पिघलकर पानी बन रहा है. हम अपने भविष्य को तबाह कर रहे हैं, सच में”
मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि जलवायु आपदा की वजह से विश्व स्तर पर भुखमरी का स्तर बढ़ गया है. साथ ही तापमान वृद्धि की वजह से वर्ष 2030 से 2050 के बीच दुनिया भर में कुपोषण, मलेरिया, डायरिया और गर्मी लगने से हर साल ढाई लाख तक लोगों की मौत हो सकती है.
‘मानवाधिकारों के लिए विशाल ख़तरा’
मिशेल बाशेलेट का कहना था, “विश्व ने इससे पहल कभी भी मानवाधिकारों के लिए इस स्तर का ख़तरा नहीं देखा है. ये कोई ऐसी स्थिति नहीं है जिसमें कोई देश, कोई संस्थान और नीति-निर्माता एक किनारे होकर खड़े हो जाएँ. सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएँ; हर देश का संस्थानिक, राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक ताना-बाना और तमाम लोगों के अधिकार सभी प्रभावित होंगे, जिनमें आने वाली पीढ़ियाँ भी शामिल होंगी.”
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शुरू होने वाले जलवायु कार्रवाई सम्मेलन से 14 दिन पहले अपने संबोधन में मिशेल बाशेलेट ने जिनीवा स्थित मानवाधिकार परिषद से भी इस मामले में अपना योगदान करने का आग्रह किया.
मिशेल बाशेलेट ने सदस्य देशों से कहा कि हर देश को जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए यथासंभव असरदार कार्रवाई करनी चाहिए और जब वो इस संबंध में नीतियाँ लागू करें तो अपने नागरिकों के अधिकारों और उनकी स्थिति को मज़बूत करने का भी ख़याल करें.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने अपने संबोधन में कम से कम दो दर्जन बार देसी लोगों और अल्पसंख्यकों का भी ज़िक्र किया. उन्होंने परंपरा के अनुसार अनेक देशों में मौजूद मानवाधिकार स्थिति का भी ज़िक्र किया जिन पर मानवाधिकार परिषद को ध्यान देना है.
कश्मीर में मौजूदा हालात पर चिंताओं का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कर्फ़्यू, इंटरनेट व राजनैतिक सभाओं पर लगी पाबंदियों की रिपोर्टों की तरफ़ ध्यान खींचा. इनमें कार्यकर्ताओं को बंदी बनाए जाने की ख़बरें भी शामिल थीं.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने पाकिस्तान के साथ-साथ ख़ासतौर से भारत से अपील करते हुए कहा कि वहाँ की सरकारें लोगों को बुनियादी सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करें.
उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में हाल ही में जनगणना की तरफ़ ख़ास ध्यान दिलाया जो राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के तहत की गई है.
उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर में लगभग 19 लाख लोगों को नागरिकता सूची से बाहर कर दिया गया है.
उन्होंने भारत सरकार से अपील करते हुए कहा कि इस घटनाक्रम को चुनौती देने वालों को समुचित क़ानूनी विकल्प उपलब्ध हों, साथ ही ये भी सुनिश्चित किया जाए कि लोगों को देशविहीनता या नागरिकता विहीनता की स्थिति का सामना ना करना पड़े.