युद्धों में मारे गए बच्चों की याद में यूनीसेफ़ की संवेदनशील पहल

ऐसे में जबकि दुनिया भर के कई हिस्सों में बच्चों ने वार्षिक छुट्टियों के बाद फिर से स्कूल जाना शुरू कर दिया है तो संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) ने संघर्षरत इलाक़ों में रहने वाले बच्चों की दयनीय स्थिति को दर्शाने और बेहतर सुरक्षा की पुकार लगाते हुए एक अनोखा अभियान शुरू किया.
इसमें यूनीसेफ़ ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 3758 स्कूली बैगों (बैकपैक) की स्थापना करके उन बच्चों को याद किया जो 2018 के दौरान संघर्षों और युद्धों में मौत का शिकार हो गए.
UNICEF backpacks have always been a symbol of hope & childhood possibility.In two weeks, world leaders gathering at #UNGA will mark the 30th anniversary of the Convention on the Rights of the Child. This installation should remind them of the stakes. @unicefchief #ForEveryChild pic.twitter.com/VaaeZEtGah
UNICEF
यूनीसेफ़ के इस अभियान के तहत मुख्यालय स्थित बाग़ीचे में ये स्कूली बैग रखे गए जिसमें विश्व नेताओं को संदेश देने की कोशिश की गई है जो महासभा के वार्षिक सत्र के लिए सितंबर में मुख्यालय में एकत्र होने वाले हैं.
इन स्कूली बैगों को समाधियों यानी क़ब्रों की शक्ल में बाग़ीचे में रखा गया है जिसमें हर एक बैग हर उस बच्चे का प्रतिनिधित्व करता है जिसकी ज़िंदगी निरर्थक व व्यर्थ संघर्ष या युद्ध की भेंट चढ़ गई.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरिएटा फ़ोर ने इस अवसर पर कहा, “यूनीसेफ़ के बैगपैक हमेशा ही उम्मीदों व बच्चों में नीहित संभावनाओं का प्रतीक रहे हैं.”
हेनरिएटा फ़ोर ने कहा, “केवल दो सप्ताहों के भीतर विश्व नेता संयुक्त राष्ट्र महासभा में इकट्ठा होकर बाल अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय संधि की 30वीं वर्षगाँठ मनाएंगे. इन बैगपैकों की ये स्थापना उन्हें याद दिलाएगी कि क्या-क्या दाँव पर लगा है.”
इन बैगपैकों को बाद में दुनिया भर में बच्चों की शिक्षा यात्रा को समर्थन देने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
बच्चों और सशस्त्र संघर्षों पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की 2019 की रिपोर्ट में कहा गया है कि गत वर्ष युद्ध क्षेत्रों में 12 हज़ार से ज़्यादा बच्चे हताहत हुए.
संयुक्त राष्ट्र ने जब से इस दर्दनाक स्थिति की जब से निगरानी के साथ-साथ आँकड़े एकत्र करने शुरू किए हैं तब से ये सबसे ज़्यादा संख्या है.
ये संख्या पुष्ट घटनाओं की है इसलिए हताहत हुए बच्चों की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज़्यादा हो सकती है.
अफ़ग़ानिस्तान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सीरिया, यमन और अनेक अन्य स्थानों पर युद्ध की सबसे भारी क़ीमत बच्चों को ही चुकानी पड़ रही है.
सशस्त्र संघर्षों में बड़ी संख्या में बच्चे बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाले विस्फोटक हथियारों के इस्तेमाल की वजह से हताहत होते हैं.
इनमें हवाई हमले, बारूदी सुरंगें और क्लस्टर हथियार शामिल हैं.
हेनरिएटा फ़ोर का कहना था, “चूँकि बहुत से बच्चे इसी सप्ताह फिर से स्कूल जाना शुरू कर रहे हैं, हम उन हज़ारों बच्चों की तरफ़ ध्यान आकर्षित कर रहे हैं जो युद्ध वाले क्षेत्रों में मौत का शिकार हो गए."
"उनकी इस तरह मौत के बाद उनकी कमी को उनके घरों में, स्कूलों में और विश्व भर के समुदायों में हमेशा महसूस किया जाएगा.”
यूनीसेफ़ प्रमुख का कहना था, “पिछले 30 वर्षों के दौरान बच्चों की भलाई के लिए जो कामयाबियाँ हासिल की गई हैं उनसे नज़र आता है कि अगर बच्चों को प्राथमिकता पर रखने वाली राजनैतिक इच्छाशक्ति के साथ काम किया जाए तो कितने अच्छे परिणाम हासिल किए जा सकते हैं.”