त्रिपोली पर नियंत्रण की दौड़ में नहीं थम रहा ख़ूनख़राबा
तथाकथित लीबियन नेशनल आर्मी और अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त अंतरिम सरकार के सुरक्षाकर्मियों के बीच त्रिपोली पर नियंत्रण के लिए छिड़ी लड़ाई को पांच महीने पूरे हो गए हैं. लीबिया में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि ग़ासन सलामे ने ने बुधवार को सुरक्षा परिषद को बताया कि इस लड़ाई की वजह से देश में शांति और स्थिरता स्थापित करने के प्रयासों को झटका लगा है.
अप्रैल 2019 के शुरुआती दिनों में अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार के सुरक्षा बलों और देश के पूर्वी हिस्से पर नियंत्रण करने वाले लीबियन नेशनल आर्मी के कमांडर ख़लीफ़ा हफ़्तार के वफ़ादार सैनिकों में भारी लड़ाई शुरू हुई जिसमें बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं.
लीबिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि ग़ासन सलामे ने बताया कि नए सिरे से शुरू हुआ हिंसक संघर्ष अब अन्य क्षेत्रों में फैल रहा है जिसका ख़ामियाज़ा आम नागरिकों और लड़ाई में शामिल पक्षों को भुगतना पड़ रहा है.
अब तक 100 से ज़्यादा आम नागरिकों की मौत हुई है, 300 से ज़्यादा घायल हुए हैं जबकि एक लाख 20 हज़ार विस्थापित हुए हैं.
SRSG @GhassanSalame to Security Council: The idea that war should be given a chance and that a military solution is at all possible is quite simply a chimaera. I believe this august council is capable of more. And I also believe that the Libyans deserve better. pic.twitter.com/BbEFheYbU2
UNSMILibya
सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि युद्ध में मारे गए लड़ाकों की सही संख्या की पुष्टि नहीं हो पाई है.
उन्होंने आशंका जताई कि यह आंकड़ा एक हज़ार के आसपास हो सकता है.
लीबिया के युवा नागरिकों की एक पूरी पीढ़ी युद्धभूमि में अपना ख़ून बहा रही है जबकि उनके कौशल का इस्तेमाल देश को फिर से संवारने में किया जा सकता है.
हवाई अड्डे पर हमले की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि रविवार को एक त्रासदी उस समय टल गई जब श्रृद्धालुओं को लेकर आ रहा एक विमान चमत्कारिक रूप से मिटिगा एयरपोर्ट पर दागे गए बम के गोलों का निशाना बनने से बच गया. हालांकि इस घटना में सात लोगों की मौत हुई है.
लीबिया में यूएन मिशन (UNSMIL) प्रमुख ग़ासन सलामे ने अंधाधुंध ढंग से की जाने वाली बमबारी की निंदा करने में सुरक्षा परिषद के मज़बूत समर्थन की अपील की है.
यूएन के विशेष प्रतिनिधि ने 10 अगस्त को आपात सत्र बुलाए जाने के लिए सुरक्षा परिषद का आभार जताया.
इस सत्र को बेनग़ाज़ी में एक ‘कायरना हमले’ में तीन संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों की मौत के बाद बुलाया गया था. संयुक्त राष्ट्र इस बम हमले की आंतरिक जांच कर रहा है.
यूएन मिशन प्रमुख ने इस जांच के समानांतर लीबियाई प्रशासन से सहयोग देने और दोषियों को तत्काल सज़ा दिलाने की अपील की है.
मौजूदा समय में यूएन मिशन सीमित संख्या में तैनात यूएन कर्मचारियों के साथ काम कर रहा है.
ग़ासन सलामे ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा व्यवस्था का विस्तृत जायज़ा लिए जाने के बाद ही दीर्घकालीन स्थिति के बारे में कुछ कहा जाता है.
अपहरण और जबरन ग़ायब कराए जाने के मामलों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए उन्होंने कहा कि संसद सदस्य सिहाम सरगेवा के बारे में अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है.
उन्हें 17 जुलाई को बेनगाज़ी में उनके घर से अगवा कर लिया गया था. “मैं प्रशासन से अपनी अपील दोहराता हूं कि पूर्वी हिस्से में उन्हें जबरन ग़ायब कराने के मामले की जांच होनी चाहिए और नतीजे उजागर किए जाने चाहिए.”
लीबिया के गृहमंत्री ने प्रवासियों और शरणार्थियों के लिए बनाए गए तीन हिरासत केंद्रों को एक अगस्त को बंद किए जाने का आदेश जारी किया था.
संयुक्त राष्ट्र ने भी अंतरिम सरकार को इस संबंध में एक आपात योजना का ख़ाका सौंपा था जिसके तहत हिरासत में रखे जाने के बजाय अन्य विकल्प सुझाए गए थे.
लेकिन विशेष प्रतिनिधि ने क्षोभ जताया कि हिरासत केंद्रों को बंद करने के लिए जारी की गई अपीलों के बावजूद प्रवासी अब भी वहां भेजे रहे हैं.
सरकार ने जुलाई में बमबारी का शिकार रहे तजोरा केंद्र को बंद करने का दावा किया है लेकिन फिर भी वहां लोग भेजे जा रहे हैं.
“प्रवासियों और शरणार्थियों को अब भी हथियारबंद गुटों के नियंत्रण वाले इलाक़ों में हिरासत में रखा जा रहा है जिससे उनकी जान को ख़तरा बढ़ रहा है.
हाल के सप्ताहों में लीबिया के तटरक्षकों ने सैकड़ों की संख्या में प्रवासी और शरणार्थी पकड़े हैं – कुछ को आज़ाद कर दिया गया है जबकि अन्य को हिरासत में रखा जा रहा है.