'दुनिया भर में संकटों के बावजूद मानवाधिकार मुद्दे सबकी ज़िम्मेदारी'

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अशांति व हिंसा के मद्देनज़र वैश्विक पुकार लगाते हुए कहा है कि सभी संबद्ध पक्ष हिंसा को छोड़कर संयम से काम लें और मुक्त व समावेशी संवाद को प्राथमिकता दें. मानवाधिकार उच्चायुक्त के पद पर एक वर्ष पूरा करने के मौक़े पर बुधवार को जिनीवा में प्रेस से बातचीत में उन्होंने ये आहवान किया.
मिशेल बाशेलेट ने कहा कि आज के घने रूप से जुड़े हुए विश्व में अगर किसी एक स्थान पर मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है तो अन्य स्थानों पर भी उनके गंभीर नतीजे हो सकते हैं.
"हम ऐसा होते हुए देखते हैं - जब अपने देशों में भारी संख्या में लोगों को सशस्त्र संघर्षों, असुरक्षा, राजनैतिक दमन, जलवायु संकट और आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकारों की हिफ़ाज़त करने में नाकामी की वजह से अपने घर व स्थान छोड़कर जाना पड़ाता है "
उन्होंने कहा, “हर जगह: हांगकांग में, रूस में, इंडोनेशियाई पपुआ, भारत प्रशासित कश्मीर, होंडूरास और ज़िंबाब्वे – और यमन व सीरिया तो हैं ही, हम बातचीत की सख़्त ज़रूरत महसूस करते हैं.”
उनका कहना था, “बहुत सारी परेशानियों और तकलीफ़ों की जड़ असमानताओं और सत्ता के असंतुलन में बैठी हुई है. जब समाज के सभी तबक़ों को अपने सामाजिक, आर्थिक, सिविल, राजनैतिक और सांस्कृतिक अधिकारों को इस्तेमाल करने के लिए एक सुरक्षित माहौल में और बिना किसी डर के, खुले रूप में चर्चा करने की छूट होती है तभी स्थिरता की गारंटी सुनिश्चित की जा सकती है.”
The impact of #HumanRights violations in one part of the world can have serious regional and international repercussions on another – UN Human Rights Chief @mbachelet talks to the press at @UNGeneva 👉 https://t.co/VudhTEf7rE#StandUp4HumanRights pic.twitter.com/WtKj6PpymI
UNHumanRights
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि भिन्न मत और विचार रखने वाले लोगों के ख़िलाफ़ अनावश्यक और ग़ैर-वाजिब ताक़त का इस्तेमाल करना, और विचार व्यक्त करने व शांति पूर्ण तरीक़े के सभा करने के अपने अधिकार का प्रयोग करने वाले लोगों को गिरफ़्तार करने से सिर्फ़ तनाव ही बढ़ता है और संवाद की गुंजाइश की अहमियत गंभीर रूप से कम होती है.
मिशेल बाशेलेट ने कहा कि अभूतपूर्व रूप से संप्रभुता और राष्ट्रीय सीमाओं का बहाना बनाकर मानवाधिकार मुद्दों को उठाने से रोका जा रहा है और मानवाधिकार मामलों में बहुत सख़्ती बरती जा रही है. साथ ही दुनिया भर में ऐसे देशों की संख्या बढ़ रही है जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उनके अंदरूनी मामलों में दख़ल नहीं देने के लिए आगाह कर रहे हैं.
इन हालात के मद्देनज़र मिशेल बाशेलेट ने सभी देशों का आहवान किया कि वो इन अति महत्वपूर्ण मानवाधिकार मुद्दों पर एक साथ बैठकर कोई हल निकालें.
पेरिस जलवायु समझौता, ग्लोबल कॉम्पैक्ट फ़ॉर माइग्रेशन और ग्लोबल कॉम्पैक्ट ऑन रैफ्यूजीज़ ठोस और प्रासंगिक मार्गदर्शन मुहैया कराते हैं. और सबसे बढ़कर मानवाधिकारों का सार्वभौमिक घोषणा-पत्र व अन्य प्रासंगिक मानवाधिकार संधियाँ भी राह दिखाने के लिए मौजूद हैं.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने ख़ासतौर से कहा कि सीरिया हाल के समय में बहुत भीषण संकटों में से एक रहा है और 29 अप्रैल से लेकर 29 अगस्त तक के चार महीनों में इदलिब और उसके आसपास के इलाक़ों में 1089 लोगों की मौत होने की पुष्टि हुई है. इन मौतों के लिए युद्ध में शामिल सभी पक्ष ज़िम्मेदार हैं.
मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार इस संख्या में 572 पुरुष, 213 महिलाएँ और 304 बच्चे थे.
मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार आम लोगों की मौत की इस संख्या में से 1031 की मौत सरकारी सेनाओं और इदलिब व हमा गवर्नरेट्स में उनके सहयोगियों द्वारा किए गए हवाई हमलों में हुईं.
ग़ैर-सरकारी सशस्त्र गुटों ने भी सरकार के नियंत्रण वाले घनी आबादी वाले इलाक़ों में हमले किए और अन्य 58 आम लोगों की मौत के लिए ज़िम्मेदार थे.
मानवाधिकार उच्चायुक्त का कहना था, “मुझे ये ज़ोर देकर कहने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए कि इतनी बड़ी संख्या में आम लोगों की मौत की ये संख्या दिल दहला देने वाली है, शर्मनाक है और बहुत तकलीफ़देह है. ऐसा लगता है कि इलाक़ों को अपने नियंत्रण में लेने के प्रयासों के तहत इंसानों की ज़िंदगी के बारे में फ़िक्र ही ख़त्म हो गई है.”
“अगर युद्ध गतिविधियों में और बढ़ोत्तरी होती है तो उससे जानमाल का और ज़्यादा नुक़सान होगा और आम लोगों का विस्थापन बढ़ेगा जो पहले ही कई बार घर-बार छोड़ने को मजबूर हो चुके हैं क्योंकि वहाँ ख़तरनाक और गंभीर मानवीय संकट के हालात बने हुए हैं.”
मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने संकट से संबद्ध तमाम पक्षों और हालात को प्रभावित करने वाले शक्तिशाली देशों से अपील करते हुए कहा कि राजनैतिक मतभेद दरकिनार करते हुए इस ख़ून-ख़राबे को तुरंत बंद करें.