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लाइबेरिया की राजधानी मोनरोविया में एक अस्पताल के बाहर का दृश्य. इसमें डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों को किसी भी काम के बदले रिश्वत नहीं देने का अनुरोध किया गया है. यूनीसेफ़ द्वारा समर्थित ये अस्पताल तमाम सेवाएँ मुफ़्त मुहैया करा रहा था.

'भ्रष्टाचार से लोकतंत्र की बुनियाद कमज़ोर होती है'

UNICEF/Pirozzi
लाइबेरिया की राजधानी मोनरोविया में एक अस्पताल के बाहर का दृश्य. इसमें डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों को किसी भी काम के बदले रिश्वत नहीं देने का अनुरोध किया गया है. यूनीसेफ़ द्वारा समर्थित ये अस्पताल तमाम सेवाएँ मुफ़्त मुहैया करा रहा था.

'भ्रष्टाचार से लोकतंत्र की बुनियाद कमज़ोर होती है'

आर्थिक विकास

भ्रष्टाचार लोकतांत्रिक संस्थानों को कमज़ोर करता है, आर्थिक विकास की रफ़्तार को धीमा करता है और सरकार में अस्थिरता पैदा करने में एक भूमिका अदा करता है. ये कहना है मिरेला डम्मर फ्रेही का जो संयुक्त राष्ट्र के मादक पदार्थों और अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी) में सिविल सोसायटी टीम लीडर हैं. उन्होंने ऊटाह के साल्ट लेक सिटी में संयुक्त राष्ट्र की सिविल सोसायटी कान्फ्रेंस में मंगलवार को ये बात कही.

सुश्री डम्मर फ्रेही ने सरकारों के बीच और सिविल सोसायटी, निजी क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की सक्रिय भागीदारी के साथ और ज़्यादा आपसी सहयोग और क़ानूनी सहायता का भी आहवान किया.

मंगलवार को यूएन न्यूज़ के साथ ख़ास बातचीत में संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ अधिकारी फ्रेही ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार का मुक़ाबला करना टिकाऊ विकास लक्ष्यों के एजेंडा 2030 में भी अहम भूमिका में है.

उनका कहना था, “भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई टिकाऊ विकास के लक्ष्य संख्या 16 में बहुत गहराई से नीहित है. इस लक्ष्य में सभी को न्याय की उपलब्धता सुनिश्चित करना और हर स्तर पर प्रभावशाली, जवाबदेह और समावेशी संस्थानों का निर्माण शामिल हैं.”

उन्होंने बताया कि इस लक्ष्य के तहत एक उप-लक्ष्य है 6.15 जिसमें भ्रष्टाचार और रिश्वतख़ोरी को हर रूप में टिकाऊ तौर पर कम करने की बात कही गई है.

संयुक्त राष्ट्र का मादक पदार्थों और अपराध पर कार्यालय संयुक्त राष्ट्र के भ्रष्टाचार विरोधी कन्वेंशन की देखरेख करता है. ये कन्वेंशन फिलहाल विश्व स्तर पर एक मात्र भ्रष्टाचार विरोधी दस्तावेज़ है. संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश बड़ी संख्या में इस कन्वेंशन के पक्ष हैं.

इस लक्ष्य की कामयाबी को इस तरह मापा जाता है कि वार्षिक स्तर पर ऐसे लोगों और कारोबारी संस्थानों की संख्या में कितनी कमी आई जिन्होंने किसी सरकारी अधिकारी को या तो रिश्वत दी या फिर उनसे रिश्वत मांगी गई.

डम्मर फ्रेही का कहना था, “भ्रष्टाचार की वैश्विक समस्या का मुक़ाबला करने के लिए एक व्यापक और सामूहिक रणनीति तैयार करने में इस कन्वेंशन के दूरगामी तरीक़े असाधारण साधन के तौर पर मौजूद हैं.”

उन्होंने कहा, “जो देश इस कन्वेंशन के पक्ष हैं उनमें इस क्षेत्र में अच्छी प्रगति हुई है और उन देशों में भ्रष्टाचार विरोधी नियम व क़ानूनों में सुधार हुआ है.”

डम्मर फ्रेही ने कहा कि इस क्षेत्र में प्रगति से भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई एक उच्च स्तर पर पहुँच गई है. साथ ही देशों के नियम व क़ानूनों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग व तालमेल बढ़ाने में भी मदद मिली है.

2009 में सहयोगियों द्वारा प्रगति की समीक्षा करने की एक प्रक्रिया भी शुरू की गई थी जिससे भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई की रफ़्तार बढ़ाने में मदद मिली है और इस कन्वेंशन को देशों के घरेलू क़ानूनों में शामिल कराने और उन्हें लागू कराने का काम भी आगे बढ़ा है.

सिविल सोसायटी की भागीदारी बहुमूल्य 

2001 के बाद से ही यूएनओडीसी की टीमें सिविल सोसायटी संगठनों को राष्ट्रीय अधिकारियों के साथ काम करने में ट्रेनिंग दे रही हैं. साथ ही भ्रष्टाचार विरोधी आयोजनों, संपर्क अभियानों और अन्य गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए भी सिविल सोसायटी की मदद की जा रही है.

सुश्री डम्मर फ्रेही ने कहा कि भ्रष्टाचार को रोकने और इसकी मौजूदगी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के अभियान में सिविल सोसायटी, निजी क्षेत्र और नागरिकों को सक्रिय रूप से अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है. साथ ही उन्होंने भ्रष्टाचार के कारणों और इसके ख़तरों की गंभीरता के बारे में जागरूक बनाने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया.

सुश्री डम्मर फ्रेही का कहना था, “भ्रष्टाचार का ख़ात्मा करने के लिए सिविल सोसायटी और अन्य ग़ैर-सरकारी साझीदार विशेष रूप से तीन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं – एडवोकेसी, निगरानी और महारत हासिल करने के ज़रिए.”

“भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अभियान के ज़रिए सिविल सोसायटी इस समस्या की नब्ज़ को गहराई से समझने के लिए ज़रूरी जानकारी हासिल कर सकती है, और उसके ज़रिए आगे भी निगरानी बेहतर की जा सकती है. इस सबके ज़रिए फिर ये सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि मानकों और ज़िम्मेदारियों का स्तर बरक़रार रखा गया है. कमियों की निशानदेही की जा सकती है और फिर स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एडवोकेसी के लिए ठोस जानकारी और सबूत मुहैया कराए जा सकते हैं.”

सुश्री डम्मर फ्रेहा ने कहा कि सिविल सोसायटी और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ काम करने वाले सभी साझीदार जितनी विशेषज्ञता और महारत हासिल करेंगे उतना ही वो सरकारों को भ्रष्टाचार विरोधी कन्वेंशन और अन्य क़ानून लागू करने में मदद कर सकते हैं.