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जलवायु इमरजेंसी से निपटने के लिए 'मज़बूत राजनैतिक इच्छाशक्ति' की पुकार

फ़्रांस में जी-7 नेता अहम बैठक के लिए एकत्र हुए.
White House/Andrea Hanks
फ़्रांस में जी-7 नेता अहम बैठक के लिए एकत्र हुए.

जलवायु इमरजेंसी से निपटने के लिए 'मज़बूत राजनैतिक इच्छाशक्ति' की पुकार

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि दुनिया भर में लोग जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने और एक हरित व स्वच्छ भविष्य की ओर कदम बढ़ाने का आह्वान कर रहे हैं. जी-7 नेताओं से वार्ता के दौरान उन्होंने ध्यान दिलाया कि जलवायु आपात स्थिति से निपटने के लिए साधनों की कमी नहीं है लेकिन इस संकट से पार पाने के लिए मज़बूत संकल्प और दृढ़ राजनैतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है.

यूएन प्रमुख ने फ़्रांस के बियारित्ज़ शहर में जी-7 नेताओं के साथ बैठक करने के बाद ट्विटर पर संदेश साझा किया है. न्यूयॉर्क में सितंबर में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में जलवायु शिखर वार्ता होनी है और इससे पहले महासचिव गुटेरेश विश्व नेताओं से बैठक में महत्वाकांक्षी योजनाओं के साथ आने की अपील कर रहे हैं.

पत्रकारों से बातचीत करते हुए महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि यूएन शिखर वार्ता एक ऐसे समय हो रही है जब दुनिया नाटकीय जलवायु इमरजेंसी का सामना कर रही है.

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“पिछला महीना अब तक इतिहास का सबसे गर्म महीना था. 2015 से 2019 अब तक के सबसे गर्म पांच सालों में गिने जा रहे हैं.”

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) का कहना है कि वातावरण में कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा मानव जीवन के इतिहास में सबसे ऊंचे स्तर पर है. वैसी ही सघनता के स्तर को देखने के लिए 30 से 50 लाख साल पीछे लौटना होगा लेकिन उस समय तापमान बहुत ज़्यादा थे और समुद्री जल स्तर भी 10 से 20 मीटर ऊंचा था.

जलवायु आपात स्थिति का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ग्रीनलैंड के हिमनदों में बर्फ़ तेज़ी से पिघल रही है – जुलाई महीने में ही 179 अरब टन बर्फ़ पिघल गई. 

वर्ष 2015 में पेरिस में जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए पेरिस समझौते पर सहमति हुई थी जिसमें वैश्विक तापमान कम करने और कार्बन उत्सर्जन घटाने का लक्ष्य रखा गया था.

उन्होंने कहा कि, “इस दृष्टि से यह आवश्यक है कि सभी देश पेरिस में किए गए वादों से आगे बढ़कर प्रयास करने का संकल्प लें क्योंकि पेरिस में किए गए वादे पर्याप्त नहीं हैं और उन्हें मौजूदा समय में लागू भी नहीं किया जा रहा है.”

“हमें और महत्वाकांक्षी होना होगा और एक मज़बूत संकल्प की आवश्यकता है.”

यूएन महासचिव ने एक अपील जारी करते हुए कहा कि “न्यूयॉर्क आने वाले देश वर्ष 2050 तक कार्बन न्यूट्रल होने का संकल्प लें और राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजना की रूपरेखा तैयार करते समय ज़्यादा महत्वाकांक्षी हों.”

'इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज' ने स्पष्ट तौर पर कहा है: हर हाल में इस सदी के अंत तक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखना होगा, 2050 तक कार्बन न्यूट्रल (शून्य नेट कार्बन उत्सर्जन) के लक्ष्य को हासिल करना होगा और 2030 तक उत्सर्जन में 45 फ़ीसदी की कटौती करनी होगी.

उन्होंने दोहराया कि तीन अहम कदमों की आवश्यकता है: लोगों के बजाए कार्बन पर टैक्स लगाया जाए, जीवाश्म ईंधनों को सब्सिडी ख़त्म की जाए और सुनिश्चित किया जाए कि 2020 के बाद कोयला ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण न हो.

यूएन प्रमुख ने माना कि इसके लिए ज़बरदस्त राजनीतिक इच्छाशक्ति की ज़रूरत होगी और इस नज़रिए से जी-7 नेताओं की बैठक इस अपील को जारी करने का एक बेहतरीन अवसर है. युवा इस लक्ष्य तक पहुंचने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं लेकिन जी-7 नेताओं को भी एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करना होगा.