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धर्म आधारित नफ़रत से निपटने के लिए 'शांति संदेशों को बढ़ावा ज़रूरी'

यूएन प्रमुख न्यूज़ीलैंड के क्राइस्टचर्च शहर की मस्जिदों में गोलीबारी में मारे गए लोगों को श्रृद्धांजलि देते हुए. (फ़ाइल)
UN Photo/Mark Garten
यूएन प्रमुख न्यूज़ीलैंड के क्राइस्टचर्च शहर की मस्जिदों में गोलीबारी में मारे गए लोगों को श्रृद्धांजलि देते हुए. (फ़ाइल)

धर्म आधारित नफ़रत से निपटने के लिए 'शांति संदेशों को बढ़ावा ज़रूरी'

मानवाधिकार

विश्व भर में धर्म और आस्था के आधार पर लोगों को निशाना बनाकर किए जा रहे हमलों पर चिंता जताते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने नफ़रत भरे संदेशों का पुरज़ोर विरोध करने और शांति संदेशों को बढ़ावा देने का आग्रह किया है. संयुक्त राष्ट्र 22 अगस्त को पहली बार धर्म और आस्था पर आधारित हिंसा के पीड़ितों की याद में अंतरराष्ट्रीय दिवस मना रहा है.

यूएन प्रमुख ने ट्विटर पर अपने एक संदेश में कहा कि धर्म और आस्था की वजह से लोगों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं बढ़ रही हैं. ग़ैर-यहूदीवाद और मुस्लिम विरोधी नफ़रत, ईसाईयों और अन्य धार्मिक समुदायों पर अत्याचारों की चुनौती को उखाड़ कर फेंकने के लिए क़दम उठाने होंगे.

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महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि हाल के दिनों में न्यूज़ीलैंड, श्रीलंका और अमेरिका में कई हमले हुए हैं जिसमें ख़ासतौर पर उपासना स्थलों को निशाना बनाया गया.

विश्व भर में कई स्थानों पर हिंसक संघर्षों – सीरिया से मध्य अफ़्रीका गणराज्य – में जनसमुदायों पर उनके धर्म और आस्था की वजह से हमले किए जाते हैं.

अपने संदेश में उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी महान धर्मों में सहिष्णुता, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और भाईचारे की भावना पर ज़ोर दिया जाता है.

उन्होंने आगाह किया कि दुर्भावना से धर्म को सही रूप में पेश न करने वालों, मतभेदों और ग़लत धारणाओं को बढ़ावा देने वालों, और डर व नफ़रत फैलाने लोगों का विरोध किया जाना चाहिए. “विविधता ही संपन्नता और मज़बूती का स्रोत है, यह कभी ख़तरा नहीं हो सकती.”

धर्म और आस्था, विशेषकर धार्मिक अल्पसंख्यकों पर लगातार होते हमलों से चिंतित संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव को पारित किया जिसमें हर वर्ष 22 अगस्त को धर्म और आस्था पर आधारित हिंसा के पीड़ितों की याद में अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई थी.

यह दिवस ऐसी हिंसा के पीड़ितों को अविचल समर्थन प्रदान करने, ऐसे हमलों को रोकने के लिए यथासंभव प्रयास करने और दोषियों की जवाबदेही तय करने का संकल्प लेने का अवसर है.

इस दिशा में संयुक्त राष्ट्र ने दो नई पहलों को शुरू किया है: यूएन प्रमुख के विशेष सलाहकार अडामा डिएंग के नेतृत्व में नफ़रत भरे भाषणों और संदेशों से निपटने के लिए एक रणनीति और कार्ययोजना को तैयार किया जा रहा है, साथ ही यूएन एलायंस ऑफ़ सिविलाइज़ेशन्स के उच्च प्रतिनिधि मिगेल मोराटिनोस धार्मिक केंद्रों के संरक्षण के लिए योजना को रूप दे रहे हैं.

महासचिव गुटेरेश का कहना है कि धर्म और आस्था आधारित हिंसा से निपटने का सबसे अच्छा तरीक़ा सभी के लिए भलाई की पुकार लगाने वाली आवाज़ों को एक साथ लाना, नफ़रत के संदेशों का विरोध कर शांति संदेशों को बढ़ावा देना, विविधता को सहेजना व मानवाधिकारों का संरक्षण करना है.