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यमन में जीवनदायी सहायता कार्यक्रम बंद होने के कगार पर

यमन में जन्म के समय इस बच्चे का वज़न ढाई किलोग्राम था. चार महीने की आयु में ये बच्चा गंभीर कुपोषण का शिकार हो गया. (फ़ाइल)
OCHA/Giles Clarke
यमन में जन्म के समय इस बच्चे का वज़न ढाई किलोग्राम था. चार महीने की आयु में ये बच्चा गंभीर कुपोषण का शिकार हो गया. (फ़ाइल)

यमन में जीवनदायी सहायता कार्यक्रम बंद होने के कगार पर

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को घोषणा की है कि उसे यमन में धन की कमी की वजह से मानवीय सहायता के अनेक कार्यक्रम बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. सदस्य देशों ने यमन में सहायता कार्यक्रमों के लिए जो रक़म देने का वादा किया था, अभी तक उस रक़म का भुगतान नहीं किया गया है.

यमन में मानवीय सहायता कार्यों की संयोजक लीज़ ग्रैंडी का कहना है, "जितनी सहायता रक़म का वादा किया गया था, हम अब भी उसके मिलने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं. जब इस तरह धन नहीं मिलता है तो लोग मौत के मुँह में जाने लगते हैं."

यमन में मानवीय सहायता कार्यों के वास्ते धन जुटाने के लिए एक सम्मेलन फ़रवरी 2019 में हुआ था.  उस सम्मेलन में संयुक्त और उसके साझीदारों को यमन में लगभग दो करोड़ लोगों की ज़रूरतें पूरी करने के लिए क़रीब दो अरब 60 करोड़ डॉलर की रक़म देने का वादा किया गया था.

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लेकिन अभी तक उस पूरी रक़म का आधे से भी कम हिस्सा मिला है. यमन में मानवीय सहायता के 34 प्रमुख कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं लेकिन उनमें से सिर्फ़ तीन कार्यक्रमों के लिए ही साल 2019 के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध है.

धन की कमी की वजह से यमन में मानवीय सहायता के अनेक कार्यक्रम हाल के सप्ताहों के दौरान बंद हो चुके हैं. बहुत से परिवारों को भुखमरी और तकलीफ़ों से छुटकारा दिलाने के उद्देश्य से बनाई गई कई बड़ी परियोजनाएँ धन की कमी के कारण शुरू ही नहीं हो सकी हैं.  

अगर समय पर धन नहीं मिला तो 22 अन्य जीवनदायी कार्यक्रम भी अगले दो महीनों के दौरान बंद हो जाएंगे.

यमन में मानवीय सहायता कार्यक्रमों की संयोजक लीज़ ग्रैंडी का कहना था, "इन हालात पर हम सभी बहुत शर्मिंदा हैं. ये दिल दहला देने वाली स्थिति है कि किसी ज़रूरतमंद परिवार की आँखों में आँखें डालकर करें कि आपकी मदद करने के लिए हमारे पास कोई धन नहीं है."

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यक्रमों के संयोजक कार्यालय (OCHA) ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र को देश में चलाए जा रहे टीकाकरण अभियानों के ज़्यादातर हिस्सों को मई 2019 में स्थगित करना पड़ा था. दवाइयों की ख़रीद बंद हो चुकी है और हज़ारों स्वास्थ्यकर्मियों को अब वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है. 

30 नए पोषण केंद्र बनाने की योजनाएँ ठंडे बस्ते में चली गई हैं और महिलाओं के लिए 14 सुरक्षित स्थल व चार विशिष्ठ मानसिक स्वास्थ्य केंद्र भी बंद हो गए हैं. खेतीबाड़ी की सिंचाई ज़रूरतें पूरी करने के लिए पानी को शुद्ध करने वाला संयंत्र भी जून 2019 में बंद हो गया था. 

यमन के लिए मानवीय सहायता कार्यों की संयोजक लीज़ ग्रैंडी का कहना था, "यमन में लाखों लोग संघर्ष और युद्ध की चपेट में आ गए हैं जबकि उनका इसमें कोई क़ुसूर नहीं है. अब वो लोग जीन के लिए संयुक्त राष्ट्र की सहायता पर निर्भर हैं. "

एजेंसी का कहना है कि फ़रवरी सम्मेलन में किए गए वायदों के अनुसार धन अगर आने वाले सप्ताहों के दौरान  मुहैया नहीं कराया गया तो लगभग एक करोड़ 20 लाख लोगों के लिए खाद्य सामग्री की आपूर्ति कम करनी पड़ेगी. कम से कम 25 लाख कुपोषित बच्चे आवश्यक सेवाओं से वंचित हो जाएंगे.

धन की कमी के कारण लगभग एक करोड़ 90 लाख लोगों को स्वास्थ्य सेवाएँ नहीं मिल पाएंगी, इनमें लगभग दस लाख ऐसी महिलाएँ भी होंगी जो प्रजनन स्वास्थ्य ज़रूरतों के लिए संयुक्त राष्ट्र पर निर्भर हैं. 

50 लाख लोगों को स्वच्छ पानी मुहैया कराने वाला कार्यक्रम अक्तूबर तक मुश्किल में फँस जाएगा, और लाखों विस्थापित परिवार ख़ुद को बेघर देखने के कगार पर पहुँच जाएंगे.

लीज़ ग्रैंडी का कहना था, "यमन में सहायता कार्यक्रम पूरी दुनिया में लबसे बड़ा मानवीय सहायता कार्य है जिसके ज़रिए भीषण मानवीय संकट की चुनौतियों का सामना करने की कोशिश की जी रही है."

"जब हमें धन मिलता है तो हम असाधारण काम करते हैं."

यमन में मानवीय सहायता कार्यों की संयोजक लीज़ ग्रैंडी ने उन देशों का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने वादे के अनुसार धन मुहैया करा दिया है. उन्होंने कहा कि उस धन के साथ संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियाँ अनेक स्थानों पर सहायता में दोगुनी वृद्धि और कुछ स्थानों पर तीन गुना वृद्धि कर सकी हैं. 

उन्होंने कहा, "जब हम मानवीय सहायता मुहैया कराते हैं तो उसके अच्छे नतीजे तत्काल देखने को मिलते हैं. जिन ज़िलों में लोग अकाल जैसे हालात का सामना कर रहे थे, उनमें से लगभग आधे ज़िलों में हालात में इतनी बेहतरी आई है कि परिवार भुखमरी के ख़तरे से बाहर निकल गए हैं."