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कश्मीर मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की 'बंद' बैठक, चीन द्वारा संयम का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सचिवालय की इमारत, इसी इमारत में सुरक्षा परिषद स्थित है.
UN Photo/ Rick Bajornas
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सचिवालय की इमारत, इसी इमारत में सुरक्षा परिषद स्थित है.

कश्मीर मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की 'बंद' बैठक, चीन द्वारा संयम का आग्रह

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कश्मीर में तनावपूर्ण स्थिति पर शुक्रवार को गोपनीय विचार-विमर्श किया. 1965 के बाद ये पहला मौक़ा था जब सुरक्षा परिषद ने  कश्मीर मुद्दे पर विचार विमर्श करने के लिए 'विशिष्ठ बैठक' आयोजित की. सुरक्षा परिषद पर दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा संबंधी मामलों का समाधान तलाश करने की ज़िम्मेदारी है.

सुरक्षा परिषद की बैठक अलबत्ता न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में बंद कमरे में हुई लेकिन उसके बाद तीन देशों के राजदूतों ने पत्रकारों से भी बातचीत की.

सबसे पहले चीन के राजदूत झांग जून, फिर पाकिस्तानी राजदूत मलीहा लोधी और अंत में भारतीय राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने संवाददाताओं को संबोधित किया.

संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जून सुरक्षा परिषद की प्रेस गैलरी में कश्मीर मुद्दे पर अपना रुख़ रखते हुए. (16 अगस्त 2019)
UN Photo/Evan Schneider
संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जून सुरक्षा परिषद की प्रेस गैलरी में कश्मीर मुद्दे पर अपना रुख़ रखते हुए. (16 अगस्त 2019)

सैयद अकबरुद्दीन ने पत्रकारों के सवालों के जवाब भी दिए जबकि चीन और पाकिस्तान के राजदूत अपना वक्तव्य देकर चले गए.

चीन के राजदूत झांग जून ने भारत और पाकिस्तान से “ऐसा कोई भी क़दम उठाने से बचने का आग्रह किया जिससे क्षेत्र में पहले से ही तनावपूर्ण और बेहद ख़तरनाक हालात और बिगड़ जाएँ”.

मुस्लिम बहुल क्षेत्र कश्मीर के भारत प्रशासित हिस्से को जम्मू कश्मीर कहा जाता है जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा प्राप्त था.

भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को ये विशेष दर्जा समाप्त कर दिया और कश्मीर को केंद्र सरकार के कड़े नियंत्रण में रख दिया.

पाकिस्तान की दलील है कि भारत सरकार के इस क़दम से अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन होता है.

कश्मीर क्षेत्र में लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र की संस्थागत मौजूदगी रही है. कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश अपना-अपना दावा करते हैं और ये क्षेत्र एक नियंत्रण रेखा के ज़रिए बँटा हुआ है.

सीमा पर किसी भी तरह के युद्धविराम उल्लंघन की स्थिति की निगरानी ‘भारत और पाकिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र का सैन्य पर्यवेक्षक गुट’ (UNMOGIP)  करता है और सुरक्षा परिषद को रिपोर्ट करता है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने 8 अगस्त 2019 को जारी एक वक्तव्य में कहा था कि वो जम्मू कश्मीर की स्थिति पर चिंता के साथ नज़र रखे हुए हैं और उन्होंने दोनों पक्षों से “अधिकतम संयम” बरतने की अपील भी की थी.

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने जम्मू कश्मीर मामले पर मीडिया के सामने अपना रुख़ रखा. (16 अगस्त 2019)
UN Photo/Evan Schneider
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने जम्मू कश्मीर मामले पर मीडिया के सामने अपना रुख़ रखा. (16 अगस्त 2019)

महासचिव के बयान में कहा गया था, “इस क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र का रुख़ यूएन चार्टर... और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों पर आधारित है.”

संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफ़ान दुजारिक द्वारा प्रस्तुत उस वक्यत्व में कहा गया था, “महासचिव ने भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 के द्वपक्षीय समझौते को भी याद किया जिसे शिमला समझौता कहा जाता है. इस समझौते में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर का दर्जा यूएन चार्टर के अनुसार, शांतिपूर्ण तरीक़ों से निर्धारित किया जाएगा.” 

राजदूतों का रुख़

चीन के राजदूत झांग जून ने कहा कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने जम्मू कश्मीर में मौजूदा हालात पर “गंभीर चिंताई जताई”...“ कश्मीर मुद्दे का सटीक समाधान शांतिपूर्ण तरीक़ों के ज़रिए निकाला जाना चाहिए, जैसाकि यूएन चार्टर, सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों और दोनों देशों के बीच हुए समझौतों में व्यवस्था है.”

कश्मीर मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की बैठक के लिए पाकिस्तान ने 13 अगस्त को अनुरोध किया था और चीन ने औपचारिक रूप से ये बैठक बुलाई थी जोकि सुरक्षा परिषद का एक स्थाई सदस्य है.  

पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद की बैठक ने “क़ब्ज़ा किए हुए कश्मीर के लोगों की आवाज़ विश्व के सर्वोच्च कूटनीतिक मंच पर सुनने का मौक़ा दिया.”

संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत और स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने भी कश्मीर मामले पर देश का रुख़ पत्रकारों के सामने रखा. (16 अगस्त 2019)
UN Photo/Evan Schneider
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत और स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने भी कश्मीर मामले पर देश का रुख़ पत्रकारों के सामने रखा. (16 अगस्त 2019)

मलीहा लोधी ने तर्क दिया कि “सुरक्षा परिषद की ये बैठक हुई, ये तथ्य ही इस बात का प्रमाण है कि ये मुद्दा एक अंतरराष्ट्रीय विवाद है.” 

मलीहा लोधी ने कहा, “जहाँ तक हमारे देश के रुख़ का सवाल है तो हम जम्मू कश्मीर पर शांतिपूर्ण समाधान के लिए तैयार हैं. मेरा ख़याल है कि सुरक्षा परिषद में हुई चर्चा से भारत का ये दावा बेमानी हो जाता है कि जम्मू कश्मीर भारत का एक आंतरिक मामला है. आज पूरी दुनिया क़ब्ज़ा किए हुए राज्य और वहाँ की स्थिति पर चर्चा कर रही है.”

अंत में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने अपना रुख़ पत्रकारों के सामने रखते हुए कहा, “हमारा राष्ट्रीय रुख़ ये रहा है और आज भी है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 से संबंधित मामले पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला हैं... भारत सरकार और हमारी विधायी संस्थाओं द्वारा हाल ही में लिए गए फ़ैसले इस नीयत से लिए गए हैं कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख में अच्छे प्रशासन और वहाँ के लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जाए.”

सैयद अकबरुद्दीन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव ने कुछ ऐसे उपायों की घोषणा की है जिनके ज़रिए क्षेत्र में हालात सामान्य होंगे. उन्होंने कहा, “भारत क्षेत्र में स्थिति सामान्य और शांतिपूर्ण रखने के लिए प्रतिबद्ध है. हम इस मुद्दे पर हुए उन सभी समझौतों के लिए भी प्रतिबद्ध हैं जिन पर हमने दस्तख़त किए हैं.”

सैयद अकबरुद्दीन ने किसी का नाम लिए बिना ये भी कहा कि “ख़ास चिंता की बात ये है कि एक देश भारत के ख़िलाफ़ और भारत में हिंसा को बढ़ावा देने के लिए जिहाद का शब्द इस्तेमाल कर रहा है, और ऐसा उनके नेता भी कर रहे हैं.”

उन्होंने ये भी कहा कि “भारत इस सिद्धांत के लिए प्रतिबद्ध है कि भारत और पाकिस्तान व भारत और अन्य देशों के बीच तमाम मुद्दों का हल द्विपक्षीय, शांतिपूर्ण और ऐसे तरीक़ों से निकाला जाए जिनसे देशों के बीच सामान्य संबंधों को बढ़ावा मिले.”