हॉंगकॉंग प्रशासन और प्रदर्शनकारियों से संयम की अपील
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने हॉंगकॉंग में विरोध प्रदर्शनों पर चिंता जताते हुए कहा है कि वो किसी भी प्रकार की हिंसा या संपत्ति को नुक़सान पहुंचाए जाने की निंदा करती हैं. उन्होंने स्थानीय प्रशासन से संयम बरतने का आग्रह करते हुए प्रदर्शनकारियों से भी अपील की है कि मांगें शांतिपूर्ण ढंग से अभिव्यक्त की जानी चाहिए. हॉंगकॉंग का व्यस्त हवाई अड्डा मंगलवार को भी विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बना रहा.
जिनीवा में यूएन मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता रूपर्ट कोलविल ने पत्रकारों को बताया कि हॉंगकॉंग ‘स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन’ में जारी घटनाक्रम और हाल के दिनों में वहां हिंसा बढ़ने से मानवाधिकार उच्चायुक्त चिंतित हैं.
उन्होंने किसी भी प्रकार की हिंसा या संपत्तियों को नुक़सान पहुंचाने की निंदा की है और प्रदर्शनों में शामिल लोगों से अपील की है कि अपने मत को शांतिपूर्ण ढंग से अभिव्यक्त किया जाना चाहिए.
“उन्हें जानकारी है कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने हॉंगकॉंग के लोगों की शिकायतों को सुनने और उनके साथ व्यापक बातचीत के प्रति संकल्प जताया है. उन्होंने प्रशासन और हॉंगकॉंग की जनता से खुले माहौल में समावेशी संवाद स्थापित करने की अपील की है ताकि सभी मुद्दे शांति से सुलझाए जा सकें.”
#HongKong: We're concerned by ongoing events & escalation of violence. We condemn any form of violence & urge restraint. There must be prompt investigations into the use of force by law enforcement + open/inclusive dialogue to resolve issues peacefully https://t.co/kjun6gkG5x pic.twitter.com/vpLfHQmHWc
UNHumanRights
हॉंगकॉंग में कुछ महीने पहले एक नए क़ानून का प्रस्ताव दिया गया था जिसके ज़रिए लोगों को चीन प्रत्यर्पित करने और उन पर मुक़दमा चलाने की व्यवस्था का प्रावधान है.
इस बिल के विरोध में बड़े पैंमाने पर प्रदर्शन शुरू हो गए जिसके बाद उस प्रस्तावित क़ानून को जून में निलंबित कर दिया गया, लेकिन प्रदर्शनकारी इससे संतुष्ट नहीं हैं और उसे आधिकारिक रूप से वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
1997 तक ब्रिटेन के नियंत्रण में रहे हॉंगकॉंग को प्रमुख आर्थिक केंद्र के रूप में देखा जाता रहा है.
हॉंगकॉंग का नियंत्रण चीन सरकार के हाथों में आने के बाद वहां ‘एक देश दो प्रणाली’ के रूप में प्रशासन चलाया जाता है.
चीन सरकार के नियंत्रण में होने के बावजूद हॉंगकॉंग में वोटर अपनी विधान परिषद ख़ुद चुनते हैं.
प्रत्यर्पण बिल के मुद्दे पर शुरू हुए प्रदर्शनों के ज़रिए लोग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में रह रहे स्थानीय लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को मज़बूती देने का प्रयास कर रहे हैं.
ख़बरों के अनुसार विरोध प्रदर्शन के कारण सोमवार को हांगकाँग हवाई अड्डे पर मुश्किल हालात पैदा हो गए. इसे दुनिया के व्यस्ततम हवाई अड्डों में से एक माना जाता है.
मंगलवार सुबह को हवाई सेवा शुरू हो गई थी लेकिन प्रदर्शनकारियों के फिर से आने के बाद उड़ानें रद्द होना शुरू हुईं जिससे यात्रियों और प्रदर्शनकारियों में तनातनी भी हुई.
यूएन मानवाधिकार एजेंसी की प्रमुख का मानना है कि दीर्घकालीन राजनैतिक स्थिरता और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एकमात्र तरीक़ा ऐसे रास्ते बनाना है जिससे लोग सार्वजनिक मामलों और उनके जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णयों की प्रक्रिया में हिस्सा ले सकें.
“अभिव्यक्ति की आज़ादी, शांतिपूर्ण ढंग से एकत्र होने और सार्वजनिक मामलों में हिस्सा लेने के अधिकार को मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणापत्र में पहचाना गया है.
इसके अलावा उन्हें नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय संधि में जगह मिली है और यही हॉंगकॉंग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र के क़ानून में शामिल है.”
रूपर्ट कोलविल ने ‘विश्वनीय सबूतों’ के आधार पर कहा है कि पुलिस को ऐसी दंगा-विरोधी कार्रवाई करते हुए देखा गया है जो अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानकों के तहत प्रतिबंधित है.
एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भीड़ भरे और बंद इलाक़ों में आंसू गैस के गोले छोड़े गए हैं और कई बार सीधे तौर पर प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाते हुए देखा गया है.
इससे किसी की मौत होने या गंभीर रूप से घायल होने का जोखिम बढ़ जाता है.
यूएन प्रवक्ता ने कहा है कि मानवाधिकार कार्यालय इन मामलों की तत्काल जांच कराए जाने और सुरक्षाकर्मियों के नियमबद्ध तरीक़ों के तहत ही कार्रवाई करने का अनुरोध करता है.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने स्थानीय प्रशासन से संयम बरतते हुए कहा है कि शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों का सम्मान किया जाए और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने की जाए.
एजेंसी का कहना है कि हिंसक स्थिति से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ही बल प्रयोग किया जाना चाहिए और वह संतुलित और ज़रूरत पर आधारित होना चाहिए.