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सीखने की प्रक्रिया में एक 'संकट' का दौर

तंज़ानिया में दार एस सलाम के एक प्राइमरी स्कूल में अंग्रेज़ी सीखते बच्चे.
Sarah Farhat/World Bank
तंज़ानिया में दार एस सलाम के एक प्राइमरी स्कूल में अंग्रेज़ी सीखते बच्चे.

सीखने की प्रक्रिया में एक 'संकट' का दौर

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर अपने संदेश में सचेत किया है कि स्कूल, युवाओं को ऐसे कौशल नहीं सिखा पा रहे हैं जिनसे तकनीकी क्रांति के दौर में उन्हें अपना रास्ता बनाने में मदद मिल सके. यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि छात्रों के लिए सिर्फ़ सीखना ही ज़रूरी नहीं है, बल्कि किस तरह सीखा जाए, यह जानना भी आवश्यक है. 

अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस हर वर्ष 12 अगस्त को मनाया जाता है और 2019 में इसे 20 वर्ष पूरे हो रहे हैं.

इस वर्ष युवा दिवस पर शिक्षा का स्वरूप पूरी तरह से बदलने की थीम रेखांकित की जा रही है ताकि शिक्षा को मौजूदा विश्व के लिए ज़्यादा समावेशी, सुलभ और प्रासंगिक बनाया जा सके. 

सयुंक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक मामलों का विभाग (UNDESA), युवा दिवस के मौक़े पर संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के साथ मिलकर इस दिवस पर कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है.

आंकड़े दर्शाते हैं कि निम्न आय वाले देशों में महज़ 10 फ़ीसदी लोग ही माध्यमिक शिक्षा को पूरा करते है. इसके अलावा विश्व आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा ऐसी भाषा में पढ़ाई करने को मजबूर है जिसे वे बोलते नहीं या पूरी तरह समझ नहीं पाते.

ऐसे में इस दिवस पर रेखांकित किया जा रहा है शिक्षा प्रणाली को ज़्यादा समावेशी और सुलभ बनाने के लिए अभी कई बदलावों की ज़रूरत है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि, "हम सीखने की प्रक्रिया में एक संकट का सामना कर रहे हैं. अक्सर स्कूल, युवाओं को ऐसे कौशल नहीं सिखा पा रहे हैं जिनसे तकनीकी क्रांति के दौर में वो अपना रास्ता बना सकें. छात्रों के लिए सिर्फ़ सीखना ही ज़रूरी नहीं है, बल्कि किस तरह सीखा जाए, यह जानना भी आवश्यक है." 

महासचिव गुटेरेश के मुताबिक़ शिक्षा में ज्ञान, हुनर और विवेचनात्मक विचारशीलता का मिश्रण होना चाहिए. उसमें सततता और जलवायु परिवर्तन पर जानकारी होनी चाहिए, और उससे लैंगिक समानता, मानवाधिकार व शांति की संस्कृति को बढ़ावा मिलना चाहिए. 

ये सभी बिंदु ‘यूथ 2030’ में शामिल किए गए हैं, जो युवाओं के साथ संपर्क बढ़ाने और उनके अधिकारों को वास्तविक बनाने में समर्थन देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक रणनीति है.