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बांग्लादेश में रोहिंज्या शरणार्थियों को बायोमैट्रिक पहचान-पत्र

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के अधिकारी बांग्लादेश के कॉक्सेज़ बाज़ार की कुटूपलोंग शरणार्थी बस्ती में पंजीकरण में मदद करते हुए. (24 जुलाई 2019)
© UNHCR/Caroline Gluck
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के अधिकारी बांग्लादेश के कॉक्सेज़ बाज़ार की कुटूपलोंग शरणार्थी बस्ती में पंजीकरण में मदद करते हुए. (24 जुलाई 2019)

बांग्लादेश में रोहिंज्या शरणार्थियों को बायोमैट्रिक पहचान-पत्र

प्रवासी और शरणार्थी

बांग्लादेश में रह रहे रोहिंज्या शरणार्थियों के लिए बायोमैट्रिक पंजीकरण अभियान के तहत स्थानीय प्रशासन और यूएन शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) की ओर से पहचान-पत्र जारी किए गए हैं. उम्मीद जताई गई है कि शरणार्थियों पर सटीक जानकारी एकत्र करने से उन्हें लक्षित ढंग से मदद मुहैया कराई जा सकेगी.

शुरू में पांच लाख से ज़्यादा शरणार्थियों को ये पहचान पत्र जारी किए गए हैं और अनेक शरणार्थियों के लिए यह पहला मौक़ा है जब उन्हें ऐसे आईडी कार्ड मिले हैं.

बायोमैट्रिक प्रणाली के ज़रिए हर शरणार्थी को विशिष्ट पहचान मिलती है और उनकी उंगलियों के निशान, आईरिस स्कैन के अलावा पारिवारिक संबंधों की भी जानकारी रखी जाती है.

ये बायोमैट्रिक पहचान-पत्र बांग्लादेश सरकार और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी की ओर से उन सभी शरणार्थियों के लिए जारी किए गए हैं जिनकी उम्र 12 साल से ज़्यादा है.

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कॉक्सेस बाज़ार में सभी शरणार्थी शिविरों में व्यापक तौर पर एक साथ पंजीकरण अभियान चलाया जा रहा है.

इसके ज़रिए उम्मीद की जा रही है कि बांग्लादेश में शरणार्थियों पर सटीक आंकड़े एकत्र किए जा सकेंगे जिससे स्थानीय प्रशासन और मानवीय साझेदार संगठनों को लोगों और उनकी ज़रूरतों को समझने में मदद मिलेगी.

उदाहरण के तौर पर, सटीक जानकारी होने से एजेंसियां लोगों की मदद के लिए बेहतर ढंग से योजनाएँ व कार्यक्रम बना पाएंगी और ज़रूरतमंदों को सहायता मुहैया कराई जा सकेगी, विशेषकर महिलाओं, बच्चों और विकलागों के लिए.

यूएन शरणार्थी एजेंसी ने हाल ही में पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान एकत्र किए गए बायोमैट्रिक डैटा की मदद से कॉक्सेस बाज़ार की एक शरणार्थी बस्ती में ‘ग्लोबल डिस्ट्रीब्यूशन टूल’ शुरू किया था.

उंगलियों के निशान और आंखों के स्कैन के ज़रिए इस टूल की मदद से ये सुनिश्चित किया जाता है कि मदद प्रदान करने की प्रक्रिया में धांधली न हो और हर ज़रूरतमंद को राहत पहुंचाई जा सके.

आने वाले दिनों में इसे अन्य शरणार्थी बस्तियों में शुरू करने की योजना है.

नए रजिस्ट्रेशन कार्ड में म्यांमार को उनका मूल देश बताया गया है – माना जा रहा है कि उनकी इस पहचान से शरणार्थियों के म्यांमार लौटने और उनके अधिकारों को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी.

कॉक्सेस बाज़ार में 9 लाख से ज़्यादा रोहिंज्या शरणार्थी भीड़ भरी बस्तियों में रहते हैं जिनमें सात लाख से ज़्यादा शरणार्थियों ने अगस्त 2017 में म्यांमार से भागकर वहां शरण ले रखी है.

पंजीकरण अभियान जून 2018 में शुरू किया गया और यह अब भी जारी है.

हर दिन औसतन पांच हज़ार शरणार्थियों को सात अलग-अलग केंद्रों पर पंजीकृत किया जा रहा है और इस काम को 2019 की आख़िरी तिमाही में पूरा कर लेने की उम्मीद है.

यूएन एजेंसी और बांग्लादेश सरकार नियमित रूप से शरणार्थियों, सामुदायिक प्रतिनिधियों, वरिष्ठजनों, इमामों और शिक्षकों से संपर्क करते हैं ताकि पंजीकरण के फ़ायदों को समझा सकें और उनकी चिंताएँ दूर की जा सकें.

यूएन शरणार्थी एजेंसी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से रोहिंज्या शरणार्थियों और बांग्लादेश को समर्थन देने की अपील की है.

वर्ष 2019 में शरणार्थियों की मदद के लिए 92 करोड़ डॉलर की धनराशि जुटाने की अपील की गई थी लेकिन अभी तक 31 करोड़ डॉलर की रक़म प्राप्त हुई है.