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अफ़ग़ान नागरिकों को हिंसा की आग से बचाने की पुकार

काबुल में 5 सितम्बर 2018 को एक हमले में मारे गए एक पत्रकार का जनाज़ा
UNAMA/Fardin Waezi
काबुल में 5 सितम्बर 2018 को एक हमले में मारे गए एक पत्रकार का जनाज़ा

अफ़ग़ान नागरिकों को हिंसा की आग से बचाने की पुकार

शान्ति और सुरक्षा

अफ़ग़ानिस्तान में  जारी हिंसा और संघर्ष वहाँ आम नगारिकों के लिए तबाही का कारण बना हुआ है. मंगलवार को जारी किए गए नए आंकड़े दर्शाते हैं कि वर्ष 2019 के पहले छह महीनों में हवाई हमलों में मारे गए लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. देश में यूएन मिशन प्रमुख ने कहा है कि हिंसक गतिविधियों में आम लोगों को निशाना बनाए जाने पर रोक लगनी चाहिए.

अफग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) की अर्धवार्षिक रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 के पहले छह महीनों में हिंसा के कारण एक हज़ार 366 लोगों की मौत हुई जबकि दो हज़ार 446 लोग घायल हुए हैं.

साल 2018 की उसी अवधि की तुलना में हताहतों की संख्या में 27 फ़ीसदी की कमी आई है – पिछले वर्ष हताहत होने वाले आम नागरिकों की संख्या अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी.

इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र मिशन ने परेशान कर देने वाले कुछ रुझानों पर चिंता ज़ाहिर की है.

वर्ष 2019 के जनवरी से जून महीने तक हवाई हमलों में 519 लोग हताहत हुए जिनमें 150 बच्चे थे - 89 बच्चों की मौत हुई और 61 घायल हुए.

संयुक्त राष्ट्र मिशन के अनुसार हवाई अभियानों में आम लोगों के मारे जाने या घायल होने के मामलों में 2018 के मुक़ाबले 39 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई है.

यूएन मिशन के अनुसार हवाई अभियानों में 83 फ़ीसदी मामलों में आम लोगों की जान अंतरराष्ट्रीय सैन्य बलों की कार्रवाई में गई है.

नौ प्रतिशत मामलों में अफ़ग़ान एयर फ़ोर्स को ज़िम्मेदार ठहराया गया है जबकि शेष आठ प्रतिशत मामलों में सरकारी सुरक्षा बलों के समर्थक गुटों पर उंगली उठाई गई है.

हमलों में आम लोगों के हताहत होने के लिए 52 फ़ीसदी मामलों में सरकार विरोधी तत्वों को ज़िम्मेदार ठहारया गया है, 38 प्रतिशत मामलों में तालेबान, 11 प्रतिशत मामलों में इस्लामिक स्टेट और तीन फ़ीसदी के लिए सरकार विरोधी तत्वों का हाथ बताया गया है.

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि वह आम नागरिकों के जान-माल की हानि रोकने के लिए सभी पक्षों से की गई मांग का समर्थन करता है.

जुलाई 2019 में क़तर की राजधानी दोहा में ‘अफ़गान संवाद’ के दौरान प्रतिभागियों द्वारा की गई साझा घोषणा में ये मांगें शामिल थी.

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि तादामाची यामामोतो ने बताया कि दोहा वार्ता के दौरान अफ़ग़ान प्रतिनिधियों की ओर से आया संदेश सभी ने स्पष्टता से सुना है – “आम लोगों के हताहत होने के मामले पुरी तरह बंद होने चाहिए.”

“हम सभी पक्षों से अनुरोध करते हैं कि लोगों को भयावह नुक़सान से बचाने के लिए अफग़ान प्रतिनिधियों ने जो अपील जारी की है उसे पूरा करने के लिए तत्काल क़दम उठाए जाने चाहिए.”

यूएन मिशन के मुताबिक़ अफ़ग़ानिस्तान में सशस्त्र संघर्ष में महिलाएं बड़ी संख्या में प्रभावित हो रही हैं.

30 जून 2019 तक लड़ाई की वजह से 430 महिलाएं हताहत हुईं – 144 की मौत और 286 घायल. साल 2018 के पहले छह महीनों की तुलना में इस संख्या में 22 फ़ीसदी की कमी आई है.

यूएन मिशन के मानवाधिकार मामलों के प्रमुख रिचर्ड बेनेट ने कहा कि संघर्षरत पक्ष इन रुझानों के लिए अलग-अलग कारण दे सकते हैं और अपनी सैन्य कार्रवाई को न्यायोचित ठहरा सकते हैं.

“लेकिन सच्चाई यह है कि आम लोगों को नुक़सान पहुंचने से बचने के लिए संकल्पित भाव से की गई कार्रवाई ही सफल हो सकती है. इससे अफ़ग़ानिस्तान के आम नागरिकों को होने वाली पीड़ा को कम करने में मदद मिलेगी.”