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'परोक्ष युद्ध' का दंश झेल रहा है लीबिया

लीबिया में यूएन मिशन प्रमुख घसन सलामे सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe
लीबिया में यूएन मिशन प्रमुख घसन सलामे सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए.

'परोक्ष युद्ध' का दंश झेल रहा है लीबिया

मानवीय सहायता

लीबिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNSMIL) के प्रमुख ग़ासन सलामे ने कहा है कि देश में लड़ाई रुकने के आसार नहीं दिख रहे हैं और मानवीय हालात बदतर होते जा रहे हैं. सोमवार को सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि अस्थिरता और विदेशी हथियारों के पहुंचने से इस उत्तर अफ़्रीकी देश में ‘परोक्ष युद्ध’ को भी हवा मिल रही है.

लीबिया की राजधानी त्रिपोली से वीडियो कांफ़्रेंसिंग के ज़रिए सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि लीबिया में जारी लड़ाई में अब तक 1,100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें 106 आम नागरिक हैं.

“लड़ाई की वजह से लाखों की संख्या में लोग राजधानी और उसके आस-पास के इलाक़ों में अपने घर छोड़कर भाग गए हैं; हज़ारों लोगों ने सीमा पार करके सुरक्षा के लिए अपने परिवारों के साथ ट्यूनीशिया में शरण ली है.”

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लीबिया में हिंसक संघर्ष 4 अप्रैल 2019 को शुरू हुआ था जब पूर्वी लीबिया में लीबियन नेशनल आर्मी के प्रमुख जनरल ख़लीफ़ा हफ़्तार के वफ़ादार सैनिकों ने अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार के ख़िलाफ़ हमला बोल दिया.

“युद्ध की वजह से मानवीय हालात बेहद ख़राब हो गए हैं और भोजन, स्वास्थ्य और अन्य जीवन-रक्षक सेवाओं की उपलब्धता मुश्किल हो रही है.

सभी पक्षों ने अभी तक टकराव टालने की अपील पर ध्यान नहीं दिया है, हवाई हमले तेज़ हुए हैं और ड्रोन व विमानों के ज़रिए सटीक कार्रवाई की जा रही हैं.”

बताया गया है कि भारी हथियारों और ज़मीनी हमलों के साथ-साथ विदेशी लड़ाकों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.

लीबिया में मिशन प्रमुख के अनुसार दोनों पक्ष अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों के तहत तय किए गए दायित्वों का पालन करने में विफल रहे हैं.

2 जुलाई को एक हिरासत केंद्र पर हमला हुआ जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई और 87 घायल हुए जिनमें बच्चे भी थे.

इस हमले को लीबिया में जारी लड़ाई का एक त्रासदीपूर्ण उदाहरण बताया गया है.

लीबिया से भूमध्य सागर के रास्ते अन्य देशों को रुख़ कर रहे प्रवासियों की सुरक्षा की भी पुकार लगाई गई है.

कुछ ही दिन पहले एक नाव के डूब जाने से 150 लोगों की मौत की आशंका जताई गई थी.

मिशन प्रमुख ने कहा कि प्रवासियों के मुद्दों के बुनियादी कारणों को तत्काल हल किए जाने की आवश्यकता है ताकि उनकी पीड़ा का अंत हो सके.

यूएन एजेंसियां हिरासत केंद्रों में रखे गए प्रवासियों और शरणार्थियों के लिए मदद पहुंचाने में जुटी हैं.

एक अनुमान के मुताबिक़ इन केंद्रों पर पांच हज़ार से ज़्यादा प्रवासी और शरणार्थी रह रहे हैं जिनमें 3,800 लड़ाई की चपेट में हैं.

ग़ासन सलामे ने लीबिया में प्रशासन से अपील की है कि इन हिरासत केंद्रों को या तो बंद कर दिया जाए या फिर वहां बंद लोगों को रिहा कर दिया जाए.