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फ़लस्तीनी घरों को ढहाना 'अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों के अनुरूप नहीं'

पिछले एक साल में यह तीन साल की बच्ची अपने परिवार के साथ दो बार विस्थापित हो चुकी है.
UNRWA/Lara Jonasdottir
पिछले एक साल में यह तीन साल की बच्ची अपने परिवार के साथ दो बार विस्थापित हो चुकी है.

फ़लस्तीनी घरों को ढहाना 'अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों के अनुरूप नहीं'

मानवीय सहायता

इसराइल द्वारा फ़लस्तीन के पश्चिमी तट में सुर बाहीर इलाक़े में घर ढहाए जाने की घटना पर संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने दुख जताया है. संयुक्त रूप से जारी एक बयान में कहा गया है कि इसराइल की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों के तहत तय किए गए दायित्वों के अनुरूप नहीं है.  

कुछ रिपोर्टों के अनुसार इसराइली सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि इन घरों को क़ब्ज़े वाले पश्चिमी तट में इसराइल द्वारा बनाई गई दीवार के बेहद पास बनाया गया था और उन्हें बनाया जाना, वहां निर्माण कार्य पर लगी पाबंदी का उल्लंघन है.

संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के समन्वयक जेमी मैक्गोल्डरिक, संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी के पश्चिमी तट में अभियान के निदेशक ग्वेन लुइस और उस क्षेत्र में मानवाधिकार मामलों के प्रमुख जेम्स हीनान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि “क़ब्ज़ा किए गए इलाक़ों में निजी संपत्ति को ढहाए जाने की अनुमति तभी दी जा सकती है जब सैन्य अभियानों के दौरान ऐसा करना बिलकुल अनिवार्य हो जाए, ऐसी स्थिति यहां नहीं थी.”

बयान के मुताबिक़ इसराइली प्रशासन द्वारा इस कार्रवाई के ज़रिए लोगों को ज़बरदस्ती बाहर निकलने के लिए मजबूर किया गया और पश्चिमी तट में कई फ़लस्तीनीयों के लिए घर से विस्थापित होने का जोखिम पैदा हो गया है.

बयान में कहा गया है कि इसराइली सुरक्षा बलों ने सोमवार सुबह उस समय इलाक़े में प्रवेश किया जब अंधेरा पसरा था.

बड़े पैमाने पर चलाए गए अभियान में परिवारों को घर से बाहर निकलने के लिए मजबूर किया गया और दीवार के पूर्वी येरुशलम वाले हिस्से में कई रिहाइशी इमारतें ढहा दी गईं.

इसराइल और पश्चिमी तट को अलग करती दीवार.
UN News/Reem Abaza
इसराइल और पश्चिमी तट को अलग करती दीवार.

“जिन लोगों को जबरन विस्थापित किया गया है या जो अन्य तरह से प्रभावित हुए हैं, वे फ़लस्तीनी शरणार्थी हैं. उनमें से कुछ लोग ऐसे हैं जो अपनी याद में दूसरी बार विस्थापन की वास्तविकता का सामना कर रहे हैं.”

मानवीय साझेदार संगठन विस्थापितों और उन लोगों तक तक आपात राहत पहुंचाने के काम में जुटे हैं जिनकी निजी संपत्त्तियों को नुक़सान हुआ है.

यूएन एजेंसियों ने स्पष्ट कर दिया है कि कितनी भी मदद दे दी जाए लेकिन उससे एक घर या भारी वित्तीय हानि की भरपाई नहीं हो सकती.

प्रभावितों में कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपने घर बनाने में जीवन की पूरी पूंजी लगा दी थी और फ़लस्तीनी प्रशासन से इमारतों के लिए ज़रूरी परमिट भी हासिल किए थे.

वरिष्ठ यूएन अधिकारियों ने कहा, “आज सुर बहीर में जो कुछ हुआ वो इस मायने में उल्लेखनीय है कि अब कई घरों और ढांचों पर यही जोखिम मंडरा रहा है.”

वर्ष 2004 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने इसराइल द्वारा दीवार बना कर इलाक़ों को अलग किए जाने के विरूद्ध फ़ैसला सुनाया था.

20 जुलाई 2004 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने एक प्रस्ताव में इसराइल से अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की सलाह को मानने और क़ानूनी दायित्वों को निभाने की मांग की थी.

साझा बयान में ध्यान दिलाया गया है कि अगर उन सिद्धांतों के सम्मान में अंतरराष्ट्रीय मानवीय और मानवाधिकार क़ानूनों के तहत कोई ठोस कार्रवाई की गई होती तो सुर बाहीर के लोगों को आज ऐसा सदमा नहीं झेलना पड़ता और ना ही उनके अधिकारों का हनन होता.