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काहिरा कार्यक्रम लागू करने में युवाओं की असरदार भूमिका

1994 में काहिरा सम्मेलन के दो दशक बाद टिकाऊ विकास एजेंडे को अपनाया गया.
UN Photo/Eskinder Debebe
1994 में काहिरा सम्मेलन के दो दशक बाद टिकाऊ विकास एजेंडे को अपनाया गया.

काहिरा कार्यक्रम लागू करने में युवाओं की असरदार भूमिका

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने जनसंख्या और विकास के मुद्दे पर 'काहिरा कार्यक्रम' को प्रभावी रूप से लागू करने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है. 1994 में हुए काहिरा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के 25 साल पूरे होने के अवसर पर मंगलवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महासचिव गुटेरेश ने आगाह किया कि काहिरा सम्मलेन के दौरान जिन नीतियों का ’प्रोग्राम ऑफ़ एक्शन’ में उल्लेख किया गया था उनकी प्रासंगिकता टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा में भी बनी हुई है.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि युवाओं में बदलाव लाने की क्षमता है, वे अपने निर्णय ख़ुद लेने में सक्षम हैं और मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए कार्रवाई की मांग करने से भी पीछे नहीं हटते. "एक टिकाऊ, समावेशी और समान दुनिया को हासिल करने में वे अहम भूमिका निभा सकते हैं. "

1994 में काहिरा सम्मेलन के दो दशक बाद 2015 में 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नया एजेंडा शुरु किया गया था.

काहिरा सम्मेलन की विरासत के तौर पर उन्होंने जिन मुद्दों का ज़िक्र किया उनमें असमानता को दूर करने के लिए जद्दोजहद, पर्यावरण क्षरण को रोकना और महिलाओं व पुरुषों के बीच समानता को बढ़ावा देना शामिल हैं.

यूएन प्रमुख ने माना कि पिछले 25 सालों में लैंगिक समानता और महिलाधिकारों को बढ़ावा देने के सिलसिले में प्रगति हुई है और इससे ग़रीबी और भुखमरी घटाने और शिक्षा व स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद मिली है.

प्रगति के बावजूद चुनौतियां क़ायम

नवजात शिशुओं और मातृत्व के दौरान मौत के मामले भी इस अवधि में घटकर आधे हुए हैं.

लेकिन उन्होंने सचेत किया कि कई महिलाओं और लड़कियों को अब भी अपने स्वास्थ्य, कल्याण और मानवाधिकारों के मुद्दे पर भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

काहिरा सम्मेलन में जिन चुनौतियों से निपटने का आह्वान किया गया था उन्हीं समस्याओं को दूर करने से विश्व को 2030 टिकाऊ विकास एजेंडा को हासिल करने और सभी के लिए शांति, समृद्धि और गरिमा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.

विश्व आबादी के लगातार बढ़ने और लोगों के लंबा और स्वस्थ जीवन जीने को उपलब्धि क़रार दिया गया है लेकिन इससे वैश्विक उत्पादन और खपत बढ़ने से समस्याएं भी पैदा हो रही हैं.

पृथ्वी पर जीवन और लोगों की आजीविका पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से बचने के लिए उपभोग की आदतों में ज़रूरी बदलाव किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है.

कुछ अनुमानों के अनुसार 2050 तक विश्व आबादी का दो-तिहाई हिस्सा शहरी इलाक़ों में रहेगा.

यूएन प्रमुख ने बताया कि शहरी इलाक़ों की आबादी के सफल प्रबंधन के ज़रिए ही टिकाऊ विकास और जलवायु परिवर्तन से निपटने की कार्रवाई को असरदार बनाया जा सकता है.

यूएन प्रमुख ने अपने संबोधन में कहा कि जनसंख्या रूझानों के मामले में प्रवासन एक अहम कारक है जिससे प्रवासियों के मूल देशों और उन देशों पर सकारात्मक असर पड़ता है जहां वह रहने जाते हैं.

वर्ष 2018 में ग्लोबल कॉम्पैक्ट फ़ॉर माइग्रेशन पारित किया गया था जिसमें काहिरा सम्मेलन के दौरान अपनाई गई प्राथमिकताओं और नीतियों की ही झलक दिखाई देती है.

बूढ़ी होती जनसंख्या से पैदा होती चुनौतियों पर ध्यान देने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा और स्वस्थ व सक्रिय जीवन को सुनिश्चित करना होगा.