आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ के फैलाव से बढ़ रही है अस्थिरता: यूएन प्रमुख
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि आतंकवाद से परिवारों और समुदायों को सदमा पहुंचता है और प्रभावित क्षेत्रों में अस्थिरता फैलती है. केनया की राजधानी नैरोबी में बुधवार को आतंकवाद विरोधी सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों का ज़िक्र किया और अफ़्रीका में चरमपंथी हमलों के पीड़ितों के साथ एकजुटता जताई.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि जनवरी 2019 में कैसे नैरोबी के एक होटल परिसर में धावा बोलते हुए आतंकवादियों ने 21 लोगों को मार दिया था.
उन्होंने चिंता जताई कि साहेल क्षेत्र में स्थिति बिगड़ रही है और पश्चिम अफ़्रीका में जोखिम बढ़ रहे हैं. ‘लेक चाड’ क्षेत्र, मध्य माली, बुरकिना फ़ासो और निजेर में हथियारबंद गुटों के हमले जारी हैं.
The international community must step up their support for African-owned and African-led efforts in the fight against terrorism and violent extremism.Fighting terrorism & preventing extremism in Africa is essential to preserve peace & security in the world. pic.twitter.com/3Ia1sq8a2i
antonioguterres
अग्रिम मोर्चे पर अफ़्रीका
इन घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में यूएन प्रमुख ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस क्षेत्र में सदस्य देशों का तत्काल समर्थन करने की आवश्यकता है.” आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ के फैलाव से जो ख़तरे उभर रहे हैं, अफ़्रीकी लोग उनसे निपटने के प्रयासों में अग्रिम मोर्चे पर खड़े हैं.
महासचिव गुटेरेश ने आतंकवाद का समाधान ढूंढने में अफ़्रीकी जनता के संकल्प का स्वागत करते हुए महिलाओं की प्रेरणादायी भूमिका की प्रशंसा की जिससे रोकथाम के प्रयासों को मज़बूती मिल रही है.
“पूरे महाद्वीप पर महिलाएं अब इस ज़िम्मेदारी को ख़ुद निभा रही हैं.” उन्होंने क्षोभ जताते हुए कहा कि आतंकवादी संगठन ने विचारधारा से परे जाकर हर महिलाओं और लड़कियों पर आधिपत्य जमाया है.
लेकिन अब महिलाएं अलग-थलग किए जाने, हाशिएकरण, असमानता और शोषण के विरूद्ध स्थानीय नेताओं, मेयरों, युवाओं, बच्चों और अपने पुरुष साथियों के साथ मिलकर लड़ाई लड़ रही हैं – इन्हीं परिस्थितियों की वजह से बहुत से लोग कट्टरता और अशांति के रास्ते पर चले गए थे.
हालांकि उन्होंने माना कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अगर इस संबंध में दीर्घकालीन राजनैतिक संकल्प प्रदर्शित नहीं करता है तो फिर इस तरह के प्रयासों में सफलता पाना मुश्किल है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सुरक्षा परिषद की ओर से मज़बूत और स्पष्ट अधिकार मिलने चाहिए. साथ ही अफ़्रीका में शांति क़ायम करने और आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए पक्के तौर पर पर्याप्त और सतत वित्तीय समर्थन मिलना आवश्यक है.
“इस महाद्वीप पर बेहतरीन ढंग से प्रगति हो रही है और आतंकवाद को उसे कमज़ोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.”
उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा कि संगठित, समृद्ध और शांतिपूर्ण अफ़्रीका संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख प्राथमिकता है.
आतंकवाद के मूल कारणों पर चोट ज़रूरी
आतंकवाद के विरूद्ध एकजुट होने के लिए अफ़्रीकी देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से व्यापक प्रयासों की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि हिंसक चरमपंथ के उभार के लिए ज़िम्मेदार कारकों से भी निपटा जाना उतना ही आवश्यक है.
यूएन प्रमुख ने बताया कि इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र ने प्राथमिकता के तौर पर अफ़्रीकी देशों की क्षमता निर्माण परियोजनाओं पर काम शुरू किया है.
इनके ज़रिए विदेशी आतंकवादी लड़ाकों के ख़तरे को कम करने, युवाओं को सशक्त बनाने, विमानन सुरक्षा में बेहतरी लाने और आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन की उपलब्धता पर लगाम कसने की कोशिश हो रही है.
“आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता लेकिन हमें समझना होगा कि उनका उभार बिना किसी कारण के नहीं होता...वास्तविक और कथित अन्याय की भावना और सशक्तिकरण का वादा तब हमेशा लुभाता है जब मानवाधिकारों का हनन हो रहा हो, सुशासन का ख़्याल न रखा जा रहा हो और अभिलाषाओं को दबाया जा रहा हो.”
शिक्षा के अभाव और ग़रीबी को कट्टरपंथ के विस्तार के लिए ज़िम्मेदार माना गया है लेकिन उसे कई बार तब भी बढ़ावा मिलता है जब सत्ता का ग़लत इस्तेमाल किया जाए और राज्यसत्ता की ओर से हिंसा हो.
यूएन प्रमुख ने कहा कि इन जोखिमों से निपटने के लिए देशों को और प्रयास करने की ज़रूरत है.
इसके तहत अहम संस्थाओं और नागरिक संगठनों को मज़बूत बनाने, टिकाऊ शांति का निर्माण करने, अशांति की रोकथाम करने और सतत विकास प्रक्रिया को प्रोत्साहन देना होगा ताकि ग़रीबी, असमानता और अवसरों के अभाव को दूर किया जा सके क्योंकि इन्हीं वजहों से निराशा फैलती है.