"बात करने और सीखने का असाधारण मौक़ा"
“हमारे पास एक दूसरे से बात करने का और एक दूसरे से सीखने का असाधारण अवसर है” ये कहना है संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (इकोसॉक) की अध्यक्ष इन्गा रहोंडा किंग का. उन्होंने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर उच्च स्तरीय राजनैतिक फ़ोरम (एचएलपीएफ़) का उदघाटन करते हुए ये विचार व्यक्त किए.
ये फ़ोरम तमाम देशों द्वारा टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के प्रयासों में हुई प्रगति, चुनौतियों की समीक्षा करने व सुधार के लिए सबक़ सीखने के बारे में बात करने का महत्वपूर्ण वैश्विक मंच है.
वर्ष 2019 में इस फ़ोरम की बैठक इस मुख्य विषय (थीम) के साथ हो रही है – “लोगों को सशक्त बनाना और सभी की भागीदारी व बराबरी सुनिश्चित करना”.
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UNECOSOC
इन्गा रहोंडा किंग ने कहा, “ये एक वैश्विक घड़ी है जब हम सब साथ हैं. हमें इस सुनहरे मौक़े का भरपूर इस्तेमाल करना है.... और एक दूसरे के साथ बढ़-चढ़कर संवाद करना है."
"आइए, हम सभी इस अवसर का मिलकर भरपूर सदुपयोग करें.”
ये फ़ोरम पिछले चार वर्षों के दौरान के ख़ुद के कामकाज की भी समीक्षा करेगा और तय किया जाएगा कि आगे बढ़ने के लिए क्या कुछ और किया जाए.
साथ ही ये भी देखा जाएगा कि “टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के अभियान में हम सामूहिक रूप से कहाँ खड़े हैं - वैश्विक स्तर पर, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर”.
सुश्री किंग का कहना था, “ये बैठक अपने आप में कोई लक्ष्य नहीं है”, बल्कि “ये अपने अनुभवों को दूसरों के साथ बाँटने और नई पार्टनरशिप बनाने का एक “वैश्विक मंच” है.
“हम सभी एक दूसरे से कुछ ना कुछ सीखते हैं ताकि नए अनुभवों से समृद्ध होकर वापिस जा सकें.” “यही तो ख़ुशहाली, पृथ्वी और लोगों के लिए सर्वोच्च लक्ष्य है”.
सुश्री इन्गा रहोंडा किंग ने ये भी स्पष्ट किया कि ये फ़ोरम इसलिए “विशेष” है क्योंकि यहाँ हुए विचार-विमर्श से सितंबर में होने वाले टिकाऊ विकास लक्ष्य सम्मेलन के लिए जानकारी एकत्र हो सकेगी.
उन्होंने सितंबर सम्मेलन के लिए इस फ़ोरम के योगदान को बहुत महत्वपूर्ण क़रार देते हुए तमाम प्रतिभागियों का आग्रह किया कि वो अपने देश के राष्ट्राध्यक्षों या सरकार अध्यक्षों को इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें.
इकोसॉक अध्यक्ष का कहना था, “हमें ये भी उम्मीद है कि सभी देश और साझीदार पक्ष उस सम्मेलन में टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने की प्रक्रिया तेज़ करने की क़दमों की जानकारी देंगे.”
उन्होंने कहा कि हमें 2030 के टिकाऊ विकास एजेंडा के लिए अपनी लगातार प्रतिबद्धता को दर्शाते रहना होगा.
भागीदारी व बराबरी
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक परिषद के उपाध्यक्ष वेलेंतिन रायबकॉफ़ ने सोमवार को दिए अपने उदघाटन संदेश में लोगों के सशक्तिकरण की प्रक्रिया के दौरान उनकी भागीदारी और समानता सुनिश्चित करने पर भी ज़ोर दिया.
उन्होंने 2030 के टिकाऊ विकास एजेंडा और “पाँच पी” के बीच मज़बूत संबंध की तरफ़ भी ध्यान दिलाया.
ये “पाँच पी” हैं – People: लोग, Planet – पृथ्वी, Prosperity: समृद्धि, :Peace: शांति और Partnership: पार्टनरशिप.
टिकाऊ विकास लक्ष्य रिपोर्ट
इस उच्च स्तरीय राजनैतिक मंच के आरंभिक सत्र में टिकाऊ विकास लक्ष्यों के बारे में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट भी जारी की गई.
एक बेहतर, ज़्यादा समानता वाली दुनिया और ज़्यादा स्वस्थ पृथ्वी ग्रह बनाने की नीयत से चार वर्ष पहले टिकाऊ विकास लक्ष्यों का एजेंडा स्वीकृत किया गया था.
बीते चार वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में कुछ प्रगति दर्ज की गई है, मसलन अत्यधिक ग़रीबी दूर करने, व्यापक स्तर पर रोग प्रतिरोधी टीकाकरण, ज़्यादा संख्या में लोगों को बिजली मिलना जैसे क्षेत्र शामिल हैं.
रिपोर्ट के महत्वपूर्ण बिंदु
- देशों के भीतर और देशों के बीच बढ़ती असमानता पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है.
- वर्ष 2018 कार्बन डाय ऑक्साइड की एकाग्रता के बढ़ते स्तर के साथ चौथा रिकॉर्ड सबसे ज़्यादा गर्म साल रहा.
- समुद्रों में तेज़ाब का स्तर औद्योगिक क्रांति से पहले के समय की तुलना में 26 प्रतिशत ज़्यादा स्तर पर पहुँच गया. वर्ष 2100 तक इसमें 100 प्रतिशत से लेकर 150 प्रतिशत तक की वृद्धि होने का अनुमान है.
- अत्यधिक ग़रीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 1990 की 36 प्रतिशत से कम हो कर 2018 में 8.6 फ़ीसदी पर आ गई. लेकिन संसाधनों की कमी की गहरी जड़ों, हिंसक संघर्षों व लड़ाई झगड़ों और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के प्रयासों की धीमी होती रफ़्तार में वो फ़ायदे गुम होते नज़र आ रहे हैं.
- दुनिया भर में भुखमरी के हालात में काफ़ी लंबे समय तक कमी होने के बाद अब बढ़ोत्तरी देखी जा रही है.
लेकिन रिपोर्ट में ये चेतावनी भी दी गई है कि वैश्विक स्तर पर पर्याप्त प्रयास नहीं हुए हैं जिसके कारण नाज़ुक परिस्थितियों में रहने वाले लोगों और देशों को अब भी भारी तकलीफ़ों का सामना करना पड़ रहा है.
रिपोर्ट में ये भी का गया है कि जलवायु परिवर्तन और इंसानों के बीच बढ़ती असमानता की वजह से ना सिर्फ़ 2030 एजेंडा के लक्ष्यों को हासिल करने में बाधा उत्पन्न हो रही है बल्कि पिछले दशकों के दौरान हासिल हुई उपलब्धियों को भी नाकाम करने का ख़तरा पैदा हो गया है.