अमेरिका: हिरासत केंद्रों की बदहाली पर यूएन चिंतित

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने कहा है कि अमेरिकी सीमा में दाख़िल हाेने वाले प्रवासियों और शरणार्थियों के लिए बनाए गए हिरासत केंद्रों में बच्चों को भयावह परिस्थितियों में रखा जा रहा है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आप्रवासन प्रक्रिया के दौरान कभी भी बच्चों को हिरासत में नहीं रखा जाना चाहिए और ना ही उन्हें परिवार से अलग किया जाना चाहिए.
“एक बाल रोग विशेषज्ञ होने के साथ-साथ एक मां और पूर्व राष्ट्राध्यक्ष होने के तौर पर मैं स्तब्ध हूं कि भीड़ भरे हिरासत केंद्रों पर बच्चों को फ़र्श पर सोने के लिए मजबूर किया जा रहा है – उन्हें समुचित भोजन या स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं है और वहां साफ़-सफ़ाई का भी ढंग से ध्यान नहीं रखा जाता.”
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त के मुताबिक़ प्रवासियों के बच्चों को हिरासत में रखना क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक बर्ताव माना जा सकता है जिस पर अंतरराष्ट्रीय क़ानून में पाबंदी है.
US migration: @unhumanrights Chief @mbachelet is appalled by conditions of detention for migrants/refugees & urges non-custodial alternatives. Border mgmt measures must not narrowly aim at detecting, detaining & deporting irregular migrants. https://t.co/XPFfy4h9Vf pic.twitter.com/lcpg07xjRt
UNHumanRights
बताया गया है कि आप्रवासन के दौरान बच्चों को हिरासत में लिए जाने से बच्चों के स्वास्थ्य और विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.
“यह सोचने की ज़रूरत है कि हर दिन इस स्थिति के जारी रहने से कितनी क्षति हो रही है.”
प्रवासियों के लिए बनाए गए केंद्रों की स्थिति पर हाल ही में अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड सिक्योरिटी की एक नई रिपोर्ट सामने आई जो चिंताजनक हालात की ओर इशारा करती है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त का मानना है कि प्रवासियों और शरणार्थियों और उनके बच्चों के लिए हिरासत के बजाए अन्य विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए.
“वयस्क प्रवासियों और शरणार्थियों को आज़ादी से तभी वंचित रखा जाना चाहिए जब इसके अलावा कोई अन्य विकल्प न बचा हो.”
अगर प्रवासियों और शरणार्थियों को हिरासत में लिया जाता है तो ऐसा अल्प अवधि के लिए किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उचित प्रक्रिया और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का पालन किया जाए.
“विदेशी नागरिकों की आवाजाही की परिस्थितियों के बारे में फ़ैसला लेने का सार्वभौमिक विवेकाधिकार देशों के पास ही होता है लेकिन सीमाओं पर प्रबंधन के क़दमों और मानवाधिकार दायित्वों में अनुरूपता होनी चाहिए और उन्हें संकीर्ण नीतियों में नहीं बांधा जाना चाहिए.
मानवाधिकार मामलों की हाईकमिश्नर ने कहा कि अधिकांश मामलों में प्रवासी और शरणार्थी इन ख़तरनाक यात्राओं पर अपने बच्चों के साथ इसलिए चलते हैं ताकि हिंसा और भुखमरी से दूर सुरक्षा और गरिमा से पूर्ण जीवन जी सकें.
“जब वे सोचते हैं कि वे सुरक्षित हैं तो उन्हें परिजनों से अलग कर दिया जाता है और बदहाल हालात में रखा जाता है.” मिशेल बाशेलेट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसा पूरी दुनिया में कहीं भी नहीं होना चाहिए.
मैक्सिको और मध्य अमेरिका में ऐसे कई मामलों का पता चला है जिनमें यात्राओं के दौरान प्रवासियों और शरणार्थियों के साथ बुरा बर्ताव हुआ, अत्यधिक बल प्रयोग किया गया, प्रियजनों से अलग किया गया और सेवाएं मुहैया नहीं कराई गई.
स्थिति की जटिलता को पहचानते हुए उन्होंने कहा कि उन बुनियादी कारणों को दूर करने की आवश्यकता है जिनकी वजह से प्रवासियों को घर से दूर नए सिरे से जीवन की तलाश में जाना पड़ता है.
इसके लिए असुरक्षा, यौन और लिंग आधारित हिंसा, भेदभाव और ग़रीबी को मुख्य रूप से ज़िम्मेदार ठहराया गया है.
यूएन मानवाधिकार प्रमुख बाशेलेट ने उन लोगों और नागरिक समाज संगठनों को धन्यवाद दिया है जो प्रवासियों के मूलभूत अधिकारों जैसे पानी, भोजन, स्वास्थ्य और शरण का ख़्याल रख रहे हैं.