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विश्व भर में आय असमानता बढ़ी है

ग़रीब देशों में आय असमानता और व्यापक स्तर पर देखी गई है.
ILO/Asrian Mirza
ग़रीब देशों में आय असमानता और व्यापक स्तर पर देखी गई है.

विश्व भर में आय असमानता बढ़ी है

एसडीजी

दुनिया भर में सबसे ज़्यादा कमाई करने वाले लोगों की राष्ट्रीय आय में हिस्सेदारी पिछले डेढ़ दशक में बढ़ी है लेकिन अन्य सभी श्रमिकों की आय में गिरावट दर्ज की गई है. 189 देशों से जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित एक नई रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है.

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के आंकड़े दर्शाते हैं कि 30 करोड़ कामगार हर महीने 7,500 डॉलर कमाते हैं.

इसके विपरीत विश्व में क़रीब आधे  यानी लगभग  1 अरब 60 करोड़ कामगारों को प्रतिमाह केवल 200 डॉलर पर ही संतोष करना पड़ रहा है.

आय के मामले में सबसे निचले पायदान पर खड़े 10 फ़ीसदी लोगों की मासिक आय सिर्फ़ 22 डॉलर है.

श्रम संगठन के अर्थशास्त्री रोजर गोमिस का कहना है कि, "विश्व में सबसे ज़्यादा कमाई करने वाले शीर्ष 10 प्रतिशत लोग जितना एक महीने में कमाते हैं वही रक़म कमाने के लिए अन्य कामगारों को 28 साल काम करना होगा."

उन्होंने बताया कि सबसे ज़्यादा आय वाले लोगों के वेतन में एक फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी से अन्य लोगों की आय में गिरावट देखी गई, विशेषकर बेहद कम आय वाले लोगों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा और उनकी आय में 1.6 फ़ीसदी की गिरावट हुई.

ग़रीब देशों में आय असमानता और व्यापक देखी गई है. 2004 से 2017 के बीच लोगों की आय का तुलनात्मक अध्ययन बताता है कि अमीर देशों की तुलना में ग़रीब देशों में आय का वितरण ज़्यादा असमान है.

उदाहरण के तौर पर, विकसित देशों में कमाई के मामले में शीर्ष पायदान पर खड़े लोगों की आय राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का 30 फ़ीसदी है लेकिन उभरती अर्थव्यवस्थाओं में यह आंकड़ा बढ़कर 70 फ़ीसदी हो जाता है.

यूएन एजेंसी के अनुसार जिन देशों में सबसे ज़्यादा कमाने वाले लोगों के राष्ट्रीय आय में हिस्सा एक फ़ीसदी या उससे ज़्यादा की बढ़त देखी गई, उनमें जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, पाकिस्तान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं.

वैश्विक स्तर पर कमाई के मामले में शीर्ष 20 फ़ीसदी कर्मचारियों का आय में हिस्सा 2004 में 51.3 फ़ीसदी से बढ़कर 2017 में 53.5 फ़ीसदी हो गया.

वहीं बीच के 60 फ़ीसदी कर्मचारियों का हिस्सा 44.8 फ़ीसदी से घटकर 43 प्रतिशत रह गया.