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स्वाइन फ़ीवर के पैर पसारने से छोटे किसानों की मुश्किलें बढ़ी

अफ़्रीकन स्वाइन फ़ीवर एक संक्रामक बीमारी है जिससे छोटे किसानों के लिए आजीविका का संकट खड़ा हो गया है.
IAEA/Laura Gil Martinez
अफ़्रीकन स्वाइन फ़ीवर एक संक्रामक बीमारी है जिससे छोटे किसानों के लिए आजीविका का संकट खड़ा हो गया है.

स्वाइन फ़ीवर के पैर पसारने से छोटे किसानों की मुश्किलें बढ़ी

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (UNFAO) के अनुसार पूर्वी और दक्षिणपूर्वी एशिया के देशों में अफ़्रीकन स्वाइन बुखार तेज़ी से फैल रहा है जिससे लाखों घरों के लिए खाद्य सुरक्षा और आजीविका का संकट खड़ा हो गया है. इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग भोजन और आय के लिए सुअर पालन पर निर्भर हैं.

सुअर के मांस के उत्पादन में अहम योगदान बड़ी संख्या में छोटे किसानों का है. ऐसे में अफ़्रीकन स्वाइन बुखार के फैलने से इन किसानों के लिए चिंता बढ़ गई है क्योंकि इस बीमारी से निपटने के लिए उनके पास ना तो ज़रूरी विशेषज्ञता है और ना ही समुचित धन की व्यवस्था है. 

प्रभावित देशों में करोड़ों लोग सुअर पालन से अपनी आजीविका चलाते हैं लेकिन यूएन एजेंसी को रिपोर्टें मिली हैं कि इस बीमारी की वजह से उन्हें नुक़सान उठाना पड़ रहा है.  

सुअर के मीट का उत्पादन करने वाला चीन सबसे बड़ा देश है और वहां इस काम में लगे लोगों की संख्या 13 करोड़ आंकी गई है. छोटे किसानों के लिए संकट इसलिए खड़ा हो गया है क्योंकि उनके सुअरों की मौत हो रही है और सरकार ने सुअरों और उसके मीट को लाने ले जाने और उसकी बिक्री पर पांबदियां लगा दी हैं. 

इस बीमारी के फैलने के कारण व्यापक पैमाने पर लोगों के आहार पर असर पड़ने की भी संभावना जताई गई है क्योंकि कई देशों में सुअर के मांस को खाया जाता है. 

अफ़्रीकन स्वाइन बुखार के फैलने का सबसे पहला मामला चीन के उत्तरी प्रांत लियाओनिंग में अगस्त 2018 में आया था लेकिन अब यह देश भर में फैल रहा है. चीन में 34 प्रांतों में से 32 प्रांत इससे प्रभावित हैं.

चीन सरकार की ओर से प्रयासों के बावजूद यह बीमारी फैल रही है और अब वियतनाम, कम्बोडिया, मंगोलिया, दक्षिण कोरिया और लाओस में भी इसके मामले सामने आए हैं.

इस बीमारी पर क़ाबू ना कर पाने की कई वजहें बताई गई हैं - जैसे  कई छोटे किसानों ने अपने पशु समूह के संरक्षण के लिए उचित कदम नहीं उठाए हैं. 

सुअरों को जो खाना खिलाया जा रहा है उनमें संक्रमण होने की आशंका ज़ाहिर की गई है. सीमा पार सुअरों के व्यापार से भी यह बीमारी अन्य देशों में फैल रही है. 

इन्हीं वजहों से विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में इस बीमारी के और फैलने की आशंका है जिसके दूरगामी नतीजे हो सकते हैं. इससे सुअरों का उत्पादन प्रभावित होगा और उनकी संख्या में गिरावट दर्ज होगी जिसके असर से वैश्विक बाज़ार भी अछूता नहीं रहेगा.

अफ़्रीकन स्वाइन बुखार एक संक्रामक वायरल बीमारी है जिसमें पीड़ित सुअरों को तेज़ बुखार आता है और तबीयत बिगड़ने पर आंतरिक रक्तस्नाव भी हो सकता है. बुखार के कुछ हफ़्तों तक बने रहने से यह घातक भी साबित हो सकता है क्योंकि अभी इसके लिए कोई इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. 

पालतू और जंगली सुअरों के सीधे संपर्क में आने, दूषित भोजन खिलाए जाने और संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने वाली वस्तुओं के ज़रिए यह रोग फैलता है, इस बीमारी से आम लोगों को कोई ख़तरा नहीं है.