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मेडागास्कर के ग्रामीणों ने ‘खुले में शौच’ के ख़तरों को समझा

मेडागास्कर के एक गाँव में ग्रामीणों ने तब तक शोचालयों का इस्तेमाल गंभीरता से शुरू नहीं किया जब तक उन्हें खुले स्थानों में शोच करने के ख़तरों से अवगत नहीं कराया गया. (मई 2019)
©WSSCC/Hiroyuki Saito
मेडागास्कर के एक गाँव में ग्रामीणों ने तब तक शोचालयों का इस्तेमाल गंभीरता से शुरू नहीं किया जब तक उन्हें खुले स्थानों में शोच करने के ख़तरों से अवगत नहीं कराया गया. (मई 2019)

मेडागास्कर के ग्रामीणों ने ‘खुले में शौच’ के ख़तरों को समझा

स्वास्थ्य

ग्रामीणों के साथ चर्चा तड़के से ही शुरू हो जाती है.  स्वयंसेवकों को चॉक से ज़मीन पर अपने गांव का नक्शा तैयार करने को कहा जाता है. एक महिला के स्कैच से पता चला कि उस गाँव में 17 परिवारों के 65 लोग कुल 11 लाल मिट्टी के घरों में रहते हैं. वह बताती हैं कि वे सभी लोग केवल तीन शौचालयों से काम चलाते हैं, जो वहां काफी समय से हैं.

मेडागास्कर दुनिया के बहुत ग़रीब देशों में से एक है. (मई 2019)

"गांव के शौचालयों का रख-रखाव ठीक नहीं है," गांव के एक व्यक्ति ने बताया, "हम में से ज़्यादातर को तो शौच के लिए गांव के बाहरी इलाकों में जाना पड़ता है."

यह गांव दुनिया के सबसे ग़रीब देशों में से एक मेडागास्कर की राजधानी, एंटानानारिवो से 60 किलोमीटर दक्षिण में स्थित एंडोहारानोवेलोना है.

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक यहां लगभग एक करोड़ 13 लाख लोग खुले स्थानों में शौच करने के लिए जाते हैं.

ये बातचीत एक स्थानीय ग़ैर सरकारी संगठन मियारिंत्सोआ के साथ काम कर रहे चार स्वच्छता स्वयंसेवकों की एक टीम के साथ हो रही थी.

मियारिंत्सोआ के प्रमुख, यूग्ने रसामोइलीना इस बातचीत में भाग लेने वालों से पूछते हैं कि शौचालयों का उपयोग कितनी बार किया जाता है और क्या ये तीन शौचालय सभी 65 निवासियों के लिए पर्याप्त हैं.

पहले तो वो इस सवाल का जवाब देने में शर्माने लगे और कुछ बड़बड़ने लगे कि हमे गाँव से बाहर के लोगों को इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए.

लेकिन रसामोइलीना के अड़े रहने पर वो हिचकिचाते हुए स्वीकार करते हैं कि वास्तव में, वे शायद ही कभी शौचालय का उपयोग करते हैं और ज़्यादातर खुले में ही शौच के लिए करते हैं.

गांववालों को सहज करने के लिए अब रसामोइलीना बुरादे का एक थैला बाहर निकालते हैं और उनसे कहते हैं कि ज़मीन पर बने गांव के नक्शे पर ये बुरादा उन स्थानों पर छिड़क दें, जहां-जहां वे शौच करते हैं.

फिर क्या था – जल्दी ही नीलगिरी के पेड़ों वाला सारा इलाक़ा और गांव के बाहर का तालाब – सभी लकड़ी के बुरादे से ढक गए. कुछ बुरादा तो गांव के अंदर भी डाला गया था.

जैसे ही ग्रामीण बुरादे से ढके नक्शे को ध्यान से देखने लगते हैं, रसामोइलीना तुरंत मक्खियों का मुद्दा उठा देते हैं कि खुले में किया गया मल मक्खियों द्वारा किस तरह फैलता है.

वो बताते हैं कि मक्खियों से ये मल, पहले हमारे भोजन और फिर उसके रास्ते हमारे पेट में पहुंचता है.

ये सुनकर ग्रामीण चौंक उठते हैं, "यही कारण है कि मैं बीमार महसूस कर रहा था," एक ने कहा, "मुझे तो अहसास ही नहीं था कि ये मेरे बच्चों के लिए इतना ख़तरनाक है."

यूग्ने और उनकी टीम ‘कम्युनिटी ट्रिगरिंग’ यानि “पूरे समुदाय को झकझोरने” वाले तरीक़े अपनाने में विश्वास रखती है, जिसमें उनके लोग केवल मानसिकता बदलने में सहायक बनते हैं.

उनकी भूमिका, गांववालों को ज़बरदस्ती खुले में शौच से रोकने की नहीं है, बल्कि उन्हें अपने-आप, एक सोचा-समझा फैसला लेकर अपने गांव की काया पलट करने के लिए प्रोत्साहित करने की रहती है.

वे कहते हैं, "जब हम खुले में शौच करने वाले गांवों का दौरा करते हैं तो हम उन्हें यही समझाते हैं कि ये मानव मल कैसे इंसानों के बीच प्रदूषण फैला रहा है. 

मेडागास्कर के एक गाँव के नक्शे पर लोगों ने उन स्थानों पर बुरादे से निशान बनाए जहाँ लोग खुले में शौच करते हैं. (मई 2019)

विश्व बैंक के अनुसार, मेडागास्कर की आबादी का 77 प्रतिशत यानि लगभग 2 करोड़ 40 लाख लोगों की आमदनी प्रतिदिन 1.90 अमेरिकी डॉलर से भी कम है. ऐसे में मेडागास्कर को दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक माना जा सकता है. ये कहना अनुचित नहीं होगा कि खुले में शौच का सीधा संबंध  ग़रीबी से है.

संयुक्त राष्ट्र की जल आपूर्ति और स्वच्छता सहयोग परिषद (WSSCC) द्वारा प्रबंधित विश्व स्वच्छता कोष के सहयोग से मेडागास्कर के 18 पार्टनर संगठन ‘कम्यूनिटी ट्रिगरिंग’ यानि समुदाय को झकझोरने वाले तरीक़े अपनाकर खुले स्थानों में शौच मुक्त करने की मुहिम में लगे हैं.

दिसंबर 2018 तक 17 हज़ार से अधिक गांवों को खुले स्थानों में शौच से मुक्त घोषित किया गया है और 37 लाख 40 हज़ार लोगों को बेहतर शौचालय मिले हैं.

साथ ही ग्रामीणों को ये सलाह दी गई है कि वे खुले में शौच के लिए इस्तेमाल होने वाले स्थानों को खेल के मैदान या अन्य सार्वजनिक सभा स्थलों में बदल दें ताकि बीमारी और संक्रमण को रोका जा सके.

लोगों और जानवरों के बीच मल-मूत्र का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए नए शौचालय को ‘फ्लाई प्रूफ’ यानी मक्खी मुक्त बनाया जा रहा है और लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे शौचालय का उपयोग करने के बाद अपने हाथ अवश्य धोएँ.

डब्लयूएसएससीसी (WSSCC) के स्यू कोएट्स कहते हैं कि खुले में शौच को रोकना समुदायों के लिए निर्णायक क़दम नहीं है बल्कि उनके जीवन में सुधार की एक शुरुआत भर है.

वो बताते हैं कि अपने गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने के बाद गांववालों की सोच काफी लचीली हो जाती है वो इस स्वच्छता सुधार को जारी रखने में कोई क़सर नहीं छोड़ते.

इससे मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन, स्वास्थ्य, पोषण और आर्थिक विकास जैसे अन्य मुद्दों से निपटने के लिए भी बेहतर स्थिति बन जाती हैं.